महाराष्ट्र में सीबीआई बिना इजाजत नहीं कर सकती जांच, उद्धव ठाकरे सरकार ने वापस ली सामान्य सहमति

By रामदीप मिश्रा | Published: October 22, 2020 07:16 AM2020-10-22T07:16:20+5:302020-10-22T08:55:44+5:30

सीबीआई को रोकने का निर्णय सीएम उद्धव ठाकरे की अध्यक्षता में हुई बैठक में लिया गया और इसमें मुख्य सचिव संजय कुमार, सीएम अजॉय मेहता के मुख्य सलाहकार और सीएम के अतिरिक्त मुख्य सचिव आशीष कुमार सिंह ने भाग लिया था।

Maharashtra govt blocks CBI from probing cases in state without seeking ‘consent’ | महाराष्ट्र में सीबीआई बिना इजाजत नहीं कर सकती जांच, उद्धव ठाकरे सरकार ने वापस ली सामान्य सहमति

फोटोः ट्विटर

Highlights महाराष्ट्र सरकार ने दिल्ली विशेष पुलिस प्रतिष्ठान के सदस्यों को एक कानून के तहत राज्य में शक्तियों और न्यायक्षेत्र के इस्तेमाल की सहमति को वापस लेने संबंधी एक आदेश बुधवार को जारी किया। शोक चव्हाण का कहना है कि विचार-विमर्श के बाद यह निर्णय लिया गया कि सीबीआई को दी गई सहमति को राज्य के बड़े हितों में तत्काल प्रभाव से वापस ले लिया जाना चाहिए।

मुंबईः महाराष्ट्र सरकार ने दिल्ली विशेष पुलिस प्रतिष्ठान के सदस्यों को एक कानून के तहत राज्य में शक्तियों और न्यायक्षेत्र के इस्तेमाल की सहमति को वापस लेने संबंधी एक आदेश बुधवार को जारी किया। सूत्रों के अनुसार इस कदम के तहत सीबीआई को अब राज्य में शक्तियों और न्यायाक्षेत्र के इस्तेमाल के लिए आम सहमति नहीं होगी जो महाराष्ट्र सरकार द्वारा 22 फरवरी 1989 को जारी एक आदेश के तहत दी गई थी और उसे किसी मामले की जांच के लिए राज्य सरकार की अनुमति लेनी होगी। 

अभिनेता सुशांत सिंह राजपूत मौत मामले की जांच पहले मुंबई पुलिस कर रही थी। लेकिन बाद में मामला पटना में अभिनेता के पिता द्वारा दर्ज कराये गए एक प्राथमिकी के आधार पर सीबीआई के सुपुर्द कर दिया गया था। सूत्रों के अनुसार अब अगर सीबीआई किसी मामले की जांच करना चाहती है तो उसे सहमति के लिए राज्य सरकार से संपर्क करना होगा। उन्होंने कहा कि पश्चिम बंगाल और राजस्थान जैसे राज्य पहले ही ऐसे कदम उठा चुके हैं। 

सीबीआई को रोकने का निर्णय सीएम उद्धव ठाकरे की अध्यक्षता में हुई बैठक में लिया गया और इसमें मुख्य सचिव संजय कुमार, सीएम अजॉय मेहता के मुख्य सलाहकार और सीएम के अतिरिक्त मुख्य सचिव आशीष कुमार सिंह ने भाग लिया था।

इस संबंध में अशोक चव्हाण का कहना है कि विचार-विमर्श के बाद यह निर्णय लिया गया कि सीबीआई को दी गई सहमति को राज्य के बड़े हितों में तत्काल प्रभाव से वापस ले लिया जाना चाहिए। हमने टीआरपी घोटाले की चल रही जांच पर चर्चा की है। आशंका व्यक्त की गई थी कि सीबीआई जांच को संभाल सकती है इसलिए यह महसूस किया गया कि 1989 में सीबीआई को दी गई सहमति वापस ले ली जानी चाहिए। मुझे बताया गया है कि महाराष्ट्र उन कुछ राज्यों में से है, जिन्होंने सहमति वापस ले ली है।

एक वरिष्ठ सरकारी अधिकारी का कहना है कि इसके परिणामस्वरूप सीबीआई टीआरपी घोटाले में पूछताछ के लिए एकतरफा कदम नहीं उठा पाएगी। बताया जा रहा है कि महाराष्ट्र की उद्धव ठाकरे सरकार नहीं चाहती कि टीआरपी घोटाले की जांच सीबीआई को सौंपी जाए। 

बता दें, इस महीने की शरुआत में टीआरपी में हुई हेराफेरी का मामला सामने आया है। मुंबई पुलिस ने रिपब्लिक टीवी पर टीआरपी में हेराफेरी के आरोप लगाए हैं, जिसके बाद उसके खिलाफ जांच शुरू की गई। इसी बाद यहविवाद शुरू हुआ है। उत्तर प्रदेश पुलिस ने भी मंगलवार को एक विज्ञापन कंपनी के प्रमोटर की शिकायत का मामला सीबीआई को सौंप दिया है।

Web Title: Maharashtra govt blocks CBI from probing cases in state without seeking ‘consent’

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