मध्य प्रदेश चुनावः बुझ गई देवकीनंदन ठाकुर की ज्वाला, करणी सेना के युवा भी हुए शांत
By राजेंद्र पाराशर | Published: November 20, 2018 07:23 AM2018-11-20T07:23:13+5:302018-11-20T07:23:13+5:30
मध्यप्रदेश में जैसे-जैसे विधानसभा चुनाव के लिए मतदान की तारीख समीप आ रही है, वैसे-वैसे चुनाव की तासीर भी बदलती जा रही है। प्रदेश में इस बार चुनाव के पहले जिन दलों की अगुवाई में भाजपा और कांग्रेस के खिलाफ माहौल निर्मित कर चुनाव मैदान में उतरने का दावा करने वाले सामाजिक संगठनों के नेता अब मौन हो गए हैं।
मध्यप्रदेश में विधानसभा चुनाव के लिए जिस तरह से देवकीनंदन ठाकुर ने राज्य के ग्वालियर में बड़ी सभा के बाद सवर्ण समाज में जो ज्वाला भड़की थी वह अब बुझ गई है। साथ ही करणी सेना द्वारा युवाओं में जो जोश भरा था वह जोशीली क्रांति भी प्रदेश में अब नजर नहीं आ रही है। वहीं सपाक्स पार्टी को जो प्रत्याशी मिले भी तो उन्होंने अब सपाक्स से दूरी बनाना शुरु कर दी है। सपाक्स के समर्थन प्राप्त अब तक दो प्रत्याशियों ने मैदान छोड़ चुके हैं। वहीं सपा, गोंडवाना गणतंत्र पार्टी के साथ गठबंधन कर मैदान में उतरने की तैयारी करने वाली राकांपा भी मध्यप्रदेश में चुनाव मैदान से बाहर हो गई है।
ठाकुर की पार्टी हुई कमजोर
मध्यप्रदेश में जैसे-जैसे विधानसभा चुनाव के लिए मतदान की तारीख समीप आ रही है, वैसे-वैसे चुनाव की तासीर भी बदलती जा रही है। प्रदेश में इस बार चुनाव के पहले जिन दलों की अगुवाई में भाजपा और कांग्रेस के खिलाफ माहौल निर्मित कर चुनाव मैदान में उतरने का दावा करने वाले सामाजिक संगठनों के नेता अब मौन हो गए हैं। कथावाचक देवकीनंदन ठाकुर ने जहां ग्वालियर में रानी लक्ष्मीबाई के समाधी के सामने फूलबाग में एक बड़ी सभा का सवर्ण समाज में एक्ट के खिलाफ जो ज्वाला फूंकी थी, वह ज्वाला भी अब शांत होती नजर आ रही है। देवकीनंदन ठाकुर ने सभी 230 विधानसभा सीटों पर अपने प्रत्याशी मैदान में उतारने का दावा कर भाजपा को चिंता में डाला था, मगर जब वे भोपाल आकर उज्जैन गए तो उनके तेवर ही कमजोर पड़ गए। इसके बाद जब चुनाव प्रक्रिया शुरू हुई तो उन्हें मात्र 6 स्थानों पर प्रत्याशी मिले। जो प्रत्याशी देवकीनंदन ठाकुर की पार्टी सर्व समाज कल्याण पार्टी को मिले उनकी स्थिति भी कमजोर ही नजर आ रही है।
करणी सेना ने छोड़ा मैदान
करणी सेना ने भी आरक्षण के मुद्दे को लेकर जमकर विरोध किया और मंत्रियों का इस तरह घेराव कर डाला कि सरकार चिंता में आ गई। यहां तक की भाजपा का केन्द्रीय नेतृत्व ही चिंतित हो गया था। करणी सेना का साथ सपाक्स समाज के लोगों ने भी दिया और जगह-जगह विधायकों, सांसदों और मंत्रियों का घेराव करना शुरु हो गया था। इस विरोध ने ऐसी चिंता बढ़ाई कि सरकार और राजनीतिक दल विशेषकर कांग्रेस भी चिंतित हुई। चुनाव के पूर्व इन संगठनों की नाराजगी जबदस्त नजर आ रही थी, मगर चुनाव प्रक्रिया शुरु होते ही वर्तमान में करणी सेना के वरिष्ठ नेता केवल बयानों तक सीमित नजर आ रहे हैं। पहले तो करणी सेना और सपाक्स मिलकर निर्दलीय उम्मीदवारों को समर्थन देने की बात कहते रहे, मगर निर्दलीय उम्मीदवार ही इन संगठनों से दूर होते नजर आ रहे हैं।
सपाक्स का दो निर्दलियों ने छोड़ा साथ
सपाक्स संगठन से राजनीतिक दल के रुप में आकार लेने वाली सपाक्स पार्टी को पहले तो प्रदेश के 230 विधानसभा क्षेत्रों में प्रत्याशी ही नहीं मिले। इसके चलते नामांकन की प्रक्रिया समाप्त होने तक जैसे-तैसे सपाक्स ने 138 प्रत्याशियों के नामांकन भराए। इनमें से 29 प्रत्याशियों के नामांकन ही खारिज हो गए हैं। अब सपाक्स के 109 प्रत्याशी मैदान में हैं, इसके अलावा निर्दलीय प्रत्याशियों को सपाक्स अपना समर्थन दे रही है, मगर निर्दलीय प्रत्याशी भी अब उससे छिटक रहे हैं। हाल यह है कि अब तक दो निर्दलीय प्रत्याशियों ने मैदान ही छोड़ दिया है। पहले सपाक्स को छटका दिया विदिशा जिले के शमशाबाद विधानसभा क्षेत्र से पूर्व वित्त मंत्री राघवजी भाई ने अपना नामांकन वापस लेकर, इसके बाद दूसरा छटका रविवार को सपाक्स को उस वक्त लगा जब इंदौर में प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी के मंच पर सपाक्स समर्थक निर्दलीय प्रत्याशी मधु गहलोत ने भाजपा की सदस्यता ग्रहण कर चुनाव मैदान से हटने की बात कही। कांग्रेस छोड़कर बागी होते हुए निर्दलीय उम्मीदवार के रुप में मैदान में उतरे गहलोत को सपाक्स और करणी सेना ने अपना समर्थक दिया था, मगर वे भी एन वक्त पर मैदान छोड़ गए।
राकांपा भी मैदान से हुई बाहर
राष्ट्रवादी कांग्रेस पार्टी (एनसीपी) ने भी चुनाव से पहले 200 विधानसभा क्षेत्रों में प्रत्याशी उतारने का दावा किया था। इसके बाद समाजवादी पार्टी और गोंडवाना गणतंंत्र पार्टी के साथ गठबंधन कर सिवनी विधानसभा क्षेत्र से एक प्रत्याशी मैदान में उतारने का फैसला लिया, मगर सपा और गोंगपा से गठबंधन नहीं हो पाया।इसके बाद राकांपा ने 52 प्रत्याशियों की घोषणा भी की, मगर चुनाव प्रक्रिया शुरु होते ही राकांपा ने मैदान छोड़ दिया। राकांपा के प्रदेश अध्यक्ष राजू भटनागर ने बताया कि राकांपा के राष्ट्रीय अध्यक्ष शरद पवार ने राष्ट्रीय पदाधिकारियों की बैठक में यह फैसला लिया है कि राकांपा कांग्रेस प्रत्याशियों को अपना समर्थन देगी।