महाराष्ट्रः दिलीप पाटिल हो सकते हैं नए गृह मंत्री! अनिल देशमुख ने दिया इस्तीफा, शरद पवार लेंगे फैसला
By सतीश कुमार सिंह | Published: April 5, 2021 04:12 PM2021-04-05T16:12:55+5:302021-04-05T20:15:58+5:30
पूर्व पुलिस आयुक्त परमबीर सिंह ने गृह मंत्री अनिल देशमुख पर 100 करोड़ रुपये वसूलने का आरोप लगाया था। अनिल देशमुख को अपनी कुर्सी से हटने के लिए मजबूर होना पड़ा।
मुंबईः एनसीपी नेता दिलीप वालसे पाटिल महाराष्ट्र के नए गृह मंत्री होंगे। इससे पहले आज एनसीपी नेता अनिल देशमुख ने बॉम्बे हाईकोर्ट द्वारा उनके खिलाफ भ्रष्टाचार के आरोपों की सीबीआई जांच के आदेश के बाद महाराष्ट्र के गृह मंत्री से इस्तीफा दे दिया है।
राज्यपाल भगत सिंह कोश्यारी ने अनिल देशमुख का त्यागपत्र स्वीकार कर लिया। राष्ट्रवादी कांग्रेस पार्टी के वरिष्ठ नेता दिलीप वलसे पाटिल को सोमवार को महाराष्ट्र के गृह मंत्रालय का प्रभार सौंपा गया। इससे पहले दिन में महाराष्ट्र के गृह मंत्री अनिल देशमुख ने मुंबई के पूर्व पुलिस आयुक्त परमबीर सिंह के वसूली संबंधी आरोपों पर उच्च न्यायालय द्वारा सीबीआई जांच का आदेश दिए जाने के बाद सोमवार को अपने पद से इस्तीफा दे दिया था।
अजीत पवार को आबकारी विभाग का प्रभार
मुख्यमंत्री कार्यालय ने एक बयान में कहा कि मुख्यमंत्री उद्धव ठाकरे ने अनिल देशमुख का त्यागपत्र राज्यपाल भगत सिंह कोश्यारी को भेजा और इसे स्वीकार करने का अनुरोध किया। साथ ही मुख्यमंत्री ने पत्र में वलसे पाटिल को गृह विभाग का प्रभार सौंपे जाने का भी उल्लेख किया। वर्तमान में वलसे पाटिल आबकारी एवं श्रम मंत्रालय का प्रभार संभाल रहे हैं। बयान के मुताबिक, अब श्रम मंत्रालय का प्रभार ग्रामीण विकास मंत्री हसन मुशरिफ जबकि आबकारी विभाग का प्रभार उप मुख्यमंत्री अजित पवार संभालेंगे।
दिलीप वालसे पाटिल को गृह विभाग का प्रभार दिया गया है। अजीत पवार को आबकारी विभाग का प्रभार दिया गया है। राजनीतिक हलकों में चर्चा है कि गृह मंत्री कौन होगा। शरद पवार के वफादार प्रदेश अध्यक्ष जयंत पाटिल और राजेश टोपे का नाम सबसे आगे हैं। आरआर पाटिल के बाद गृह मंत्री रह चुके जयंत पाटिल को कठिन समय के दौरान जिम्मेदारियों को संभालने का अनुभव है।
जबकि राजेश टोपे ने कोविड समय में बेहतर काम किया है। दोनों ही शरद पवार के बहुत करीबी हैं। गृह मंत्री के पद की दौड़ में एक और नाम है, कोल्हापुर के हसन मुश्रीफ के साथ, श्रम मंत्री और पूर्व विधानसभा अध्यक्ष दिलीप वालसे पाटिल हैं।
महाराष्ट्र के गृह मंत्री अनिल देशमुख ने इस्तीफा दिया
महाराष्ट्र के गृह मंत्री अनिल देशमुख ने सोमवार को उद्धव ठाकरे के नेतृत्व वाले मंत्रिमंडल से इस्तीफा दे दिया। राकांपा ने यह जानकारी दी। इससे पहले बंबई उच्च न्यायालय ने मुंबई के पूर्व पुलिस प्रमुख परमबीर सिंह द्वारा लगाए गए भ्रष्टाचार और कदाचार के आरोपों पर सीबीआई को 15 दिन के अंदर प्रारंभिक जांच पूरी करने का निर्देश दिया।
राष्ट्रवादी कांग्रेस पार्टी (राकांपा) के नेता एवं राज्य सरकार में वरिष्ठ मंत्री नवाब मलिक ने संवाददाताओं से कहा, ‘‘देशमुख ने राकांपा प्रमुख शरद पवार से कहा है कि पद पर बने रहना ठीक नहीं होगा क्योंकि सीबीआई उनके खिलाफ आरोपों की जांच कर रही है।’’ मलिक ने कहा कि देशमुख ने ठाकरे को अपना इस्तीफा सौंप दिया है।
देशमुख के खिलाफ सीबीआई जांच की मांग की थी
प्रदेश भाजपा प्रमुख चंद्रकांत पाटिल ने कहा कि वह खुश हैं कि देशमुख ने इस्तीफा दे दिया। उन्होंने कहा कि सीबीआई जांच में चौंकाने वाले कई खुलासे होंगे। देशमुख के इस्तीफे की खबर से पहले, भाजपा नेता एवं पूर्व मुख्यमंत्री देवेंद्र फड़नवीस ने कहा कि मुंबई पुलिस के पूर्व प्रमुख के आरोपों पर उच्च न्यायालय द्वारा सीबीआई जांच का निर्देश दिए जाने के बाद महाराष्ट्र के गृह मंत्री को अपने पद से इस्तीफा दे देना चाहिए। सिंह ने 25 मार्च को याचिका दायर कर देशमुख के खिलाफ सीबीआई जांच की मांग की थी।
Maharashtra Home Minister Anil Deshmukh submits resignation to Chief Minister Uddhav Thackeray: NCP sources
— ANI (@ANI) April 5, 2021
(file photo) https://t.co/eCgxRuepwNpic.twitter.com/SsfsFpXNbC
उन्होंने दावा किया था कि देशमुख ने गिरफ्तार पुलिस अधिकारी सचिन वाजे सहित पुलिस अधिकारियों से बार एवं रेस्तराओं से 100 करोड़ रुपये वसूलने को कहा था। फड़णवीस ने संवाददाताओं से कहा, ‘‘प्रारंभिक जांच में सच्चाई सामने आ जाएगी। उच्च न्यायालय के आदेश के बाद देशमुख के लिए मंत्री पद पर बने रहना उचित नहीं है।
उन्हें जांच का सामना करना चाहिए और अगर निर्दोष पाए जाते हैं तो फिर से मंत्रालय में वापस आएं।’’ उन्होंने कहा कि राकांपा के नेता अगर इस्तीफा देने से इनकार करते हैं तो मुख्यमंत्री उद्धव ठाकरे को देशमुख से इस्तीफा देने के लिए कहना चाहिए। फड़नवीस ने कहा कि ठाकरे सरकार ने महाराष्ट्र में मामले की सीबीआई जांच की अनुमति नहीं दी लेकिन बंबई उच्च न्यायालय और उच्चतम न्यायालय के पास इस तरह के जांच का आदेश देने की शक्ति है।