महाराष्ट्र: फड़नवीस सरकार में लिए गए निर्णय सवालों के घेरे में, 6146 करोड़ रुपये के प्रोजेक्ट को मंजूरी देने में जल्दबाजी क्यों?
By लोकमत समाचार ब्यूरो | Published: December 7, 2019 08:16 AM2019-12-07T08:16:48+5:302019-12-07T08:16:48+5:30
Devendra Fadnavis: महाराष्ट्र में देवेंद्र फड़नवीस सरकार के दौरान लिए गए कई फैसले सवालों के घेरे में हैं, उन्हें इतनी जल्दबाजी में क्यो लिया गया
अतुल कुलकर्णी, मुंबई: मुख्यमंत्री उद्धव ठाकरे द्वारा शुक्रवार को ली गई बैठक में यह सवाल उठे कि पूर्ववर्ती भाजपा सरकार के कार्यकाल में जलसंपदा विभाग ने 6148 करोड़ रुपये की परियोजनाओं को मंजूरी देते समय मंत्रिमंडल की बैठक के मिनट्स को मंजूरी मिलने की प्रतीक्षा न करते हुए जीआर जारी करने के निर्देश कैसे दिए गए?
ईपीसी (व्यय अग्र समिति) की मंजूरी ने लेते हुए यह कैसे किया गया? किसी भी परियोजना को संशोधित प्रशासकीय मंजूरी देने के लिए जो तय पद्धति है उसका इसमें पालन क्यों नहीं किया गया?
यह स्पष्ट है कि तत्कालीन मंत्री अजित पवार ने जलसंपदा विभाग की परियोजनाओं को मंजूरी देने के लिए जो पद्धति तय की थी उसका पालन नहीं किया गया, इसलिए जनमंच ने याचिका की।
भाजपा सरकार ने जाते-जाते कुछ इसी तरह के काम किए हैं, इसलिए वही नियम पिछली सरकार पर लागू होंगे या नहीं। एक वरिष्ठ मंत्री ने सवाल उठाया है।
इस संपूर्ण मामले के दस्तावेज मंत्रालय में भेजने के आदेश दिए गए थे। एक अधिकारी ने बताया कि सभी फाइलें संबंधित लोगों को भेज दी गई हैं।
मंत्री ने कहा कि जलगांव के शेलगांव बैरेज मध्यम परियोजना के 968.97 करोड़ रुपये के खर्च को संशोधित प्रशासकीय मंजूरी दी गई। लेकिन इस कार्य पर गंभीर शिकायतें थीं। उनका निवारण न करते हुए मंत्रिमंडल की मंजूरी कैसे ली गई।
ठाणे जिले की भातसा सिंचाई परियोजना के लिए 1491.95 करोड़ रुपये के खर्च को छठवीं बार संशोधित प्रशासकीय मंजूरी दी गई। कुकड़ी परियोजना की 10 वर्ष, टेंभू की 6 से 7 वर्ष तथा विदर्भ की कई परियोजनाओं की संशोधित मंजूरी की फाइलें दो-दो वर्ष घूमती रहीं, फिर इसी परियोजना की फाइल को तेजी से मंजूरी कैसे दी गई?