महाराष्ट्र: उद्धव सरकार ने मंत्रियों के बीच दरार को खत्म करने के लिए उठाया ठोस कदम, जानें अंतर्कलह को रोकने के लिए सरकार का फैसला
By लोकमत न्यूज़ डेस्क | Published: January 22, 2020 10:18 AM2020-01-22T10:18:19+5:302020-01-22T10:18:19+5:30
सरकार के मंत्रियों की परेशानी कम करने तथा संजय राउत के बयानों पर लगाम लगाने के लिए एक नई समन्वय समिति बनाने का निर्णय सभी दलों के नेताओं ने मिलकर लिया है। इसके पीछे र्क दिया जा रहा है कि सरकार में रहते कांग्रेस मंत्रियों, कार्यकर्ताओं और पदाधिकारियों की सुनवाई नहीं हो रही है।
महाराष्ट्र के उद्धव सरकार ने मंत्रियों के बीच मनभेद खत्म करने के लिए काफी महत्वपूर्ण फैसला लिया है। सरकार ने कहा कि अंतर्कलह को रोकने के लिए नई 'महा विकास अघाड़ी समन्वय समिति' का गठन किया जाएगा। सरकार को उम्मीद है कि इससे महाराष्ट्र सरकार में रोज आ रही परेशानियों को हल किया जा सकेगा।
खबर के मुताबिक, इसमें कई प्रमुख मंत्रियों को जगह मिलेगी। शिवसेना-एनसीपी-कांग्रेस मंत्रियों के बीच रोज अनबन की खबरें आ रही हैं, इन्हें दूर करने के लिए नई पहल की जा रही है।
आपको बता दें कि सरकार के मंत्रियों की परेशानी कम करने तथा संजय राउत के बयानों पर लगाम लगाने के लिए एक नई समन्वय समिति बनाने का निर्णय सभी दलों के नेताओं ने मिलकर लिया है। इसके पीछे र्क दिया जा रहा है कि सरकार में रहते कांग्रेस मंत्रियों, कार्यकर्ताओं और पदाधिकारियों की सुनवाई नहीं हो रही है। उल्टे शिवसेना के सांसद संजय राउत आए दिन बयान देकर रोज कांग्रेस की अग्निपरीक्षा ले रहे हैं। राउत के बयानों का कांग्रेस मंत्रियों और पदाधिकारियों को जवाब देते नहीं बन रहा है। कांग्रेस की मांग है कि शिवसेना राउत पर लगाम लगाए।
बता दें कि पिछले दिनों महाराष्ट्र के लोक निर्माण मंत्री एवं कांग्रेस के वरिष्ठ नेता अशोक चव्हाण ने शनिवार को शिवसेना से जानना चाहा कि विनायक दामोदर सावरकर को लेकर की गई शिवसेना सांसद संजय राउत की टिप्पणी ही क्या पार्टी का आधिकारिक पक्ष है। इससे पहले दोपहर में राउत ने संवाददाताओं से कहा, “सावरकर के विरोधियों को अंडमान सेलुलर जेल (भूतपूर्व) में दो दिन बिताने चाहिए ताकि वे समझ सकें कि अंग्रेजों ने उनके लिए किस तरह की कठिनाइयां पैदा की थीं।”
बयान के कुछ घंटों के भीतर, कांग्रेस ने इस पर पलटवार किया। पार्टी के प्रदेश प्रवक्ता सचिन सावंत ने ट्वीट किया, “सावरकर 1911 से पहले कुछ और थे। कांग्रेस 1923 के बाद की उनकी विचारधारा के खिलाफ हैं।” विवाद के बीच संवाददाताओं से चव्हाण ने कहा कि यह साफ करने की जरूरत है कि क्या राउत का बयान ही शिवसेना का आधिकारिक रुख है।
चव्हाण ने संवाददाताओं से कहा, “(शिवसेना नेता) आदित्य ठाकरे राउत की टिप्पणी पर पहले ही प्रतिक्रिया दे चुके हैं कि वह इस बात से अनभिज्ञ हैं कि किस क्षमता में राउत ने ये टिप्पणियां की कि जो सावरकर को भारत रत्न देने का विरोध कर रहे हैं उन्हें अंडमान जेल भेज देना चाहिए।”