दिल्ली: वायु प्रदूषण कम करने के लिए मंत्री महेश शर्मा ने दिया 'क्लाउड सीडिंग' का सुझाव, इसके बारे में यहां जानिए सबकुछ
By लोकमत समाचार ब्यूरो | Published: November 20, 2018 03:15 PM2018-11-20T15:15:12+5:302018-11-21T07:33:48+5:30
Cloud Seeding: 'क्लाउड सीडिंग' का इस्तेमाल पश्चिम के देशों में होता आया है। चीन ने भी इस तकनीक का इस्तेमाल खेती और प्रदूषण को कम करने के लिए किया है।
दिल्ली और एनसीआर में प्रदूषण की समस्या लगातार विकराल रूप धारण कर रही है। इसके समाधान के लिए नेताओं में होड़ सी लग गयी है। हाल ही में खबर आई थी कि दिल्ली सरकार प्रदूषण की समस्या से निपटने के लिए 'क्लाउड सीडिंग' का विकल्प तलाश रही है। इसी बीच मोदी सरकार के पर्यावरण राज्य मंत्री महेश शर्मा ने कहा है कि "आपात स्थिति में 'क्लाउड सीडिंग' का विकल्प उपलब्ध है और इसका इस्तेमाल दिल्ली और इसके आसपास के इलाकों में बारिश करवाने के लिए हो सकती है।
पिछले कई दिनों से राज्य और केंद्र सरकार के अलावा केंद्रीय प्रदूषण नियंत्रण बोर्ड भी 'क्लाउड सीडिंग' के तकनीक को अपनाकर दिल्ली की सबसे विकराल समस्या को कुछ कम करना चाहती है। हाल ही में केंद्रीय प्रदूषण बोर्ड ने इसरो के साथ मिलकर इस दिशा में कदम आगे बढ़ाया है। हालांकि, विशेषज्ञ भी कृत्रिम बारिश को अस्थायी उपाय के तौर पर देखते हैं जो समस्या का स्थायी समाधान नहीं है।
'क्लाउड सीडिंग' का इस्तेमाल पश्चिम के देशों में होता आया है। चीन ने भी इस तकनीक का इस्तेमाल खेती और प्रदूषण को कम करने के लिए किया है। भारत में इसके पहले क्लाउड सीडिंग तकनीक का इस्तेमाल कर्नाटक और महाराष्ट्र में सफलतापूर्वक हुआ है। आपको बता दें कि इन राज्यों में भीषण सूखा पड़ने की स्थिति में इस तकनीक की मदद ली गई है। इस तकनीक को पूरा करने के लिए सिल्वर आयोडाइड या ड्राई आइस का इस्तेमाल किया जाता है जिसे हवाई जहाज से ले जाकर बादलों के बीच में छोड़ दिया जाता है।
यह पहली बार है, जब देश में किसी शहर के प्रदूषण को कम करने के लिए कृत्रिम बारिश की योजना बन रही है। वैज्ञानिक इसके लिए सही हालात का इंतजार कर रहे हैं। उनके मुताबिक मॉनसून से पहले और मॉनसून के दौरान बादलों से कृत्रिम बारिश कराना आसान होता है, लेकिन सर्दियों के मौसम में इसमें मुश्किल आती है क्योंकि इस वक्त बादलों में नमी कम होती है। पर्यावरण राज्य मंत्री महेश शर्मा ने आपात स्थिति में इस विकल्प को अपनाने की बात कही है लेकिन हकीकत है कि दिल्ली के वातावरण में प्रदूषण का स्तर कई दिनों पहले ही आपात स्थिति को पार कर चुकी है।