मैनपुरी लोकसभा और खतौली विधानसभा सीट उपचुनावः मिलकर लड़ेंगे सपा-रालोद, तेज प्रताप यादव और धर्मेंद्र यादव हो सकते हैं प्रत्याशी
By लोकमत न्यूज़ डेस्क | Published: November 9, 2022 06:04 PM2022-11-09T18:04:53+5:302022-11-09T18:06:15+5:30
Mainpuri Lok Sabha and Khatauli Assembly seat by-election: मैनपुरी लोकसभा सीट समाजवादी पार्टी के संरक्षक मुलायम सिंह यादव के निधन के कारण रिक्त है, जबकि खतौली विधानसभा सीट भारतीय जनता पार्टी विधायक विक्रम सैनी की सदस्यता रद्द होने के कारण खाली हुई हैं।
लखनऊः समाजवादी पार्टी (सपा) लोकसभा और विधानसभा उपचुनाव राष्ट्रीय लोकदल (रालोद) के साथ मिलकर लड़ेगी। पार्टी ने एक ट्वीट में इसकी जानकारी दी । समाजवादी पार्टी ने बुधवार को ट्वीट कर कहा, ‘‘उत्तर प्रदेश में होने वाले आगामी उपचुनाव में समाजवादी पार्टी और राष्ट्रीय लोकदल मिलकर चुनाव लड़ेंगे।
मैनपुरी लोकसभा और रामपुर विधानसभा सीट पर सपा प्रत्याशी चुनाव लड़ेंगे और खतौली विधानसभा सीट पर रालोद का प्रत्याशी चुनाव लड़ेगा।’’ मैनपुरी लोकसभा सीट समाजवादी पार्टी के संरक्षक मुलायम सिंह यादव के निधन के कारण रिक्त है, जबकि रामपुर विधानसभा सीट सपा नेता आजम खान की सदस्यता रद्द होने और खतौली विधानसभा सीट भारतीय जनता पार्टी विधायक विक्रम सैनी की सदस्यता रद्द होने के कारण खाली हुई हैं। आजम और सैनी की सदस्यता अदालत से सजा होने के बाद रद्द की गयी है।
इन सीटों पर उपचुनाव पांच दिसंबर को होगा। रालोद प्रमुख जयंत चौधरी ने पहले ही स्पष्ट कर दिया था कि उनकी पार्टी का सपा के साथ गठबंधन भविष्य में भी जारी रहेगा। चौधरी से जब स्थानीय निकाय चुनाव में सपा के साथ पार्टी के गठबंधन के बारे में पूछा गया था तो उन्होंने कहा था, "चाहे वह बड़ा या छोटा चुनाव हो, सपा के साथ हमारा गठबंधन जारी रहेगा।
हमने पहले खतौली सीट पर चुनाव लड़ा था और हमें इस सीट पर एक और मौका मिला है। हमारे कार्यकर्ता रामपुर और मैनपुरी में सपा उम्मीदवारों का समर्थन करेंगे।" समाजवादी पार्टी के एक नेता ने यहां बताया कि सपा मुख्यालय में सपा प्रमुख अखिलेश यादव ने बुधवार को पार्टी के वरिष्ठ नेताओं के साथ बैठक कर मैनपुरी और रामपुर सीटों पर उम्मीदवारों पर चर्चा की।
राजनीतिक गलियारों में चल रही चर्चा के अनुसार, जहां मैनपुरी के लिए तेज प्रताप यादव और धर्मेंद्र यादव के नाम संभावित उम्मीदवार के रूप में विचार किये जा रहे हैं, वहीं रामपुर में पार्टी के वरिष्ठ नेता आजम खान की पसंद का उम्मीदवार होगा। खान ने 10 बार रामपुर विधानसभा सीट का प्रतिनिधित्व किया था और उनकी पत्नी तज़ीन फातिमा एक बार इस सीट से जीती थी।
मुस्लिम बहुल इस सीट पर भाजपा कभी जीत नहीं पाई थी, लेकिन हाल के लोकसभा उपचुनावों में रामपुर में मिली जीत से पार्टी को एक उम्मीद जगी है। हालांकि इन दो विधानसभा सीटों और मैनपुरी संसदीय क्षेत्र के उपचुनाव के नतीजे का केंद्र और उप्र की सरकारों पर कोई असर नहीं पड़ेगा क्योंकि सत्ताधारी भाजपा के पास दोनों जगहों पर बहुमत है, लेकिन इन सीटों पर जीत 2024 के आम चुनाव में भाजपा या सपा को मनोवैज्ञानिक लाभ जरूर पहुंचायेंगी ।
भाजपा ने पहले ही आजमगढ़ और रामपुर लोकसभा सीट सपा से छीन लिया है और मैनपुरी तथा रामपुर में जीत, पार्टी को उप्र जैसे राजनीतिक रूप से महत्वपूर्ण राज्य में मनोबल बढ़ाने वाला होगा। मैनपुरी सीट पर यह देखना दिलचस्प होगा कि प्रगतिशील समाज पार्टी के मुखिया और अखिलेश के चाचा शिवपाल सिंह यादव क्या भूमिका निभाते हैं ।
शिवपाल ने राष्ट्रपति चुनाव में भाजपा का पक्ष लिया था, लेकिन प्रसिद्ध "चाचा-भतीजा" (शिवपाल और अखिलेश) की जोड़ी को सपा संरक्षक की मृत्यु के बाद की रस्मों के दौरान एक साथ चलते देखा गया था, जिससे दोनों के बीच एक बार फिर से मेल-मिलाप की अटकलें शुरू हो गईं।
पश्चिमी उप्र की खतौली विधानसभा सीट पर एक बार फिर सपा-रालोद के संबंधों की परीक्षा होगी। भाजपा के लिए पार्टी के नए प्रदेश अध्यक्ष भूपेंद्र चौधरी की प्रतिष्ठा दांव पर लगेगी क्योंकि वह जाट हैं और इसी इलाके से आते हैं जहां रालोद का अच्छा जनाधार है