महाराष्ट्र: हाईकोर्ट ने पत्रकार के खिलाफ एफआईआर रद्द की, कहा- पुलिस विभाग में मतभेद की रिपोर्ट करना सार्वजनिक शरारत नहीं
By विशाल कुमार | Published: May 9, 2022 08:01 AM2022-05-09T08:01:44+5:302022-05-09T08:03:59+5:30
हाईकोर्ट की खंडपीठ 6 मई को सोलापुर के एक पत्रकार अमोल काशीनाथ व्यावरे द्वारा दायर एक याचिका पर सुनवाई कर रही थी। याचिका में समाचार लेख प्रकाशित करने के लिए उनके खिलाफ शुरू की गई आपराधिक कार्यवाही को रद्द करने की मांग की गई थी।
मुंबई: बॉम्बे हाईकोर्ट ने शुक्रवार को सोलापुर के एक पत्रकार को राहत देते हुए कहा कि पुलिस विभाग के दो विभागों के भीतर दरार के बारे में उनके द्वारा की गई खबरों को आईपीसी की धारा 505 (सार्वजनिक शरारत के लिए बयान) के तहत अपराध नहीं माना जाएगा।
इंडियन एक्सप्रेस की रिपोर्ट के अनुसार, हाईकोर्ट की खंडपीठ 6 मई को सोलापुर के एक पत्रकार अमोल काशीनाथ व्यावरे द्वारा दायर एक याचिका पर सुनवाई कर रही थी। याचिका में समाचार लेख प्रकाशित करने के लिए उनके खिलाफ शुरू की गई आपराधिक कार्यवाही को रद्द करने की मांग की गई थी।
पुलिस के अनुसार, एक मराठी समाचार पत्र में प्रकाशित दो लेख सोलापुर पुलिस के दो विभागों के अधिकारियों के बीच दरार से संबंधित हैं।
लेख में अपराध शाखा द्वारा कथित छापेमारी का उल्लेख किया गया था जिसमें कुछ पुलिसकर्मियों को नशे में पाया गया था और दावा किया कि शहर की अपराध शाखा के अधिकारियों और पुलिस उपायुक्त (डीसीपी) के बीच झगड़ा हुआ था।
लेखों में कहा गया है कि अपराध शाखा कार्यालय से जुड़े पुलिस कर्मचारी अपराध शाखा के वरिष्ठ अधिकारियों के निर्देशों का पालन नहीं कर रहे थे, लेकिन डीसीपी के प्रति वफादार थे।