CAB पारित होने पर महाराष्ट्र के IPS अधिकारी अब्दुर्रहमान ने इस्तीफा देने का किया फैसला, कहा- गुरुवार से नहीं जाऊंगा ऑफिस
By भाषा | Published: December 11, 2019 11:25 PM2019-12-11T23:25:27+5:302019-12-11T23:25:27+5:30
Citizenship Amendment Bill: अब्दुर्रहमान ने कहा, "यह विधेयक भारत के धार्मिक बहुलवाद के खिलाफ है। मैं सभी न्यायप्रिय लोगों से अनुरोध करता हूं कि वे लोकतांत्रिक तरीके से विधेयक का विरोध करें। यह संविधान की मूल भावना के विरुद्ध है।"
महाराष्ट्र कैडर के एक आईपीएस अधिकारी ने बुधवार को कहा कि उन्होंने "सांप्रदायिक और असंवैधानिक" नागरिकता (संशोधन) विधेयक" के खिलाफ विरोध दर्ज कराते हुए सेवा से इस्तीफा देने का फैसला किया है। मुंबई में विशेष पुलिस महानिरीक्षक (आईजीपी) के रूप में तैनात अब्दुर्रहमान ने बयान जारी कर कहा कि वह बृहस्पतिवार से कार्यालय नहीं जाएंगे।
अब्दुर्रहमान ने कहा, "यह विधेयक भारत के धार्मिक बहुलवाद के खिलाफ है। मैं सभी न्यायप्रिय लोगों से अनुरोध करता हूं कि वे लोकतांत्रिक तरीके से विधेयक का विरोध करें। यह संविधान की मूल भावना के विरुद्ध है।"
गौरतलब है कि संसद ने बुधवार को नागरिकता संशोधन विधेयक को मंजूरी दे दी जिसमें अफगानिस्तान, बांग्लादेश और पाकिस्तान से धार्मिक प्रताड़ना के कारण भारत आए हिन्दू, सिख, बौद्ध, जैन, पारसी और ईसाई समुदायों के लोगों को भारतीय नागरिकता प्रदान करने का प्रावधान है। राज्यसभा ने बुधवार को विस्तृत चर्चा के बाद इस विधेयक को पारित कर दिया। सदन ने विधेयक को प्रवर समिति में भेजे जाने के विपक्ष के प्रस्ताव और संशोधनों को खारिज कर दिया।
विधेयक के पक्ष में 125 मत पड़े जबकि 105 सदस्यों ने इसके खिलाफ मतदान किया। लोकसभा इस विधेयक को पहले ही पारित कर चुकी है। इससे पहले गृह मंत्री अमित शाह ने कहा कि भारत के मुसलमान भारतीय नागरिक थे, हैं और बने रहेंगे।
उन्होंने कहा कि उन तीनों देशों में अल्पसंख्यकों की आबादी में खासी कमी आयी है। शाह ने कहा कि विधेयक में उत्पीड़न का शिकार हुए अल्पसंख्यकों को नागरिकता प्रदान करने का प्रावधान है। शाह ने इस विधेयक के मकसदों को लेकर वोट बैंक की राजनीति के विपक्ष के आरोपों को खारिज करते हुए देश को आश्वस्त किया कि यह प्रस्तावित कानून बंगाल सहित पूरे देश में लागू होगा।
उन्होंने इस विधेयक के संविधान विरूद्ध होने के विपक्ष के आरोपों को खारिज करते हुए कहा कि संसद को इस प्रकार का कानून बनाने का अधिकार स्वयं संविधान में दिया गया है। उन्होंने यह भी उम्मीद जतायी कि यह प्रस्तावित कानून न्यायालय में न्यायिक समीक्षा में सही ठहराया जाएगा। उन्होंने कहा कि मुस्लिमों को चिंता करने की कोई आवश्यकता नहीं है क्योंकि वे भारत के नागरिक हैं और बने रहेंगे।