MP चुनावः बीजेपी को हार से बचाने के लिए RSS मैदान में उतरा, सवर्ण वोटरों को देगा ये सलाह
By राजेंद्र पाराशर | Published: November 9, 2018 05:53 AM2018-11-09T05:53:50+5:302018-11-09T05:53:50+5:30
मध्यप्रदेश में एट्रोसिटी एक्ट के विरोध के चलते संघ को इस बात की आशंका है कि इस बार चुनाव में भाजपा को सवर्ण वर्ग की नाराजगी का शिकार होना पड़ सकता है।
एट्रोसिटी एक्ट के विरोध में जहां प्रदेश में सवर्ण समाज के कुछ संगठन सक्रिय होकर मतदाता को नोटा का उपयोग करने के लिए कह रहे हैं, वहीं संघ ने लोगों के बीच जाकर नोटा का उपयोग न करने के लिए अभियान छेड़ दिया है। संघ ने मालवा के उन जिलों में सक्रियता बढ़ाई हैं, जहां पर किसान आंदोलन के दौरान गोली चालन की घटना घटित हुई थी और राजस्थान की सीमा से सटे जिलों में संघ के स्वयं सेवक, भाजपा कार्यकर्ताओं के साथ मिलकर यह अभियान चला रहे हैं।
संघ ने खोला मोर्चा
मध्यप्रदेश में एट्रोसिटी एक्ट के विरोध के चलते संघ को इस बात की आशंका है कि इस बार चुनाव में भाजपा को सवर्ण वर्ग की नाराजगी का शिकार होना पड़ सकता है। संघ ने इसके लिए पूर्व में भाजपा पदाधिकारियों से चर्चा की थी, मगर संघ द्वारा बताए फार्मूले के आधार पर भी जब टिकट वितरण भाजपा ने नहीं किया तो संघ की नाराजगी तो दिखाई दे रही है, वहीं संघ ने अब भाजपा के पक्ष में होने वाले नुकसान को दूर करने के लिए मैदान में मोर्चा खोला है।
यहां बीजेपी को नुकसान की आशंका
संघ का एट्रोसिटी एक्ट के चलते भाजपा को नुकसान होने की आशंका मालवा और ग्वालियर-चंबल अंचल में है। इसे देखते हुए बीते दिनों संघ के पदाधिकारियों ने बैठक की और बाद में यह तय किया हे कि इन दोनों अंचलों में एट्रोसिटी एक्ट का विरोध करने वाले सपाक्स पार्टी से दूरी बनाकर नोटा का उपयोग करने के लिए लोगों को प्रेरित कर रह हैं। इसके चलते अब संघ ने यह अभियान शुरु किया है कि वह लोगों को नोटा के दुष्परिणामों को बताएगा और लोगों के बीच जाकर यह कहेगा कि यह देशहित में नहीं है। संघ के स्वयं सेवक मतदाता को यह संदेश देंगे कि नोटा के बजाय आप मतदान करेंगे, किसी प्रत्याशी को वोट दें। साथ ही लोगों के बीच नाराजगी को दूर करने का प्रयास कर मतदाता को भाजपा से जोड़ने का काम ये स्वयं सेवक करेंगे।
यह है संघ की रणनीति
संघ ने रणनीति तय की है कि प्रत्येक गांव में जाकर वह भाजपा कार्यकर्ताओं को साथ लेकर यह अभियान चलाएगा। संघ ने हर गांव में एक कार्यकर्ता और एक स्वयं सेवक को मतदान तक 15-15 घरों में जाकर मतदाता को नोटा का उपयोग न करने की सलाह देने की रणनीति तय की है। संघ के स्वयं सेवक मतदाता को यह बताएंगे कि वह प्रत्याशी को चुने, नोटा का उपयोग न करें।
2013 में खूब दबाया था नोटा
मध्यप्रदेश में 2013 के विधानसभा चुनाव में नोटा के बटन का खासा असर दिखाई दिया था। कई स्थानों पर तो नोटा को मिले मतों के कारण प्रत्याशी की हार तक हुई थी। इस चुनाव में राज्य के सभी 230 विधानसभा क्षेत्रों में 6 लाख 51 हजार 510 मतदाताओं ने नोटा का उपयोग किया था। इसका प्रतिशत 1।40 रहा था। नोटा का सबसे ज्यादा उपयोग छिंदवाड़ा जिले के 7 विधानसभा क्षेत्रों में देखा गया था। इन विधानसभा क्षेत्रों में 39 हजार 235 मतदाताओं ने नोटा का उपयोग किया था। अब जबकि सवर्ण समाज के कुछ संगठनों द्वारा नोटा का उपयोग करने के लिए सवर्ण मतदाता से आह्वान किया जा रहा है तो इस स्थिति में संघ की चिंता इस बात की थी कि अगर सवर्ण मतदाता को समय रहती भाजपा के पक्ष में नहीं लाया गया तो इसका खामियाजा भाजपा प्रत्याशी को उठाना पड़ सकता है।