महाराष्ट्र: मुंबई में प्लाज्मा थेरपी वाली कोरोना के पहले मरीज की मौत, केंद्र सरकार ने इसको लेकर पहले ही दी थी चेतावनी

By पल्लवी कुमारी | Published: May 1, 2020 09:38 AM2020-05-01T09:38:30+5:302020-05-01T09:38:30+5:30

स्वास्थ्य मंत्रालय ने हाल ही में प्रेस कॉन्फ्रेंस के जरिए बताया था कि प्लाज्मा थेरेपी को कोरोना वायरस का इलाज मान लिया जाए, इसके बारे में कोई ठोस सबूत मेडिकल साइंस के पास नहीं है।

Maharashtra first Covid-19 patient treated with plasma dies in Mumbai | महाराष्ट्र: मुंबई में प्लाज्मा थेरपी वाली कोरोना के पहले मरीज की मौत, केंद्र सरकार ने इसको लेकर पहले ही दी थी चेतावनी

प्रतीकात्मक तस्वीर

Highlightsप्लाज्मा थेरपी में स्वस्थ हो चुके कोविड-19 के मरीज से रक्त प्लाज्मा गंभीर रूप से बीमार व्यक्ति को चढ़ाया जाता है।  भारतीय चिकित्सा अनुसंधान परिषद (आईसीएमआर) ने कोविड-19 के इलाज में प्लाज्मा थेरपी पर रिसर्च कर रही है।

मुंबई: महाराष्ट्र के मुंबई में जिस पहले कोरोना वायरस के मरीज को प्लाज्मा थेरपी दी गई थी, गुरुवार (30 अप्रैल) तड़के उसकी मौत हो गई। ये महाराष्ट्र का पहला ऐसा कोरोना मरीज था, जिसको प्लाज्मा थेरपी दी गई थी। 53 वर्षीय मृत मरीज मुंबई के लीलावती अस्पताल में पिछले 10 दिनों से वेंटीलेटर पर था। प्लाज्मा थेरपी में स्वस्थ हो चुके कोविड-19 के मरीज से रक्त प्लाज्मा गंभीर रूप से बीमार व्यक्ति को चढ़ाया जाता है। 

अस्पताल से मिली जानकारी के अनुसार, मरीज को देरी से इलाज के लिए अस्पताल लाया गया था। उसे कोरोना के कारण निमोनिया हो गया था, नतीजतन उसकी स्थिति बिगड़ती गई। जांच में कोरोना की पुष्टि होने के बाद उसकी हालत में जब कोई सुधार नहीं हुआ तो  इंडियन काउंसिल ऑफ मेडिकल रिसर्च (आईसीएमआर) से ट्रायल के लिए प्लाज्मा थेरपी की अनुमति मिलने के बाद इस मरीज को प्लाज्मा चढ़ाया गया था।

200 एमएल प्लाज्मा चढ़ाया गया

टाइम्स ऑफ इंडिया में छपी रिपोर्ट के मुताबिक मरीज को 200 एमएल प्लाज्मा चढ़ाया गया था। आगे उसे और प्लाज्मा देना था, लेकिन उसकी स्थिति बिगड़ती देख ऐसा नहीं किया जा सका।

लीलावती अस्पताल के सीओओ डॉ. वी रविशंकर ने कहा कि मरीज को दस दिन पहले बेहद गंभीर हालत में अस्पताल लाया गया था। "हमने हर संभव दवा के साथ उसका इलाज करने की कोशिश की। हमने प्लाज्मा दिया लेकिन उसकी स्थिति में कोई सुधार नहीं हुआ। बुधवार की आधी रात के करीब मरीज का निधन हो गया।'

केंद्र सरकार ने कहा था- प्लाज्मा थेरेपी को उपचार मानने के लिए सबूत नहीं हैं

स्वास्थ्य मंत्रालय ने हाल ही में किए अपने प्रेस कॉन्फ्रेंस में कहा था कि फिलहाल इस बात के पर्याप्त सबूत नहीं है कि प्लाज्मा थेरेपी को कोरोना वायरस का उपचार स्वीकार कर लिया जाएं। मंत्रालय ने इस बात को लेकर सावधान किया कि प्लाज्मा थेरेपी देने में यदि उपयुक्त दिशानिर्देशों का पालन नहीं किया गया तो उसके जान जोखिम में डालने वाले प्रभाव हो सकते हैं। 

परीक्षण के दौर से गुजर रही यह थेरेपी इस सिद्धांत पर कार्य करती है कि स्वास्थ्य लाभ प्राप्त कर चुके व्यक्ति के प्लाज्मा के एंटीबाडी का इस्तेमाल कर बीमार व्यक्ति में स्वस्थ व्यक्ति से रोग प्रतिरोधकता अंतरित की जा सकती है। 

दरअसल ऐसी उम्मीद बन रही थी कि प्लाज्मा थेरेपी कोविड-19 के लिए संभावित उपचार हो सकती है क्योंकि दिल्ली सरकार ने कहा था कि उसे कुछ मरीजों पर उत्साहवर्धक नतीजे मिले हैं। राजस्थान और कर्नाटक समेत कुछ अन्य राज्यों ने परीक्षण शुरू किया है । उत्तर प्रदेश के मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ ने भी अधिकारियों को प्लाज्मा थेरेपी को बढ़ावा देने का निर्देश दिया और कई स्थानों पर प्लाज्मा बैंक बनाने के लिए भी कदम उठाये जा रहे हैं। इस बीमारी से उबर चुके कई लोगों ने दूसरों के उपचार के लिए अपना प्लाज्मा देने की पेशकश की है। 

आईसीएमआर  प्लाज्मा थेरेपी पर कर रहा है रिसर्च 

स्वास्थ्य मंत्रालय में संयुक्त सचिव लव अग्रवाल ने कहा कि भारतीय चिकित्सा अनुसंधान परिषद (आईसीएमआर) ने कोविड-19 के इलाज में इस पद्धति की प्रभावशीलता का पता लगाने के लिये राष्ट्रीय स्तर पर अध्ययन शुरु किया है। लेकिन जबतक अध्ययन पूरा नहीं हो जाता और ठोस वैज्ञानिक सबूत नहीं मिल जाता तब तक इस थेरेपी का बस शोध या परीक्षण के लिए उपयोग किया जाए। 
 

Web Title: Maharashtra first Covid-19 patient treated with plasma dies in Mumbai

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