दिल्ली: मनीष सिसोदिया ने तीव्र एंटीजन जांच का बचाव किया, कहा इसकी सटीकता लगभग आरटी-पीसीआर के समान
By भाषा | Published: August 9, 2020 02:11 AM2020-08-09T02:11:45+5:302020-08-09T02:11:45+5:30
दिल्ली के उपमुख्यमंत्री मनीष सिसोदिया ने कोविड-19 की जांच के लिए इस्तेमाल होने वाली तीव्र एंटीजन जांच के उपयोग का बचाव किया है और कहा कि इसकी सटीकता लगभग आरटी-पीसीआर के समान है।
नई दिल्ली।दिल्ली के उपमुख्यमंत्री मनीष सिसोदिया ने शनिवार को राष्ट्रीय राजधानी में कोविड-19 का पता लगाने के लिए तीव्र एंटीजन जांच के उपयोग का बचाव करते हुए कहा कि इसकी सटीकता लगभग आरटी-पीसीआर के समान है। सिसोदिया ने कहा कि रैपिड एंटीजन टेस्ट (आरएटी) की अपनी खूबियां हैं, जिनमें से एक यह है कि यह तुरंत परिणाम दे रहा है जिससे वायरस के प्रसार को रोकने में मदद मिलती है। विशेषज्ञों ने इस जांच की रिपोर्ट में गलत परिणाम निकलने की दर को लेकर इसकी सटीकता पर संदेह व्यक्त किया है।
सिसोदिया ने एक साक्षात्कार में कहा, "मुझे नहीं लगता कि एंटीजन जांच में कोई समस्या है। एंटीजन जांच में गलत नतीजे आने की दर लगभग आरटी-पीसीआर के समान है, जो लगभग 30 प्रतिशत है।’’ मनीष सिसोदिया इस सवाल का जवाब दे रहे थे कि इस संबंध में उच्च न्यायालय की टिप्पणियों और मामले की संवेदशीलता के बावजूद दिल्ली सरकार आरटी-पीसीआर (रिवर्स ट्रांसक्रिप्शन पॉलीमरेज़ चेन रिएक्शन) जांच क्यों नहीं बढ़ा रही है, जिसे अधिक विश्वसनीय माना जाता है।
दिल्ली ने 18 जून से कोरोना वायरस जांच तेज कर दिया था, खासकर एंटीजन जांच शुरू होने के बाद। विशेषज्ञों के अनुसार, शहर में वायरस के प्रसार को रोकने के लिए जांच की संख्या बढ़ाना एक महत्वपूर्ण कारक साबित हुई, जहां प्रतिदिन संक्रमण कई नये मामले सामने आ रहे हैं। जून में तो कुछ दिनों तक हर दिन करीब 4,000 मामले आ रहे थे।
स्वास्थ्य बुलेटिन के अनुसार, 30 जुलाई तक, राष्ट्रीय राजधानी में 10.13 लाख से अधिक जांच की गई। अकेले जुलाई में करीब पांच लाख जांच हुई थीं। जुलाई में हुई पांच लाख जांचों में से 3.82 लाख जांच आरएटी थी जबकि बाकी अधिकतर पीसीआर थी। पिछले महीने, जब दिल्ली के मामले में गिरावट आने लगी, तो कई विशेषज्ञों ने इस पर अंकुश लगाने के लिए जांच बढ़ाने के कदम की सराहना की। हालांकि, उन्होंने आरएटी पर निर्भरता को लेकर चिंता व्यक्त की।