Maharashtra Crisis: बागी एकनाथ शिंदे की याचिका पर डिप्टी स्पीकर और महाराष्ट्र सरकार को नोटिस, 11 जुलाई को अगली सुनवाई
By सतीश कुमार सिंह | Published: June 27, 2022 03:14 PM2022-06-27T15:14:38+5:302022-06-27T15:22:28+5:30
Maharashtra Crisis: शिवसेना के बागी विधायकों ने न्यायालय के फैसलों का हवाला देते हुए कहा कि उद्धव ठाकरे नीत समूह ‘अल्पमत’ में है और सरकारी तंत्र को ‘नष्ट करने की कोशिश’ कर रहा है।
Maharashtra Crisis: महाराष्ट्र की सियासी लड़ाई तेज हो गई है। सुप्रीम कोर्ट में सुनवाई जारी है। शिवसेना के बागी विधायकों ने न्यायालय के फैसलों का हवाला देते हुए कहा कि उद्धव ठाकरे नीत समूह ‘अल्पमत’ में है और सरकारी तंत्र को ‘नष्ट करने की कोशिश’ कर रहा है।
सुप्रीम कोर्ट ने डिप्टी स्पीकर नरहरि जिरवाल द्वारा एकनाथ शिंदे और 15 अन्य बागी विधायकों के खिलाफ जारी अयोग्यता नोटिस के खिलाफ बागी विधायकों द्वारा दायर याचिका पर डिप्टी स्पीकर, महाराष्ट्र राज्य विधानसभा के सचिव, केंद्र और अन्य को नोटिस जारी किया।
Supreme Court also issues notice to Shiv Sena leaders Ajay Chaudhary, Sunil Prabhu and asks them to file a reply within five days. Supreme Court lists the plea for hearing on July 11th.
— ANI (@ANI) June 27, 2022
सुप्रीम कोर्ट ने शिवसेना नेताओं अजय चौधरी, सुनील प्रभु को भी नोटिस जारी कर पांच दिनों के भीतर जवाब दाखिल करने को कहा है। सुप्रीम कोर्ट ने 11 जुलाई को सुनवाई के लिए याचिका सूचीबद्ध की। शिवसेना के बागियों ने नबाम रेबिया फैसले का हवाला देते हुए कहा कि विधानसभा के उपाध्यक्ष को अयोग्यता याचिका पर निर्णय करने का अधिकार नहीं है।
शिंदे और शिवसेना के विधायकों का बड़ा हिस्सा 22 जून से असम की राजधानी गुवाहाटी के एक होटल में डेरा डाले हुए है। बागी विधायकों ने राज्य की महा विकास आघाड़ी (एमवीए) गठबंधन सरकार के खिलाफ मोर्चा खोल दिया है जिससे सरकार गिरने का खतरा उत्पन्न हो गया है।
एकनाथ शिंदे के नेतृत्व वाला विद्रोही समूह मांग कर रहा है कि शिवसेना को महा विकास आघाड़ी गठबंधन (एमवीए) से हट जाना चाहिए, लेकिन शिवसेना सुप्रीमो और मुख्यमंत्री उद्धव ठाकरे ने हार मानने से इनकार कर दिया है और पार्टी ने अब असंतुष्टों से कहा है कि वे इस्तीफा दें और फिर से चुनाव लड़ें। एमवीए में कांग्रेस और राकांपा भी शामिल हैं।
महाराष्ट्र विधानसभा सचिवालय ने इन बागी विधायकों को अयोग्य ठहराये की मांग पर शनिवार को 16 बागी विधायकों को 'समन' जारी कर 27 जून की शाम तक लिखित जवाब मांगा था। शिंदे ने महाराष्ट्र विधान सभा के सदस्यों (दलबदल के आधार पर अयोग्यता) नियम, 1986 के प्रावधानों के ‘मनमाने और अवैध’ इस्तेमाल को चुनौती देते हुए अपनी याचिका में कहा कि वह संविधान के अनुच्छेद 32 के तहत इस न्यायालय के अधिकार क्षेत्र का उपयोग करने के लिए विवश हैं।
उनका कहना है कि विधानसभा उपाध्यक्ष द्वारा विधायकों को अयोग्य ठहराये जाने के लिए शुरू की गयी प्रक्रिया संविधान के अनुच्छेद 14 और 19(1)(जी) का पूरी तरह से उल्लंघन है। याचिका में तर्क दिया गया है कि फरवरी 2021 में नाना पटोले के पद से इस्तीफा देने के बाद से अध्यक्ष की सीट खाली है और किसी अन्य के पास यह अधिकार नहीं है कि वह अयोग्यता याचिका पर निर्णय ले सके, जिसके तहत याचिकाकर्ता को नोटिस जारी किया गया है।