स्कूली दिनों की जादूगरी से 'राजनीति के जादूगर' कैसे बन गए अशोक गहलोत, जानें जिंदगी का सफरनामा!

By लोकमत समाचार ब्यूरो | Published: December 15, 2018 10:53 AM2018-12-15T10:53:33+5:302018-12-15T10:55:28+5:30

स्कूली दिनों में जादूगरी करने वाले गहलोत को 'राजनीति का जादूगर' भी कहा जाता है, जो कांग्रेस को विकट से विकट हालात से निकाल लाते रहे हैं.

Magical Ashok Gehlot broke the caste myths of politics and reached the top, journey of life! | स्कूली दिनों की जादूगरी से 'राजनीति के जादूगर' कैसे बन गए अशोक गहलोत, जानें जिंदगी का सफरनामा!

स्कूली दिनों की जादूगरी से 'राजनीति के जादूगर' कैसे बन गए अशोक गहलोत, जानें जिंदगी का सफरनामा!

Highlightsस्कूली दिनों में जादूगरी करने वाले गहलोत को 'राजनीति का जादूगर' भी कहा जाता हैमूल रूप से जोधपुर के रहने वाले गहलोत 1998 से 2003 और 2008 से 2013 तक राजस्थान के दो बार मुख्यमंत्री रह चुके हैं.तीन मई 1951 को जन्मे गहलोत ने अपने राजनीतिक जीवन की शुरुआत 1974 में एनएसयूआई के प्रदेश अध्यक्ष के रूप में की थी.

जयपुर, 14 दिसंबर: कांग्रेस पार्टी ने शुक्रवार को आखिरकार जादूगर पिता के पुत्र अशोक गहलोत को राजस्थान का नया मुख्यमंत्री बनाने का फैसला कर लिया. यह फैसला न तो आसान था और न ही जल्दबाजी में हुआ. कांग्रेस के राष्ट्रीय अध्यक्ष राहुल गांधी ने कार्यकर्ताओं, विधायकों व पर्यवेक्षकों के साथ लंबे विचार विमर्श के बाद अंतत: जमीनी नेता की छवि रखने वाले गहलोत पर विश्वास जताया. राजस्थान की राजनीति के जातीय मिथकों को तोड़कर शीर्ष तक पहुंचे गहलोत को राज्य के शीर्ष नेताओं में से एक माना जाता है. वह तीसरी बार मुख्यमंत्री बन रहे हैं और अब तक की उनकी छवि 'छत्तीस कौमों' यानी समाज के सभी वर्गों को साथ लेकर चलने वाले नेता की रही है.

स्कूली दिनों में जादूगरी करने वाले गहलोत को 'राजनीति का जादूगर' भी कहा जाता है, जो कांग्रेस को विकट से विकट हालात से निकाल लाते रहे हैं. अपनी इसी खासियत के चलते वह गांधी परिवार के बहुत करीबी माने जाते हैं और जरूरत पड़ने पर पार्टी ने उन्हें कई महत्वपूर्ण जिम्मेदारियां सौंपी हैं. दरअसल साल 2013 के विधानसभा और फिर 2014 के लोकसभा चुनाव में पार्टी की हार के बावजूद गहलोत ने राज्य में कांग्रेस की प्रासंगिकता न केवल बनाए रखी, बल्कि उसे नये सिरे से खड़ा होने में बड़ी भूमिका निभाई. इस बार राज्य के विधानसभा चुनाव में अगर कांग्रेस बहुमत के जादुई आंकड़े के पास पहुंची तो उसमें गहलोत की राजनीतिक सूझबूझ व कौशल का बड़ा योगदान माना गया है.

पिछले कुछ समय से कांग्रेस के महासचिव (संगठन) का पदभार संभाल रहे गहलोत को जमीनी नेता और अच्छा संगठनकर्ता माना जाता है. मूल रूप से जोधपुर के रहने वाले गहलोत 1998 से 2003 और 2008 से 2013 तक राजस्थान के दो बार मुख्यमंत्री रह चुके हैं. पहली बार 1998 में राजस्थान के मुख्यमंत्री बने थे गहलोत पहली बार 1998 में राजस्थान के मुख्यमंत्री बने. उस समय कांग्रेस को 150 से ज्यादा सीटें मिली थीं और गहलोत पार्टी के प्रदेशाध्यक्ष थे. तब परसराम मदेरणा नेता प्रतिपक्ष थे. उस समय भी पार्टी आलाकमान ने गहलोत पर भरोसा जताया था. दूसरी बार दिसंबर 2008 में कांग्रेस फिर सत्ता में लौटी. उस समय भी कई नेता मुख्यमंत्री पद की होड़ में थे. अंतत: जीत गहलोत की ही हुई थी और वह मुख्यमंत्री बने.

तीन मई 1951 को जन्मे गहलोत ने अपने राजनीतिक जीवन की शुरुआत 1974 में एनएसयूआई के प्रदेश अध्यक्ष के रूप में की थी. वह 1979 तक इस पद पर रहे, गहलोत कांग्रेस पार्टी के जोधपुर जिला अध्यक्ष रहे और 1982 में प्रदेश कांग्रेस कमेटी के महासचिव बने. उसी दौरान 1980 में गहलोत सांसद बने. इसके बाद वे लगातार पांच बार जोधपुर से सांसद रहे. गहलोत ने 1999 में जोधुपर की ही सरदारपुरा सीट से विधानसभा का चुनाव लड़ा और लगातार पांचवीं बार वहां से जीते हैं.

Web Title: Magical Ashok Gehlot broke the caste myths of politics and reached the top, journey of life!

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