क्या कोरोना वायरस बना बहाना, मध्य प्रदेश के सियासी घमासान से जुड़ा है संसद सत्र स्थगित न करने का फैसला!
By नितिन अग्रवाल | Published: March 17, 2020 08:46 AM2020-03-17T08:46:55+5:302020-03-17T08:46:55+5:30
सियासी विश्लेषकों का मानना है कि यदि संसद सत्र को कोरोना संक्रमण के खतरे के चलते रोका गया, तो मध्यप्रदेश विधानसभा के सत्र को 26 मार्च तक टालने के फैसले को आधार मिल जाएगा.
केंद्र की नरेंद्र मोदी सरकार ने साफ कर दिया कि कोरोना संक्रमण के चलते संसद सत्र को स्थगित नहीं किया जाएगा. ऐसा तब है, जब सत्र जारी रखने के लिए सरकार के पास कोई बहुत महत्वपूर्ण कामकाज बाकी नहीं है. संसदीय कार्य मंत्री प्रह्लाद जोशी ने कहा कि संसद का बजट सत्र पूर्व निर्धारित कार्यक्रम के तहत जारी रहेगा. सरकार स्थिति पर लगातार निगरानी कर रही है. सरकार के फैसले को मध्यप्रदेश के सियासी घमासान से जोड़कर देखा जा रहा है.
सियासी विश्लेषकों का मानना है कि यदि संसद सत्र को कोरोना संक्र मण के खतरे के चलते रोका गया, तो मध्यप्रदेश विधानसभा के सत्र को 26 मार्च तक टालने के फैसले को आधार मिल जाएगा. विश्लेषकों का कहना है कि जब भाजपा मध्यप्रदेश विधानसभा अध्यक्ष एन.पी. प्रजापति के सदन की कार्यवाही टालने के फैसले को सुप्रीम कोर्ट में चुनौती दे रही है, तो केंद्र में सत्तारूढ़ भाजपा की सरकार के संसद सत्र स्थगित करने से अलग संदेश जाएगा.
उधर, कांग्रेस ने अपने पक्ष को मजबूत करने के लिए गुजरात में भी कोरोना के खतरे के चलते विधानसभा सत्र स्थगित करने की मांग उठाई, जिसे खारिज कर दिया गया.
संसद में शुरू हुई थर्मल स्क्रीनिंग
सांसदों की मांग और खतरे को देखते हुए संसद के सभी प्रवेश द्वारों पर सोमवार से आगंतुकों की थर्मल स्क्रूीनिंग शुरू भी कर दी गई. इससे परिसर में आने वाले हर व्यक्ति के शरीर के तापमान की जांच की जा रही है. एक सुरक्षा अधिकारी ने बताया कि इस जांच में यदि किसी आगंतुक को बुखार होने की पुष्टि होती है तो उसे परिसर में जाने से मना करने के साथ ही इसकी जानकारी उच्च स्तर को देने का निर्देश दिया गया है.