विधानसभा चुनाव: मायावती मध्य प्रदेश में होंगी 'गेम चेंजर'! चुनावी रूझान ने बनाया दिलचस्प समीकरण
By विनीत कुमार | Published: December 11, 2018 01:46 PM2018-12-11T13:46:31+5:302018-12-11T13:54:52+5:30
कर्नाटक में कुछ महीने पहले जब चुनाव हुए तो जनता दल (एस) के एचडी कुमारास्वामी की जीत में एक छोटा योगदान मायावती का भी रहा।
मध्य प्रदेश विधानसभा चुनाव के बाद जारी मतों की गिनती में जो रूझान सामने आ रहे हैं उसने बेहद दिलचस्प समीकरण बना दिया है। दोपहर एक बजे के रूझान को देखों तो मध्य प्रदेश में बीजेपी और कांग्रेस 109 सीटों के साथ बराबरी पर हैं।
वहीं, मायावती की बहुजन समाज पार्टी 5 सीटों पर आगे चल रही है। 7 सीटों पर अन्य उम्मीदवार आगे हैं। 230 विधानसभा सीट वाले राज्य मध्य प्रदेश में सरकार बनाने के लिए किसी भी दल को 116 विधायकों समर्थन चाहिए। राजस्थान में भी कमोबेश ऐसी ही स्थिति बनती दिख रही है। बसपा राजस्थान में भी करीब 5 सीटों पर आगे है। वहीं, कांग्रेस 96 जबकि बीजेपी 76 सीटों में आगे है।
मायावती भी मध्य प्रदेश की स्थिति को भांप गई हैं और संभवत: इसलिए उन्होंने अपने उम्मीदवारों को दिल्ली बुलाया है। साथ ही ये भी लगभग साफ है कि मायावती बीजेपी को समर्थन नहीं देंगी। ऐसे में कांग्रेस बाजी मार सकती है।
कर्नाटक चुनाव के बाद मायावती बनी बड़ा फैक्टर
कर्नाटक में जब कुछ महीने पहले चुनाव हुए तो जनता दल (एस) के एचडी कुमारास्वामी की जीत में एक छोटा योगदान मायावती का भी रहा। मायावती की पार्टी ने तब चुनाव से पहले जेडी (एस) से गठबंधन किया और उसके एक विधायक एन. महेश ने कोलेगल सीट पर जीत दर्ज की।
अब उत्तर भारत जहां बीजेपी की पैठ पिछले कुछ वर्षों में गहरी हुई है वहां मायावती ने तमाम महागठबंधनों के दावे और मोदी लहर को रोकने की विपक्ष की तैयारी के बीच अकेले दम पर चुनावी मैदान पर उतरने का फैसला किया और नतीजा दिलचस्प है।
मायावती की नजरें मध्य प्रदेश पर तभी लग गई थीं जब उन्होंने पिछले साल किसानों पर पुलिस द्वारा गोली चलाने के मामले में शिवराज सिंह चौहान सरकार को बढ़-चढ़कर घेरना शुरू कर दिया था।
मायावती तब मध्य प्रदेश गईं और फिर विधान सभा चुनाव से पहले राज्य में बड़ी रैलियां भी की। इसमें रीवा और चंबल सहित भोपाल और मोहाकोशाल क्षेत्र में हुई रैलियां शामिल हैं। वैस भी राज्य के मुरैना, रीवा, सतना, दतिया और ग्वालियर में कुछ सीटों पर अच्छी पकड़ रही है।