महाराष्ट्र-कर्नाटक सीमा विवाद: सांगली जिले के ग्रामीणों ने कर्नाटक के मुख्यमंत्री के समर्थन में निकाली रैली, कहा- 40 गांवों में सुविधाओं का घोर अभाव है
By भाषा | Published: November 28, 2022 07:41 AM2022-11-28T07:41:17+5:302022-11-28T07:53:54+5:30
वर्ष 1960 में अपने गठन के बाद से ही महाराष्ट्र का बेलगाम (या बेलगावी) जिले और 80 फीसदी मराठी भाषी गांवों को लेकर कर्नाटक से विवाद है। ये इलाके कर्नाटक के नियंत्रण में आते हैं।
सांगलीः महाराष्ट्र में सांगली जिले के जत तालुका में ग्रामीणों के एक समूह ने कर्नाटक के मुख्यमंत्री बसवराज बोम्मई के समर्थन में नारे लगाए और आरोप लगाया कि दशकों से उन्हें पानी, शिक्षा और स्वास्थ्य सेवाएं मयस्सर नहीं हैं।
बोम्मई द्वारा जत तालुका और अक्कलकोट तथा सोलापुर के कुछ ‘‘कन्नड़-भाषी’’ क्षेत्रों को अपने राज्य में मिलाए जाने संबंधी दावा करने के बाद महाराष्ट्र और कर्नाटक के बीच सीमा मुद्दे पर एक नए सिरे से बहस छिड़ गई है। उधर, बसवराज बोम्मई सीमा विवाद के मुद्दे पर होने वाली सुनवाई से पहले वरिष्ठ अधिवक्ता मुकुल रोहतगी से मुलाकात करने के लिए दिल्ली जाएंगे।
कर्नाटक की सीमा से सटे जत तालुका के तिकोंडी गांव के निवासियों ने कहा कि उन्होंने पेयजल, शिक्षा और स्वास्थ्य जैसी बुनियादी सेवाएं उपलब्ध नहीं कराने के लिए शनिवार को महाराष्ट्र के अधिकारियों के खिलाफ रैली की। रैली में भाग लेने वाले सोमलिंग चौधरी ने कहा, ‘‘हम 40 से अधिक गांवों में पानी की समस्या का सामना कर रहे हैं। हमें म्हैसल परियोजना से पानी का वादा किया गया है। हालांकि, चार दशकों के बाद भी हमें पानी नहीं मिला।’’
उन्होंने दावा किया, ‘‘ जत तालुका के 40 गांवों में सुविधाओं का घोर अभाव है। हमारे पास पहली से चौथी कक्षा तक का एक स्कूल है, लेकिन केवल एक शिक्षक है। यहां चिकित्सा केंद्रों में डॉक्टर नहीं हैं। गांव में सिर्फ 10-15 फीसदी लोगों की मूल भाषा मराठी है। हालांकि, वे भी मराठी नहीं बोलते हैं।’’ चौधरी ने कहा, ‘‘अगर महाराष्ट्र सरकार हमें पानी समेत सभी सुविधाएं मुहैया कराती है तो हम उनके साथ (कर्नाटक राज्य) जाने की जिद क्यों करेंगे।’’
कर्नाटक के मुख्यमंत्री बसवराज बोम्मई ने कहा कि वह कर्नाटक और महाराष्ट्र के बीच सीमा विवाद के मुद्दे पर 30 नवंबर को उच्चतम न्यायालय में होने वाली सुनवाई से पहले वरिष्ठ अधिवक्ता मुकुल रोहतगी से मुलाकात करने के लिए दिल्ली जाएंगे। बोम्मई नव नियुक्त ‘कर्नाटक सीमा और नदी गठन आयोग’ के अध्यक्ष और उच्चतम न्यायालय के पूर्व न्यायाधीश न्यायमूर्ति शिवराज पाटिल के साथ पहली बैठक के बाद संवाददाताओं से बात कर रहे थे। मुख्यमंत्री ने कहा, “ मैं 29 नवंबर को दिल्ली जाऊंगा और वरिष्ठ अधिवक्ता मुकुल रोहतगी के साथ मामले से जुड़ी हर चीज के बारे में विस्तार से चर्चा करूंगा।”