बदलाव की सुगबुगाहट, तेज हुई खींचतान, सिंधिया की राह रोकने को कई नेता अध्यक्ष बनने के लिए सक्रिय
By राजेंद्र पाराशर | Published: June 1, 2019 04:21 AM2019-06-01T04:21:01+5:302019-06-01T04:21:01+5:30
लोकसभा चुनाव में हार के बाद से प्रदेश कांग्रेस अध्यक्ष पद के लिए बदलाव की बात उठने लगी थी. ज्योरादित्य समर्थकों ने तो सिंधिया के नाम को लेकर खुलकर मांग शुरु कर दी थी. इन समर्थकों का कहना था कि सिंधिया को प्रदेश कांग्रेस का अध्यक्ष बनाया जाए. सिंधिया के नाम को लेकर जैसे ही समर्थकों द्वारा मांग तेज की गई, वैसे ही कमलनाथ समर्थकों अब खुलकर मोर्चा खोला है.
मध्यप्रदेश कांग्रेस में प्रदेश अध्यक्ष के बदलाव की सुगबुगाहट के बीच खींचतान भी तेज हो चली है. ज्योतिरादित्य सिंधिया की राह रोकने के लिए कई नेताओं ने अपने दावेदारी करना शुरु कर दिया है. वहीं इस पद के लिए एक बार फिर आदिवासी नेता को अध्यक्ष बनाने की मांग भी उठने लगी है.
लोकसभा चुनाव में हार के बाद से प्रदेश कांग्रेस अध्यक्ष पद के लिए बदलाव की बात उठने लगी थी. ज्योरादित्य समर्थकों ने तो सिंधिया के नाम को लेकर खुलकर मांग शुरु कर दी थी. इन समर्थकों का कहना था कि सिंधिया को प्रदेश कांग्रेस का अध्यक्ष बनाया जाए. सिंधिया के नाम को लेकर जैसे ही समर्थकों द्वारा मांग तेज की गई, वैसे ही कमलनाथ समर्थकों अब खुलकर मोर्चा खोला है.
कमलनाथ समर्थक राज्य के लोक निर्माण मंत्री सज्जन सिंह वर्मा वैसे तो सिंधिया के नाम पर अपनी सहमति जताते हैं, मगर वे कहते हैं कि वे स्वयं भी इस पद के लायक हैं. इतना ही नहीं उन्होंने इस पद के लिए गृह मंत्री बाला बच्चन का नाम भी सुझा दिया है. इसके अलावा वरिष्ठ नेता कांतिलाल भूरिया, सुरेश पचौरी, अरुण यादव पहले से ही इस पद के लिए कतार में हैं, तो दिग्विजय सिंह समर्थक अजय सिंह भी इस पद के लिए सक्रियता दिखा रहे हैं.
कुछ नेताओं ने इस पद के लिए आदिवासी कार्ड भी खेला है. इसके तहत बाला बच्चन का नाम ये नेता सुझा रहे हैं. बाला बच्चन भी मुख्यमंत्री कमलनाथ के समर्थक हैं. इन नेताओं के अलावा एक नाम उच्च शिक्षा मंत्री जीतू पटवारी का भी चला है. वैसे कहा जा रहा है कि पटवारी कांग्रेस के राष्ट्रीय अध्यक्ष राहुल गांधी के करीबी हैं, इस लिहाज से अगर ज्यादा बात बिगड़ी तो पटवारी का नाम भी राहुल गांधी तय कर सकते हैं.
बावरिया की भी हो सकती है छुट्टी
मध्यप्रदेश कांग्रेस में बदलाव को लेकर यह कहा जाने लगा है कि संगठन में अब बहुत कुछ बदलाव होगा. इस बदलाव को प्रदेश अध्यक्ष कमलनाथ के अलावा प्रदेश प्रभारी दीपक बावरिया के रुप में भी देखा जा रहा है. कमलनाथ के साथ-साथ दीपक बावरिया से भी प्रदेश की कमान वापस ली जाने की तैयारी हो चुकी है.
सूत्रों की माने तो लोकसभा चुनाव में हार के बाद बदलाव को लेकर जब बात उठी तो कमलनाथ के साथ-साथ दीपक बावरिया पर भी ऊंगली उठी है. कहा यह जा रहा है कि बावरिया के साथ-साथ प्रदेश संगठन में भी बड़े पैमाने पर बदलाव होेंगे. नया अध्यक्ष बनने के बाद हर स्तर पर बदलाव होगा और सभी नेताओं की जिम्मेदारी तय की जाएगी, ताकि भविष्य में परिणाम मिल सके.