मध्य प्रदेश चुनावः टिकट बंटते ही बीजेपी की खुली पोल, कांग्रेस से 57% ज्यादा भाई-भतीजों-बेटों को लड़ाया चुनाव
By शिवअनुराग पटैरया | Published: November 10, 2018 08:53 AM2018-11-10T08:53:06+5:302018-11-10T08:53:06+5:30
भारतीय जनता पार्टी के भीतर से हमेशा यही कहा जाता रहा है कि उनका कार्यकर्ता देवतुल्य है लेकिन टिकट वितरण में इस देवतुल्य देवता के स्थान पर भाजपा में परिवार, कुनबा और पट्ठावाद खूब चला।
मध्य प्रदेश विधानसभा के चुनाव का मैदान सज चुका है। भारतीय जनता पार्टी राज्य की सभी 230 सीटों पर चुनाव लड़ रही है तो कांग्रेस ने जतारा की एक सीट लोकतांत्रिक जनता दल के लिए छोड़ी है और वह 229 सीटों पर मैदान में है। दोनों ही दल विधानसभा चुनाव की घोषणा होने के बाद आम कार्यकर्ताओं को टिकट देने की बात करते रहे हैं।
कांग्रेस में आरजी यानी राहुल गांधी और कमलनाथ के सर्वे के आधार पर टिकट देने की बात की जा रही थी, तो भाजपा में संघ, संगठन और मुख्यमंत्री के सर्वे व फीडबैक को आधार बताया जा रहा था लेकिन जब अंतिम सूचियां सामने आई तो सब कुछ धरा का धरा रह गया। ज्यादातर टिकट मिले तो सिर्फ राजनीतिक परिवारों और गुटों को।
भारतीय जनता पार्टी के भीतर से हमेशा यही कहा जाता रहा है कि उनका कार्यकर्ता देवतुल्य है लेकिन टिकट वितरण में इस देवतुल्य देवता के स्थान पर भाजपा में परिवार, कुनबा और पट्ठावाद खूब चला। जिन्हें मन माफिक टिकट नहीं मिला वे वैचारिक आस्था का धागा तोड़कर दूसरे दलों में शरीक हो गए।
विचार के नाम पर राजनीति करने का दम भरने वाली इस पार्टी के कई बड़े चेहरे इस बार टिकट न मिलने पर मैदान में हैं। इनमें होशंगाबाद से पूर्व केंद्रीय मंत्री सरताज सिंह कांग्रेस के टिकट पर चुनाव लड़ रहे हैं उन्होंने होशंगाबाद जिले के सिवनी मालवा से टिकट मांगा था जब उन्हें ठेंगा दिखा दिया गया तो वे गुरुवार की रात्रि कांग्रेस के प्रत्याशी बन गए।
वे अब भाजपा अध्यक्ष डॉ. सीताशरण शर्मा को चुनौती देंगे। गौरतलब है कि सरताज सिंह भाजपा के उन कद्दावर नेताओं में शरीक हैं जिनके खाते में होशंगाबाद लोकसभा के चुनाव में अर्जुन सिंह को हराना शामिल है। इसके बाद उन्हें अटल बिहारी वाजपेयी की सरकार में केंद्रीय मंत्री बनाया गया था। कुछ इसी तरह खजुराहो के पूर्व भाजपा सांसद जितेंद्र सिंह बिजावर विधानसभा क्षेत्र से टिकट न मिलने पर बागी हो गए हैं। जबलपुर से भारतीय जनता युवा मोर्चा के पूर्व अध्यक्ष पार्टी से त्याग पत्र देकर मैदान में हैं।
एक तरफ जहां भाजपा ने अपने कद्दावर नेताओं की अनसुनी कर उन्हें बागी बना दिया, वहीं पवई और उत्तर भोपाल जैसे विधानसभा क्षेत्रों में अपनो से ज्यादा दूसरों पर भरोसा किया। बुंदेलखंड के पन्ना जिले के पवई विधानसभा क्षेत्र के भाजपा ने समाजवादी पार्टी के प्रत्याशी प्रहलाद पटेल को अपना उम्मीदवार बना दिया। तो भोपाल उत्तर में एक दिन पहले पार्टी में आई फातिमा रसूल सिद्दीकी को उम्मीदवार घोषित कर दिया। ऐसे नहीं कि उन क्षेत्रों में उसके पास अपने कार्यकर्ता नहीं थे, पर किन्हीं अनजाने समीकरणों के चलते दोनों को ही प्रत्याशी बना दिया गया।
बगावत की इन फुलझड़ियों के बीच भाजपा ने कार्यकर्ताओं की जगह अपने स्थापित राजनेताओं के बेटों और परिवारजनों को टिकट दिया। इनमें सबसे बड़ा नाम इंदौर-3 से आकाश विजयवर्गीय का है। उन्हें उनके पिता कैलाश विजयवर्गीय के स्थान पर प्रत्याशी बनाया गया है। अपने बेटे को प्रत्याशी बनाए जाने का बचाव करते हुए कैलाश विजयवर्गीय का कहना है कि उन्होंने अपने बेटे को टिकट दिलाने के लिए खुद की दावेदारी नहीं छोड़ी।
वे कहते हैं कि मैंने खुद इस बार चुनाव लड़ने में कोई रुचि नहीं दिखाई थी। क्योंकि मेरे पास संगठन की कई जवाबदारियां हैं। कैलाश विजयवर्गीय ने आकाश को टिकट देने का फैसला मेरी पार्टी का है। उसके टिकट को लेकर मैंने एक भी बार पार्टी के राष्ट्रीय अध्यक्ष अमित शाह से बात नहीं की।
दरअसल कैलाश विजयवर्गीय के स्थान पर उनके बेटे को टिकट देने का मामला इस लिए महत्वपूर्ण हो जाता है क्योंकि लोकसभा अध्यक्ष सुमित्रा महाजन अपने बेटे मंदार महाजन को आकाश की तरह ही टिकट दिलवाने के लिए अड़ी हुई थीं। इसके कारण इंदौर की सारी सीटें अंतिम दौर तक लटकी रहीं। अंतत: नेतृत्व ने ताई की दावेदारी को दरकिनार करते हुए सिर्फ कैलाश विजयवर्गीय के बेटे को टिकट दिया।
कुछ इसी तरह का नजारा राजधानी के गोविंदपुरा विधानसभा क्षेत्र को लेकर देखने को मिला जहां मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान और भाजपा संगठन की सारी कोशिशों के बावजूद भी पूर्व मुख्यमंत्री बाबूलाल गौर अपनी जगह अपनी बहू कृष्णा गौर को अड़ी डालकर टिकट दिलवाने में कामयाब रहे। इसके लिए उन्होंने यहां तक कह दिया था कि अगर उन्हें टिकट नहीं मिला तो वे गोविंदपुरा से और कृष्णा गौर हुजूर से चुनाव लड़ेंगी।
बाबूलाल गौर ने दबाव बनाने के लिए कांग्रेस के नेताओं से भी बातचीत को खूब प्रचारित किया। उन्हें या उनकी बहू को टिकट कटने या दूसरी पार्टी में जाने की जरूरत नहीं पड़ी, लेकिन पूर्व केंद्रीय मंत्री सरताज सिंह इतने भाग्यशाली नहीं रहे। गोविंदपुरा से मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान की सह पर काम कर रहे मेयर आलोक शर्मा और पर्यटन निगम के अध्यक्ष तपन भौमिक को हाथ मलते रह जाना पड़ा। यही नहीं इस क्षेत्र से संघ के समर्थन से दावेदारी कर रहे बीडी शर्मा भी हाथ मलते रह गए।
भाजपा की तरह कांग्रेस में भी कार्यकर्ताओं को टिकट देने की खूब बात हुई। कांग्रेस अध्यक्ष राहुल गांधी ने मध्यप्रदेश में आयोजित चुनावी सभाओं में कहा कि कार्यकर्ताओं को टिकट दिया जाएगा और किसी पैराशूट से कूदे व्यक्ति को टिकट नहीं मिलेगा। पर अंतिम सूचियां आने के साथ ही यह साफ हो गया कि भाजपा की तरह कांग्रेस में भी आदर्शवाद बेमतलब साबित हुआ। कांग्रेस के भीतर टिकट बंटवारे में गुटों और परिवारों को अहमियत दी गई। कार्यकर्ताओं को तो वहीं जगह मिली जहां बड़े परिवार या गुट का कोई दावेदार नहीं था।
कांग्रेस में एक ही परिवार यानी पूर्व मुख्यमंत्री दिग्विजय सिंह के बेटे जयवर्द्धन सिंह को उनके गृह क्षेत्र राघवगढ़, भाई लक्ष्मण सिंह को चाचोड़ा और भतीजे को खिलचीपुर से प्रत्याशी बनाया गया। लेकिन दूसरे कांग्रेस नेता इतने सौभाग्यशाली नहीं रहे। मध्यप्रदेश में कांग्रेस के एक बड़े चेहरे और ब्राह्मण नेता अपने बेटे नितिन चौधरी को बुंदेलखंड के छतरपुर जिले के राजनगर से चुनाव लड़वाना चाह रहे थे इसके लिए दिग्विजय सिंह की सदारत में काम करने वाली समन्वय समिति ही नहीं खुद दिग्विजय सिंह ने एक समझौता करवाया था जिसके तहत उनके पुराने समर्थक शंकर प्रताप सिंह उर्फ मुन्नाराजा को बिजावर विधानसभा क्षेत्र से और राजनगर से नितिन चतुर्वेदी को टिकट दिलाने की बात पर सहमति हुई थी।
इसके तहत तय हुआ था कि राजनगर के वर्तमान कांग्रेस विधायक विक्रम सिंह नातीराजा को लोकसभा प्रत्याशी बनाया जाएगा। बातचीत में तो यह समझौता ठीक रहा पर जब टिकट घोषित हुए तो सत्यव्रत चतुर्वेदी के बेटे का टिकट काट दिया गया। अपने बेटे को टिकट न मिलने पर नाराज सत्यव्रत ने समाजवादी पार्टी से प्रत्याशी बनवाया और खुद नामांकन दाखिल करवाने पहुंचे। उन्होंने कहा कि मैं सीना ठोककर राजनीति करता हूं पीठ पीछे से वार नहीं करता हूं। उन्होंने बिना दिग्विजय सिंह का नाम लिए कहा कि एक ही परिवार को 3 टिकट दे दिए गए हमने तो अपने बेटे के लिए एक ही टिकट मांगा था।
नाम | सीट | रिश्ता |
कृष्णा गौर | गोविंदपुरा | पूर्व मुख्यमंत्री बाबूलाल गौर की बहू |
अशोक रोहाणी | जबलपुर केंट | पूर्व विधानसभा अध्यक्ष ईश्वरदास रोहाणी के बेटे |
शिवनारायण सिंह | बांधवगढ़ | पूर्व मंत्री और सांसद ज्ञान सिंह के बेटे |
आकाश विजयवर्गीय | इंदौर-3 | कैलाश विजयवर्गीय के बेटे |
यशोधरा राजे सिंधिया | शिवपुरी | राजमाता सिंधिया की बेटी |
राजेश प्रजापति | चंदला | पूर्व विधायक आरडी प्रजापति के बेटे |
सुधीर यादव | सुरखी | सागर के सांसद लक्ष्मीनारायण यादव के बेटे |
अजयसिंह सिकरवार | सुमावली | विधायक सत्यपाल सिकरवार के भाई |
अर्चना सिंह | छतरपुर | जिला भाजपा अध्यक्ष पुष्पेंद्र प्रताप सिंह गुड्डू की पत्नी |
विक्रमसिंह | रामपुर बघेलान | मंत्री हर्ष सिंह के बेटे |
जालम सिंह पटेल | नरसिंहपुर | सांसद प्रहलाद पटेल के भाई |
हेमंत खंडेलवाल | बैतूल | पूर्व सांसद विजय खंडेलवाल के बेटे |
संजय शाह | टिमरनी | मंत्री विजय शाह के भाई |
उमाकांत शर्मा | सिरोंज | पूर्व मंत्री लक्ष्मीकांत शर्मा के भाई |
कुंवर कोठार | सारंगपुर | पूर्व विधायक अमरसिंह कोठार के पुत्र |
गायत्री राजे | देवास | पूर्व मंत्री स्व. तुकोजी राव की पत्नी |
अशीष शर्मा | खातेगांव | पूर्व विधायक गोविंदशर्मा के पुत्र |
देवेंद्र वर्मा | खंडवा | पूर्व मंत्री किशोरीलाल वर्मा के पुत्र |
मंजू दादू | नेपानगर | पूर्व विधायक स्व. राजेंद्र दादू की बेटी |
जितेंद्र पंड्या | बड़नगर | पूर्व विधायक उदय सिंह पंड्या के बेटे |
राजेंद्र पांडेय | जावरा | पूर्व सांसद स्व. लक्ष्मीनारायण पांडे के बेटे |
अर्चना चिटनीस | बुरहानपुर | पूर्व विधानसभा अध्यक्ष बृजमोहन की पुत्री |
भाजपा ने कुल 22 लोगों को परिवार व कुनबावाद के तहत टिकट बांटे।
नाम | सीट | रिश्ता |
जयवर्द्धन सिंह | राघवगढ़ | दिग्विजय सिंह के बेटे |
लक्ष्मण सिंह | चाचौड़ा | दिग्विजय सिंह के भाई |
प्रियव्रत सिंह | खिलचीपुर | दिग्विजय सिंह के भतीजे |
विक्रम भूरिया | झाबुआ | सांसद कांतिलाल भूरिया के बेटे |
कमलेश्वर पटेल | सिहावल | पूर्व मंत्री इंद्रजीत पटेल के बेटे |
ओम रघुवंशी | सिवनी-मालवा | पूर्व मंत्री हजारीलाल रघुवंशी के पुत्र |
सचिन यादव | कसरावद | पूर्व उप मुख्यमंत्री सुभाष यादव के पुत्र |
अरुण यादव | बुदनी | पूर्व मुख्यमंत्री सुभाष यादव के पुत्र |
सुन्दरलाल तिवारी | गूड़ | पूर्व विधानसभा अध्यक्ष श्रीनिवास तिवारी के पुत्र |
अजय सिंह चुरहट | पूर्व मुख्यमंत्री | अर्जुन सिंह के बेटे |
हिना कांवरे | लांजी | पूर्व मंत्री लिखीराम कांवरे की पुत्री |
रजनीश सिंह | केवलारी | पूर्व मंत्री हरवंश सिंह के बेटे |
उमंग सिंगार | गंधवानी | पूर्व उप मुख्यमंत्री जमुना देवी के भतीजे |
अभिजीत शाह | टिमरनी | कांग्रेस नेता अजय शाह के पुत्र |
कांग्रेस ने कुल 14 लोगों को परिवार और कुनबावाद के तहत टिकट बांटे। अगर बीजेपी से इसकी तुलना करें तो पाएंगे कि भाजपा ने कांग्रेस से भी करीब 57 फीसदी ज्यादा परिवार में बांटे टिकट।