महाराष्ट्र: 50:50 समझौते पर संजय राउत का पलटवार, कहा, 'अमित शाह ने मोदी को भी अंधेरे में रखा'
By अभिषेक पाण्डेय | Published: November 14, 2019 02:26 PM2019-11-14T14:26:46+5:302019-11-14T14:26:46+5:30
Sanjay Raut: शिवसेना नेता संजय राउत ने कहा है कि अमित शाह ने उद्धव ठाकरे के साथ हुए समझौते को लेकर पीएम मोदी को भी अंधेरे में रखा
शिवसेना नेता संजय राउत ने केंद्रीय गृह मंत्री और बीजेपी अध्यक्ष अमित शाह पर आरोप लगाया है कि उन्होंने शिवसेना प्रमुख उद्धव के साथ हुए सत्ता-साझेदारी के समझौते को लेकर पीएम नरेंद्र मोदी को अंधेरे में रखा।
संजय राउत का ये बयान अमित शाह द्वारा बुधवार को शिवसेना की उस आलोचना के बाद आया है, जिसमें उन्होंने कहा था कि जब पीएम मोदी विधानसभा चुनाव प्रचार अभियान के दौरान अपने भाषणों में बार-बार देवेंद्र फड़नवीस के महाराष्ट्र का मुख्यमंत्री बनने की बात कह रहे थे तो शिवसेना क्यों नहीं बोली थी।
संजय राउत ने साधा अमित शाह पर निशाना
हिंदुस्तान टाइम्स की रिपोर्ट के मुताबिक, राउत ने शाह के सवाल पर जवाबी सवाल दागते हुए पूछा, 'उद्धव ठाकरे भी कह रहे थे कि शिवसेना का मुख्यमंत्री होगा। तब बीजेपी ने क्यों विरोध नहीं किया था?'
राउत ने कहा, 'हमारे मन में मोदी के लिए सबसे ज्यादा सम्मान है और ये अपमानजनक होता अगर हम उनके बयान से विरोधाभासी कदम उठाते।'
राउत ने कहा, 'ऐसा लगता है कि अमित शाह ने बैठक में जो समझौता हुआ था उसके बारे में मोदी को नहीं बताया था।'
बिना अमित शाह का नाम लिए, संजय राउत ने कहा कि कुछ तत्व पीएम मोदी और उद्धव ठाकरे के बीच दरार उत्पन्न करने पर जुटे थे।
राउत ने भावनात्मक कार्ड खेलने की कोशिश करते हुए कहा कि मातोश्री के जिस कमरे में ये बैठक हुई थी वह शिवसेना के संस्थापक बाल ठाकरे का था, जो पार्टी के लिए मंदिर की तरह है।
बीजेपी-शिवसेना के बीच सीएम पद को लेकर हुआ था विवाद
दोनों पार्टियों के बीच विवाद शिवसेना के इस दावे के बाद पैदा हुआ कि बीजेपी ने उसके साथ 50:50 फॉर्मूले के तहत सत्ता-साझेदारी की समझौता किया था और दोनों पार्टियों को ढाई-ढाई साल सीएम पद मिलना तय हुआ था।
बीजेपी ने शिवसेना की इस मांग को मानने से इनकार कर दिया था और कहा था कि उनके बीच ऐसी कोई डील नहीं हुई थी।
इसके बाद शिवसेना ने सरकार बनाने के लिए कांग्रेस और एनसीपी से पिछले दरवाजे से बातचीत शुरू की थी। यहां तक कि शिवसेना ने मोदी सरकार में अपने एकमात्र मंत्री अरविंद सावंत को भी वापस बुला लिया था।
राज्यपाल भगत सिंह कोश्यारी ने पहले सरकार बनाने के लिए बीजेपी और शिवसेना और फिर एनसीपी को बुलाया था। लेकिन इनमें से कोई भी तुरंत बहुमत का संख्याबल साबित पेश नहीं कर पाया। मंगलवार को राज्यपाल की सिफारिश पर राज्य में राष्ट्रपति शासन लगा दिया गया।
अब शिवसेना, एनसीपी और कांग्रेस सरकार बनाने की कोशिशों में न्यूनतम साझा कार्यक्रम तैयार करने में लगी हैं।