महाराष्ट्र किसान प्रदर्शन: पैरों के घाव पोंछकर मुम्बईवासियों ने जीत लिया भारत का दिल
By लोकमत समाचार हिंदी ब्यूरो | Published: March 13, 2018 10:55 AM2018-03-13T10:55:47+5:302018-03-13T11:04:00+5:30
Maharashtra Farmer's Protest: जल -जंगल और ज़मीन की लड़ाई को लेकर महाराष्ट्र की राजधानी पहुंचे हज़ारों किसानों के पैर भर गए हैं. उनके पास चप्पलें नहीं हैं और छाले पड़ गए हैं. लेकिन, शहरवासियों का मन इन गाँववालों के साथ है. मुंबई की भीषण भागमभाग के बीच किसानों की राजनीतिक लड़ाई में वे अपनी जिम्मेदारी कुछ इस तरह से निभा रहे हैं कि मिसाल कायम हो गई है.
मुंबई, 13 मार्च: तपती धूप में नासिक से 150 किलोमीटर पैदल चलनेवाले किसानों के पैरों में घाव हो गए हैं, क्योंकि उनमें से अधिकतर के पैरों में चप्पल नहीं है. कई लोगो ने घायल पैरों पर पट्टियां बांध ली हैं. बूढ़े से बूढ़े किसान, महिला हों या पुरुष, अपनी आवाज़ सत्ता तक पहुंचाने के लिए यहाँ पहुंचे हैं.
जोगेश्वरी के जनता जागृति मंच के सदस्यों ने नंगे पैर मार्च कर रहे किसानों के लिए चप्पलें दान करवाईं हैं. कुछ लोग उन्हें बिस्किट पानी से लेकर भोजन तक उपलब्ध करवा रहे हैं. ठाणे मतदाता जागरण मंच ने 500 किलो अनाज आजाद मैदान में पहुंचाया है. जहां कल रात से किसानों का डेरा है. जनता जागृति मंच के सदस्य आईटी कंपनी में काम करने वाले कमलेश ने बताया कि मार्च में कई लोग चप्पलों को धागे से बाँधकर चल रहे हैं, तो कई लोग नंगे पैर हैं.
लगभग 4000 लोगो को व्हाट्सएप से दिए गए संदेश के बाद स्वयंसेवक उनसे चप्पलें लेकर किसानों को दे रहे हैं. कमलेश ने कहा - "किसान हमें खाना देते हैं, आज उन्हें हमारी ज़रुरत है. वे हमारे देश का चेहरा हैं. अगर वे नहीं बचे हैं, तो क्या बचेगा?"
सैकड़ों सामाजिक संस्थाओं से लेकर राजनीतिक संगठनों ने सुबह के नाश्ते से लेकर दोपहर और फिर रात के भोजन की व्यवस्था की. शेतकरी कामगार पक्ष ने दोपहर के भोजन के लिए सवा लाख भाखरी और चटनी पहुंचवाई। सुबह से शिवसेना के विभागाध्यक्ष पांडुरंग सपकाल ने बिस्किट, पानी और एम्बुलेंस की व्यवस्था की. समाजवादी पार्टी के कार्यकर्ताओं ने सुबह का नाश्ता और दोपहर में पूड़ी - सब्जी की व्यवस्था की.
सिख संगठन 'खालसा एड' ने सुबह से शाम तक पानी पीने की व्यवस्था की. विविध सामाजिक सस्थाओं ने आंदोलनकारियों को बिस्किट, जूस, फल, पीने का पानी और नाश्ते की व्यवस्था की. जमायते उलेमा ए महाराष्ट्र की ओर से 50 से अधिक कार्यकर्ताओं ने फल, नाश्ता, जूस और पीने के पानी का वितरण किया। संस्था के अध्यक्ष मोहम्मद अयूब ने कहा कि दुनिया का पेट भरनेवाले किसान की जाति न धर्म। उनकी वजह से हमारा पेट भरता है.