भारत पहली बार म्यामां वापस भेजेगा रोहिंग्या प्रवासियों की पहली खेप!

By भाषा | Published: October 4, 2018 05:02 AM2018-10-04T05:02:38+5:302018-10-04T05:02:38+5:30

भारत पहली बार सात रोहिंग्या प्रवासियों को म्यामां वापस भेजेगा, इन्हें जुलाई 2012 में गिरफ्तार किया गया था।

Manipur: 7 Rohingyas, who are being deported to Myanmar | भारत पहली बार म्यामां वापस भेजेगा रोहिंग्या प्रवासियों की पहली खेप!

भारत पहली बार म्यामां वापस भेजेगा रोहिंग्या प्रवासियों की पहली खेप!

नई दिल्ली, चार अक्टूबरः भारत असम में गैरकानूनी तरीके से रह रहे सात रोहिंग्या प्रवासियों को गुरुवार को म्यामां वापस भेजेगा। केन्द्र सरकार पहली बार ऐसा कदम उठा रही है। पुलिस द्वारा हिरासत में लिए जाने के बाद 2012 से ही ये लोग असम के सिलचर जिले के कचार केन्द्रीय कारागार में बंद हैं।

केन्द्रीय गृह मंत्रालय के एक अधिकारी ने बताया कि गुरुवार को मणिपुर की मोरेह सीमा चौकी पर सात रोहिंग्या प्रवासियों को म्यामां के अधिकारियों को सौंपा जाएगा। अधिकारी ने बताया कि म्यामां के राजनयिकों को कांसुलर पहुंच प्रदान की गई थी। उन्होंने इन प्रवासियों के पहचान की पुष्टि की।

अन्य अधिकारी ने बताया कि पड़ोसी देश की सरकार के गैरकानूनी प्रवासियों के पते की रखाइन राज्य में पुष्टि करने के बाद इनके म्यामां के नागरिक होने की पुष्टि हुई है। यह पहली बार है जब रोहिंग्या प्रवासियों को भारत से म्यामां भेजा जाएगा।


वहीं गुवाहाटी में असम के अतिरिक्त पुलिस महानिदेशक (सीमा) भास्करज्योति महंता ने कहा कि विदेशी नागरिकों को वापस भेजने का काम पिछले कुछ समय से चल रहा है। इस साल की शुरूआत में हमने बांग्लादेश, म्यामां और पाकिस्तान के कई नागरिकों को स्वदेश वापस भेजा है।

सात रोहिंग्या लोगों को विदेशी कानून के उल्लंघन के आरोप में 29 जुलाई, 2012 को गिरफ्तार किया गया था। काचार जिले के अधिकारियों ने बताया कि जिन्हें वापस भेजा जाएगा उनमें मोहम्मद जमाल, मोहबुल खान, जमाल हुसैन, मोहम्मद युनूस, सबीर अहमद, रहीम उद्दीन और मोहम्मद सलाम शामिल हैं। इनकी उम्र 26 से 32 वर्ष के बीच है।

भारत सरकार ने पिछले साल संसद को बताया था कि संयुक्त राष्ट्र शरणार्थी एजेंसी यूएनएचसीआर में पंजीकृत 14,000 से अधिक रोहिंग्या भारत में रहते हैं। हालांकि मदद प्रदान करने वाली एजेंसियों ने देश में रहने वाले रोहिंग्या लोगों की संख्या करीब 40,000 बताई है।

रखाइन राज्य में म्यामां सेना के कथित अभियान के बाद रोहिंग्या लोग अपनी जान बचाने के लिए घर छोड़कर भागे थे। संयुक्त राष्ट्र रोहिंग्या समुदाय को सबसे अधिक दमित अल्पसंख्यक बताता है। मानवाधिकार समूह ‘एमनेस्टी इंटरनेशनल’ ने रोहिंग्या लोगों की दुर्दशा लिए आंग सान सू ची और उनकी सरकार को जिम्मेदार ठहराया है।

Web Title: Manipur: 7 Rohingyas, who are being deported to Myanmar

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