जानें क्यों महंगा पड़ा मध्यप्रदेश CM कमलनाथ की राजनीतिक यात्रा का बखान करना?
By राजेंद्र पाराशर | Published: November 20, 2019 05:02 AM2019-11-20T05:02:18+5:302019-11-20T05:02:18+5:30
मुख्यमंत्री कमलनाथ के जन्मदिन पर राजधानी के कुछ समाचार पत्रों में प्रदेश कांग्रेस की ओर से विज्ञापन प्रकाशित कराए गए थे. इस विज्ञापन में मुख्यमंत्री कमलनाथ की राजनीतिक यात्रा का बखान किया गया था.
मध्यप्रदेश के मुख्यमंत्री कमलनाथ के जन्मदिन पर सोमवार को कुछ समाचार पत्रों में विज्ञापन देकर मुख्यमंत्री की राजनीतिक यात्रा का बखान करना प्रदेश कांग्रेस को महंगा पड़ गया. विज्ञापन में प्रकाशिक कुछ बातों पर जब पार्टी में ही आपत्ति हुई तो आज मंगलवार को उन गलतियों को सुधारा और फिर से एक-एक पेज के विज्ञापन कांग्रेस ने प्रकाशित कराए.
दरअसल मुख्यमंत्री कमलनाथ के जन्मदिन पर राजधानी के कुछ समाचार पत्रों में प्रदेश कांग्रेस की ओर से विज्ञापन प्रकाशित कराए गए थे. इस विज्ञापन में मुख्यमंत्री कमलनाथ की राजनीतिक यात्रा का बखान किया गया था. विज्ञापन में कुछ बातों को लेकर विवाद की स्थिति बन गई थी. सोमवार को कांग्रेस नेताओं और प्रदेश कांग्रेस की ओर से इसे लेकर भाजपा का षडयंत्र बताया गया था. प्रदेश कांग्रेस के उपाध्यक्ष चंद्रप्रभाष शेखर ने तो इस बात से साफ इंकार ही कर दिया था कि प्रदेश कांग्रेस ने कोई विज्ञापन प्रकाशित नहीं कराया है. सोमवार को प्रदेश कांग्रेस कार्यालय द्वारा लगातार यह बयान दिया जाता रहा कि कांग्रेस ने यह विज्ञापन प्रकाशित नहीं कराया है, लेकिन मंगलवार को फिर से अखबारों में गलती सुधार के साथ यह विज्ञापन प्रकाशित कराया गया.
भड़के कमलनाथ, बावरिया ने भी लगाई क्लास
बताया जाता है कि अखबार में छपे प्रदेश कांग्रेस के विज्ञापन की प्रति मुख्यमंत्री कमलनाथ को भेजी गई थी. कमलनाथ मनाली में थे और जन्मदिन पर मत्था टेकने के लिए केदारनाथ निकलने वाले थे. मनाली में जब विज्ञापन की कापी उन तक पहुंची, तो वह भड़क गए थे. अखिल भारतीय कांग्रेस कमेटी के महासचिव और मध्यप्रदेश के प्रभारी दीपक बावरिया ने भी प्रदेश कांग्रेस के पदाधिकारियों की जमकर क्लास ली थी. विज्ञापन में कांग्रेस अध्यक्ष सोनिया गांधी और पूर्व अध्यक्ष राहुल गांधी के अलावा बावरिया का भी फोटो प्रकाशित किया गया था. सूत्रों की माने तो मुख्यमंत्री ने इस मामले को गंभीरता से लिया और वे यात्रा से वापस लौटने के बाद पूरे मामले को लेकर दोषियों पर गाज गिरना तय माना जा रहा है.
जिन बातों को लेकर हुआ था विवाद
विज्ञापन में लिखा है कि 1980 में 34 साल की उम्र में पहली बार छिंदवाड़ा से सांसद का चुनाव जीते 9 बार लोकसभा के सदस्य चुने गए. लेकिन इसमें हार का भी जिक्र है. 1996 में वो सुंदरलाल पटवा से चुनाव हार गए थे. विज्ञापन में ये क्यों लिखा गया, इस पर सवाल उठा है. साथ ही एक और घटना का जिक्र है, जिस पर भी आपत्ति उठाई गई है कि आपातकाल के बाद 1979 में जनता पार्टी की सरकार के दौरान संजय गांधी को कोर्ट ने तिहाड़ जेल भेज दिया. इंदिरा गांधी, संजय गांधी की सुरक्षा को लेकर चिंतित थी. कमलनाथ जानबूझ कर एक जज से लड़ पड़े और उन्हें भी तिहाड़ जेल भेज दिया वो यहां संजय गांधी के साथ रहे. साथ ही यह भी लिखा है कि 1993 में कमलनाथ के मुख्यमंत्री बनने की चर्चा थी. बताया जाता है कि तब अर्जुन सिंह ने दिग्विजय सिंह का नाम आगे कर दिया. इस तरह कमलनाथ उस समय मुख्यमंत्री बनने से चूक गए थे. अब 25 साल बाद दिग्विजय के समर्थन के बाद उन्हें मुख्यमंत्री बनने का मौका मिला.
गलती सुधार कर कमलनाथ के बारे में यह बताया
मध्यप्रदेश कांग्रेस कमेटी द्वारा आज मंगलवार को जो विज्ञापन प्रकाशित कराया गया, उसमें ‘कमलनाथ के बारे में वे बामें, जो बनाती है, उन्हें बेहद खास...’ शीर्षक से इन बातों को कहा गया है. विज्ञापन में कहा है कि कमलनाथ एक धैर्यशील नेता हैं, उनकी उच्च प्रशासनिक क्षमता, प्रबंधन कौशल, तीक्ष्ण, राजनैतिक सूझबूझ और कर्मठ व्यक्तित्व की वजह से वे आज मध्यप्रदेश के मुख्यमंत्री पद पर आसीन है. कमलनाथ साल 1980 में 34 साल की उम्र में छिंदवाड़ा से पहली बार सांसद का चुनाव जीते. वे 9 बार लोकसभा के लिए चुने गए. पूर्व प्रधानमंत्री इंदिरा गांधी कमलनाथ को राजीव गांधी और संजय गांधी के बाद अपना तीसरा बेटा मानती थीं. 1991 से 1995 तक वे नरसिंम्हाराव सरकार में पर्यावरण मंत्री रहे. इसके बाद वे कपड़ा मंत्री रहे. मनमोहन सरकार में वे वाणिज्य मंत्री चुने गए. इसके बाद उन्हें सड़क परिवहन और राजमार्ग मंत्रालय मिला. साल 2012 में कमलनाथ संसदीय कार्यमंत्री बने. जब वे सांसद थे, तो छिंदवाड़ा से दिल्ली जाने वाली ट्रेन की रवानगी से पहले वे रेलवे स्टेशन पर अक्सर लोगों से मिलते दिखाई देते थे.