इंदिरा गांधी बनना इतना आसान नहीं है, और ये बात प्रियंका और कांग्रेस को भी मालूम है!
By विकास कुमार | Published: January 27, 2019 06:46 PM2019-01-27T18:46:10+5:302019-01-27T19:12:44+5:30
लोगों से जुड़ने की कला और मुद्दों को लेकर समझ ही राजनीति में लंबे समय तक किसी भी नेता को प्रासंगिक बनाता है. इंदिरा गांधी की छवि के नाम पर प्रियंका गांधी की राजनीतिक चुनौतियों को सीमित नहीं किया जा सकता.
प्रियंका गांधी को अक्सर इंदिरा गांधी के परछाई के रूप में जाना जाता रहा है. मीडिया से लेकर आम लोगों के बीच ये चर्चा हमेशा से रही है कि प्रियंका गांधी में उनकी दादी इंदिरा गांधी की छवि दिखाई देती है. उनके बात करने का तरीका, पहनावा-ओढ़ावा और उनकी वाकपटुता इंदिरा गांधी के समानांतर दिखाई देती है.
खैर, राजनीति में इन चीजों का ज्यादा दिनों तक मायने नहीं रहता है. लोगों से जुड़ने की कला और मुद्दों को लेकर समझ ही राजनीति में लंबे समय तक किसी भी नेता को प्रासंगिक बनाता है. इंदिरा गांधी की छवि के नाम पर प्रियंका गांधी की राजनीतिक चुनौतियों को सीमित नहीं किया जा सकता.
इंदिरा गांधी की चुनौतियां अलग
इंदिरा गांधी के समय में राजनीतिक चुनौतियां बिल्कुल अलग थीं और तमाम बड़े नेताओं के विरोध के बावजूद इंदिरा देश की लगभग डेढ़ दशक से भी ज्यादा समय तक प्रधानमंत्री रहीं. इंदिरा के सामने शुरूआती दौर में उनकी पार्टी में ही कई नेता उनके विरोध में रहें जिस पर उन्होंने समय से विजय पा लिया. लेकिन वहीं प्रियंका गांधी के सामने पार्टी में उस तरह की चुनौतियां नहीं है. लेकिन उनके सामने भी नरेन्द्र मोदी जैसे मजबूत राजनीतिक विरोधी हैं, जिनसे पार पाना उनके लिए आसान नहीं होगा.
उत्तर प्रदेश में इंदिरा गांधी की जो अपील थी लोगों के बीच, वैसी ही अपील प्रियंका की है. ऐसे में प्रियंका के आने के कारण उत्तर प्रदेश में कुछ फ़र्क तो नज़र आएगा. वहां पर बड़ा हिस्सा ऐसा है जो अभी भी इंदिरा गांधी को मानता है. प्रियंका के चेहरा, उनकी शैली और पहनवाने से लोगों को ऐसा लगेगा कि इंदिरा उनके बीच हैं.
प्रियंका गांधी राजनीति में नई नहीं हैं
प्रियंका गांधी भले ही सक्रिय राजनीति में अभी आई हों लेकिन पर्दे के पीछे से फैसले लेने में उनकी सहभागिता हमेशा से रही है. हाल के दिनों में भी कहा जा रहा है कि प्रियंका गांधी खुद यूपी की सभी सीटों का राजनीतिक समीकरण और उनके आंकड़े निकाल रही हैं और इसके लिए उन्होंने बकायदा एक अलग टीम भी बनायी है. राजस्थान और मध्य प्रदेश में भी मुख्यमंत्रियों के नाम का फैसला उन्हीं के इशारे पर हुआ था.
लेकिन सबसे बड़ा सवाल है कि प्रदेश में पिछले कई सालों से हाशिये पर कड़ी कांग्रेस पार्टी को क्या वो खड़ा कर पायेंगी. उनके सामने नरेन्द्र मोदी जैसा विशाल राजनीतिक शख्स खड़ा है और वहीं सपा-बसपा गठबंधन की काट भी उन्हें खोजनी है.
नरेन्द्र मोदी के सामने कांग्रेस की हालत पतली हो चुकी है, राजनीतिक गलियारों में भी ऐसी ही चर्चा होती है कि क्या इंदिरा जैसी दिखने वाली प्रियंका कांग्रेस को अच्छी स्थिति में ला पाएंगी?'' इसका जवाब 100 दिन में सामने आ जाएगा. अभी तो देश में चुनावी माहौल गर्माना बाक़ी है.