महाराष्ट्रः मंदिर विवाद पर शरद पवार ने पीएम को पत्र लिखा, कहा-राज्यपाल की ‘असंयमित भाषा’ से स्तब्ध, उठाए सवाल

By सतीश कुमार सिंह | Published: October 13, 2020 08:00 PM2020-10-13T20:00:00+5:302020-10-13T20:33:48+5:30

महाराष्ट्र के राज्यपाल भगत सिंह कोश्यारी ने मुख्यमंत्री उद्धव ठाकरे को एक चिट्ठी लिख कर बंद पड़े धार्मिक स्थलों को दोबारा खुलवाने की बात कही थी।

Maharashtra Sharad Pawar wrote PM modi temple Shocked Governor's 'unsympathetic language' | महाराष्ट्रः मंदिर विवाद पर शरद पवार ने पीएम को पत्र लिखा, कहा-राज्यपाल की ‘असंयमित भाषा’ से स्तब्ध, उठाए सवाल

मुख्यमंत्री उद्धव ठाकरे को महाराष्ट्र के राज्यपाल भगत सिंह कोश्यारी द्वारा लिखे गए पत्र की ‘असंयमित भाषा’ से स्तब्ध हैं।

Highlightsमुख्यमंत्री उद्धव ठाकरे को भगवान की ओर से कोई चेतावनी मिली है कि धार्मिक स्थलों को दोबारा खोले जाने को टालते रहें।राज्यपाल को तो यह काम अच्छी तरह करने के लिए ठाकरे की प्रशंसा करनी चाहिए।कोश्यारी राज्य के संवैधानिक प्रमुख हैं। उन्हें यह देखना है कि राज्य में शासन संविधान के अनुसार चल रहा है या नहीं।

मुंबईः एनसीपी प्रमुख शरद पवार ने प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी को मंदिर विवाद पर चिट्ठी लिखी है। राकांपा प्रमुख शरद पवार ने प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी को पत्र लिखकर कहा कि वह धार्मिक स्थलों को खोलने के लिए मुख्यमंत्री उद्धव ठाकरे को महाराष्ट्र के राज्यपाल भगत सिंह कोश्यारी द्वारा लिखे गए पत्र की ‘असंयमित भाषा’ से स्तब्ध हैं।

पवार ने कहा कि गर्वनर के अपने व्यक्तिगत मत हो सकते हैं, लेकिन एक संवैधानिक पद पर बैठे शख्स को अपने भाषा में शब्दों के चयन पर ध्यान देना चाहिए। बता दें कि महाराष्ट्र के राज्यपाल भगत सिंह कोश्यारी ने मुख्यमंत्री उद्धव ठाकरे को एक चिट्ठी लिख कर बंद पड़े धार्मिक स्थलों को दोबारा खुलवाने की बात कही थी। इस पत्र में राज्यपाल कोश्यारी ने लिखा था कि क्या मुख्यमंत्री उद्धव ठाकरे को भगवान की ओर से कोई चेतावनी मिली है कि धार्मिक स्थलों को दोबारा खोले जाने को टालते रहें।

राष्ट्रवादी कांग्रेस पार्टी (राकांपा) के अध्यक्ष शरद पवार ने मंगलवार को प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी को लिखे पत्र में शिकायत की कि महाराष्ट्र के राज्यपाल भगत सिंह कोश्यारी ने राज्य के धार्मिक स्थलों को खोलने के सिलसिले में मुख्यमंत्री उद्धव ठाकरे को लिखे पत्र में ‘असंयमित भाषा’ का इस्तेमाल किया।

मोदी को लिखे पत्र को जारी करने के बाद पवार ने ट्वीट किया, ‘‘यह दुर्भाग्यपूर्ण है कि माननीय राज्यपाल ने मुख्यमंत्री को ऐसा पत्र लिखा है जैसे किसी राजनीतिक पार्टी के नेता को लिखा गया हो।’’ उन्होंने कहा,‘‘ हमारे संविधान के प्रस्तावना में धर्मनिरपेक्ष शब्द को जोड़ा गया ताकि सभी धर्मों के प्रति समानता और संरक्षण प्रदान किया जाए और इसलिए मुख्यमंत्री की कुर्सी को संविधान के इस भाव को कायम रखना चाहिए।’’ पवार ने कहा कि उन्होंने कोश्यारी के पत्र को लेकर अपने रुख से मोदी को अवगत करा दिया है। । पवार ने कहा ‘‘मुझे पूरा विश्वास है कि वह उस भाषा पर ध्यान देंगे जो पत्र में इस्तेमाल की गई है। संवैधानिक पद पर बैठे व्यक्ति को ऐसी भाषा का उपयोग करना शोभा नहीं देता।’’

मुख्यमंत्री को भेजे पत्र में कोश्यारी ने कहा कि उन्हें प्रतिनिधिमंडलों से तीन प्रतिवेदन मिले हैं जिनमें धर्मस्थलों को खोले जाने की मांग की गयी है। उन्होंने पत्र में लिखा है, ‘‘क्या आप अचानक धर्मनिरपेक्ष हो गये?’’ शिवसेना के सांसद संजय राउत ने मंगलवार को कहा कि राज्यपाल भगत सिंह कोश्यारी को सिर्फ यह देखना चाहिए कि महाराष्ट्र में संविधान के अनुसार शासन चल रहा है या नहीं तथा बाकी चीजों की देखभाल के लिए लोगों द्वारा एक निर्वाचित सरकार है। राज्य में उपासना स्थलों को खोलने को लेकर कोश्यारी द्वारा मुख्यमंत्री उद्धव ठाकरे को पत्र लिखने और उस पर ठाकरे के जवाब के आलोक में राउत ने यहां संवाददाताओं से कहा कि शिवेसना का हिंदुत्व दृंढ है और मजबूत बुनियाद पर टिका है तथा उसे इस पर किसी से पाठ की जरूरत नहीं है।

प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के इस बयान, कि अब भी कोविड-19 का खतरा बना हुआ

प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के इस बयान, कि अब भी कोविड-19 का खतरा बना हुआ है, का हवाला देते हुए राउत ने कहा कि स्वास्थ्य चिंता के मद्देनजर लोगों की सुरक्षा का ख्याल रखना ठाकरे की जिम्मेदारी है और राज्यपाल को तो यह काम अच्छी तरह करने के लिए ठाकरे की प्रशंसा करनी चाहिए।

राउत ने कहा, ‘‘ कोश्यारी राज्य के संवैधानिक प्रमुख हैं। उन्हें यह देखना है कि राज्य में शासन संविधान के अनुसार चल रहा है या नहीं। बाकी बातों के लिए लोगों द्वारा निर्वाचित सरकार है। वह निर्णय लेती है।’’ लद्दाख में वास्तविक नियंत्रण रेखा पर चीन की कार्रवाई की खबरों का जिक्र करते उन्होंने कहा कि यह राज्यों के मुख्यमंत्रियों का नहीं बल्कि राष्ट्रपति, प्रधानमंत्री , रक्षा मंत्री और सेना प्रमुख को बताना है कि सेना को ऐसे मामलों में क्या करना चाहिए।

शिवसेना नेता ने कहा कि इसी प्रकार महाराष्ट्र में लोगों द्वारा निर्वाचित सरकार, मुख्यमंत्री एवं मंत्रिपरिषद है जो कोविड-19 संकट पर गौर करके यह तय करेगी कि राज्य में पाबंदियों में कैसे ढील दी जाए। राज्यपाल द्वारा मुख्मयंत्री से यह सवाल करने पर कि क्या वह धर्मनिरपेक्ष हो गये हैं, राउत ने कहा कि क्या कोश्यारी धर्मनिरपेक्ष नहीं हैं।

प्राचीन मंदिर के सामने प्रदर्शन किया

भाजपा की ठाणे इकाई ने कोरोना वायरस का संक्रमण प्रसार रोकने के लिए लगाई गई पाबंदियों में ढील दिए जाने के बावजूद पूजा स्थलों को खोलने के प्रति महाराष्ट्र सरकार की ‘‘अनिच्छा’’ पर विरोध जताते हुए मंगलवार को यहां के एक प्राचीन मंदिर के सामने प्रदर्शन किया। पार्टी कार्यकर्ताओं ने ऐसा ही प्रदर्शन औरंगाबाद में भी किया। भाजपा प्रदर्शनकारियों ने घंटाली मंदिर के सामने प्रदर्शन किया। उनके हाथों में बैनर थे जिन पर लिखा था कि महाराष्ट्र सरकार पूजा स्थलों को बंद रखे हुए है जबकि बार तथा अन्य वाणिज्यिक प्रतिष्ठानों को काम शुरू करने की अनुमति दी जा चुकी है।

भाजपा कार्यकर्ताओं ने विधायकों निरंजन दवखारे और संजय केलकर की अगुवाई में प्रदर्शन के दौरान घंटियां भी बजाईं। कोरोना वायरस का संक्रमण फैलने से रोकने के लिए मार्च में देशव्यापी लॉकडाउन लागू किया गया था और राज्य में तब से ही पूजा स्थल बंद हैं। ऐसा ही प्रदर्शन औरंगाबाद में भाजपा कार्यकर्ताओं ने किया।

औरंगाबाद से मिली खबर के अनुसार, पार्टी विधायक अतुल सावे की अगुवाई में भाजपा कार्यकर्ताओं ने पूजा स्थल खोलने की मांग करते हुए प्रदर्शन किया और भजन गाए। सावे ने बताया ‘‘राज्य सरकार ने पूरे प्रदेश में बार, बाजार, रेस्तरां सहित विभिन्न गतिविधियों को बहाल करने की अनुमति दे दी है लेकिन मंदिरों पर अब भी ताला है।’’ उन्होंने कहा कि मंदिरों से स्थानीय अर्थव्यवस्था को मदद मिलती है और पूजा स्थल फूल विक्रेताओं तथा ऐसे कई अन्य लोगों की आमदनी का जरिया हैं। 

(इनपुट एजेंसी)

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