Maharashtra Ladli Behna Yojana 2024: ‘लाडकी बहिण योजना’ से सभी महिला को फायदा!, बंबई उच्च न्यायालय ने सीए नवीद अब्दुल सईद मुल्ला की याचिका खारिज की

By लोकमत न्यूज़ डेस्क | Published: August 5, 2024 01:20 PM2024-08-05T13:20:50+5:302024-08-05T13:22:00+5:30

Maharashtra Ladli Behna Yojana 2024: मुख्य न्यायाधीश उपाध्याय ने सवाल किया, ‘योजना के लिए धन का आवंटन बजट में किया गया है। बजट बनाना एक विधायी प्रक्रिया है। क्या न्यायालय इसमें हस्तक्षेप कर सकता है?’

Maharashtra Ladli Behna Yojana 2024 All women benefit Bombay High Court rejects petition CA Naveed Abdul Saeed Mulla know what there PIL | Maharashtra Ladli Behna Yojana 2024: ‘लाडकी बहिण योजना’ से सभी महिला को फायदा!, बंबई उच्च न्यायालय ने सीए नवीद अब्दुल सईद मुल्ला की याचिका खारिज की

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Highlightsहम तब तक हस्तक्षेप नहीं कर सकते जब तक कि किसी मौलिक अधिकार का उल्लंघन न हो।याचिकाकर्ता पर कोई जुर्माना नहीं लगा रही है।परिवार की आय 2.5 लाख रुपये से कम है।

Maharashtra Ladli Behna Yojana 2024: बंबई उच्च न्यायालय ने सोमवार को कहा कि महाराष्ट्र सरकार की ‘लाडकी बहिण योजना’ (लाड़ली बहन योजना) महिलाओं के लिए एक लाभकारी योजना है और इसे भेदभावपूर्ण नहीं कहा जा सकता। मुख्य न्यायाधीश डी के उपाध्याय और न्यायमूर्ति अमित बोरकर की खंडपीठ ने शहर के चार्टर्ड अकाउंटेंट नवीद अब्दुल सईद मुल्ला द्वारा दायर जनहित याचिका (पीआईएल) को खारिज कर दिया, जिसमें इस योजना को रद्द करने की मांग की गई थी। पीठ ने कहा कि सरकार को किस प्रकार की योजना बनानी है, यह ‘‘न्यायिक समीक्षा’’ के दायरे से बाहर का मामला है। अदालत ने कहा, ‘‘यह एक नीतिगत निर्णय है, इसलिए हम तब तक हस्तक्षेप नहीं कर सकते जब तक कि किसी मौलिक अधिकार का उल्लंघन न हो।’’

पीठ ने जनहित याचिका को खारिज कर दिया, लेकिन कहा कि वह याचिकाकर्ता पर कोई जुर्माना नहीं लगा रही है। ‘मुख्यमंत्री माझी लाडकी बहिण योजना’ के तहत 21 से 65 वर्ष आयु की उन पात्र महिलाओं के बैंक खातों में 1,500 रुपये हस्तांतरित किए जाने की योजना है, जिनके परिवार की आय 2.5 लाख रुपये से कम है। इस योजना की घोषणा राज्य के बजट में की गई थी।

जनहित याचिका में दावा किया गया है कि यह योजना राजनीति से प्रेरित है और वास्तव में यह सरकार द्वारा ‘‘मतदाताओं को रिश्वत’’ देने के लिए शुरू की गई तोहफा योजना है। याचिकाकर्ता के वकील ओवैस पेचकर ने दलील दी कि करदाताओं के धन का इस्तेमाल ऐसी योजनाओं के लिए नहीं किया जाना चाहिए।

हालांकि, उच्च न्यायालय की पीठ ने सवाल उठाया कि क्या अदालत सरकार के लिए योजनाओं की प्राथमिकताएं तय कर सकती है? पीठ ने कहा कि याचिकाकर्ता को मुफ्त और सामाजिक कल्याण योजना के बीच अंतर करना होगा। मुख्य न्यायाधीश उपाध्याय ने कहा, ‘‘क्या हम (अदालत) सरकार की प्राथमिकताएं तय कर सकते हैं? हमें राजनीतिक पचड़े में न डालें...हालांकि यह हमारे लिए लुभावना हो सकता है।’’

उन्होंने कहा, ‘‘सरकार का हर फैसला राजनीतिक होता है।’’ पीठ ने कहा कि एक अदालत के तौर पर वह सरकार से एक या अन्य योजना शुरू करने के लिए नहीं कह सकती। पेचकर ने दावा किया कि यह योजना महिलाओं के बीच भेदभाव करती है क्योंकि केवल वे ही इसका लाभ उठा सकती हैं जिनकी वार्षिक आय 2.5 लाख रुपये से कम है।

इस पर उच्च न्यायालय ने सवाल किया कि 2.5 लाख रुपये प्रति वर्ष कमाने वाली महिला की तुलना 10 लाख रुपये प्रति वर्ष कमाने वाली महिला से कैसे की जा सकती है। उच्च न्यायालय ने कहा, ‘‘यह कुछ महिलाओं के लिए लाभकारी योजना है। यह भेदभाव कैसे है? कोई महिला 10 लाख रुपये कमाती है और कोई दूसरी महिला 2.5 लाख रुपये कमाती है...क्या वे एक ही वर्ग या समूह में आती हैं?

समानता की मांग समान लोगों के बीच की जानी चाहिए। कोई भेदभाव नहीं है।’’ पीठ ने कहा कुछ महिलाएं जो दूसरों से कम कमाती हैं, वे एक ही समूह में नहीं आती हैं, इसलिए ‘‘इस तरह का भेदभाव जायज है।’’ अदालत ने कहा कि यह योजना बजटीय प्रक्रिया के बाद शुरू की गई थी।

मुख्य न्यायाधीश उपाध्याय ने सवाल किया, ‘‘योजना के लिए धन का आवंटन बजट में किया गया है। बजट बनाना एक विधायी प्रक्रिया है। क्या न्यायालय इसमें हस्तक्षेप कर सकता है?’’ पीठ ने कहा कि भले ही वह व्यक्तिगत रूप से याचिकाकर्ता से सहमत हो, लेकिन वह कानूनी रूप से हस्तक्षेप नहीं कर सकती।

Web Title: Maharashtra Ladli Behna Yojana 2024 All women benefit Bombay High Court rejects petition CA Naveed Abdul Saeed Mulla know what there PIL

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