मणिपुर हिंसाः 9,000 से अधिक लोग विस्थापित, कई परिवारों ने असम में ली शरण; स्थिति को काबू में लाने के लिए सेना और असम राइफल्स के 55 ‘कॉलम’ की तैनाती
By अनिल शर्मा | Published: May 5, 2023 09:07 AM2023-05-05T09:07:53+5:302023-05-05T09:22:09+5:30
मणिपुर में स्थिति को नियंत्रित करने के लिए राज्य सरकार ने ‘‘गंभीर स्थिति’’ में देखते ही गोली मारने का आदेश जारी कर दिया है। वहीं, स्थिति को नियंत्रित करने के लिए सेना और असम राइफल्स के 55 ‘कॉलम’ को तैनात किया गया है।
गुवाहाटी/इम्फालः मणिपुर में आदिवासियों और बहुसंख्यक मेइती समुदाय के बीच हिंसा भड़कने के कारण 9,000 से अधिक लोग विस्थापित हो गए हैं। हालात अभी भी अच्छे नहीं है जिस कारण कई प्रभावित परिवारों को अपने घरों को छोड़कर पड़ोसी राज्य असम में शरण लेनी पड़ी है। इसकी जानकारी देते हुए असम के मुख्यमंत्री हिमंता बिस्वा सरमा ने कहा कि मैंने कछार के जिला प्रशासन से इन परिवारों की देखभाल करने का अनुरोध किया है। हिमंता ने कहा कि मैं मुख्यमंत्री एन. बीरेन सिंह के साथ भी लगातार संपर्क में हूं और इस संकट की घड़ी में असम सरकार ने पूरा समर्थन देने का संकल्प लिया है।
राज्य सरकार ने ‘‘गंभीर स्थिति’’ में देखते ही गोली मारने का आदेश जारी कर दिया है
मणिपुर में स्थिति को नियंत्रित करने के लिए राज्य सरकार ने ‘‘गंभीर स्थिति’’ में देखते ही गोली मारने का आदेश जारी कर दिया है। वहीं, स्थिति को नियंत्रित करने के लिए सेना और असम राइफल्स के 55 ‘कॉलम’ को तैनात किया गया है। राज्यपाल की ओर से जारी आदेश में कहा गया है कि ‘‘समझाने और चेतावनी के बावजूद स्थिति काबू में नहीं आने पर 'देखते ही गोली मारने’ की कार्रवाई की जा सकती है।
दोबारा बिगड़ने की सूरत में कार्रवाई के लिए सेना के 14 ‘कॉलम’ को तैयार रखा गया है
सेना के एक प्रवक्ता ने बताया कि हालात के दोबारा बिगड़ने की सूरत में कार्रवाई के लिए सेना के 14 ‘कॉलम’ को तैनाती के लिए तैयार रखा गया है। सेना और असम राइफल्स ने गुरुवार चुराचांदपुर और इंफाल घाटी के कई इलाकों में फ्लैग मार्च किया और काक्चिंग जिले के सुगनु में भी फ्लैग मार्च किया गया। वहीं, हिंसा की गंभीरता को रेखांकित करते हुए केंद्रीय गृह मंत्री अमित शाह ने गुरुवार को मणिपुर के मुख्यमंत्री एन. बीरेन सिंह से बात की और राज्य की स्थिति का जायजा लिया।
पूरे राज्य में मोबाइल इंटरनेट सेवाएं भी निलंबित हैं
मणिपुर में स्थिति की निगरानी कर रहे केंद्र ने ‘रैपिड एक्शन फोर्स’ (आरएएफ) की कई टीम को भी भेजा है। सूत्रों ने बताया कि आरएएफ की टीम शाम को इंफाल हवाई अड्डे पर उतरी। वहीं, गृह विभाग के एक आदेश में कहा गया कि शांति और सार्वजनिक व्यवस्था को बरकरार रखने के लिए तत्काल प्रभाव से पांच दिनों के लिए इंटरनेट सेवाओं को निलंबित कर दिया गया है। पूरे राज्य में मोबाइल इंटरनेट सेवाएं भी निलंबित हैं।
क्या है पूरा मामला, कैसे भड़की हिंसा?
नगा और कुकी आदिवासियों द्वारा ‘आदिवासी एकजुटता मार्च’ आयोजित किए जाने के बाद बुधवार को हिंसा भड़क गई, जो रात में और तेज हो गई। दरअसल राज्य की आबादी में 53 प्रतिशत हिस्सा वाले गैर-आदिवासी मेइती समुदाय की अनुसूचित जनजाति (एसटी) के दर्जे की मांग के खिलाफ चुराचांदपुर जिले के तोरबंग इलाके में ‘ऑल ट्राइबल स्टूडेंट यूनियन मणिपुर’ (एटीएसयूएम) ने ‘आदिवासी एकजुटता मार्च’ का आयोजन किया था। इसी दौरान हिंसा भड़की।
पुलिस के अनुसार, चुराचांदपुर जिले के तोरबंग क्षेत्र में मार्च के दौरान हथियार लिए हुए लोगों की एक भीड़ ने कथित तौर पर मेइती समुदाय के लोगों पर हमला किया, जिसकी जवाबी कार्रवाई में भी हमले हुए, जिसके कारण पूरे राज्य में हिंसा भड़क गई। उन्होंने बताया कि तोरबंग में तीन घंटे से अधिक समय तक हुई हिंसा में कई दुकानों और घरों में तोड़फोड़ के साथ ही आगजनी की गई।
सेना ने 9000 लोगों को सुरक्षित स्थानों पर स्थानांतरित कर दिया है
हिंसाग्रस्त इलाकों के कई परिवारों को सुरक्षाबलों ने सुरक्षित स्थानों पर शिफ्ट कर दिया है। करीब 5,000 लोगों को चुराचांदपुर में सुरक्षित गृहों में पहुंचाया गया, वहीं 2,000 लोगों को इंफाल घाटी में और अन्य 2,000 लोगों को तेनुगोपाल जिले के सीमावर्ती शहर मोरेह में स्थानांतरित कर दिया गया है।
राज्य के 8 जिलों में कर्फ्यू
एक अधिकारी ने बताया कि स्थिति को देखते हुए गैर-आदिवासी बहुल इंफाल पश्चिम, काक्चिंग, थौबल, जिरिबाम और विष्णुपुर जिलों तथा आदिवासी बहुल चुराचांदपुर, कांगपोकपी और तेंगनौपाल जिलों में कर्फ्यू लगा दिया गया। पुलिस ने बताया कि इंफाल घाटी के कई इलाकों में कुकी आदिवासियों के घरों में तोड़फोड़ की गई, जिससे उन्हें इलाका छोड़ने पर मजबूर होना पड़ा।
कुकी बहुल लांगोल क्षेत्र के 500 से अधिक निवासी अपने घर छोड़कर चले गए हैं
पुलिस ने कहा कि इंफाल पश्चिम में कुकी बहुल लांगोल क्षेत्र के 500 से अधिक निवासी अपने घर छोड़कर चले गए हैं और वर्तमान में लम्फेलपत में सीआरपीएफ शिविर में रह रहे हैं। उन्होंने बताया कि इंफाल घाटी में बीती रात कुछ पूजा स्थलों को भी आग के हवाले कर दिया गया। इस बीच, आदिवासी बहुल चुराचांदपुर जिले के करीब 1,000 मेइती लोग क्वाक्ता और मोइरांग सहित बिष्णुपुर जिले के विभिन्न इलाकों में चले गए।
भाषा इनपुट के साथ