सत्ता और संगठन में परिवर्तन की आहटों से चौकन्ने हुए कांग्रेसी, ठप पड़ी गतिविधियां
By शिवअनुराग पटैरया | Published: July 3, 2019 08:03 PM2019-07-03T20:03:16+5:302019-07-03T20:03:16+5:30
लोकसभा चुनाव में करारी पराजय के बाद मध्यप्रदेश में कम से कम संगठन के स्तर पर तो कांग्रेस की सियासी गतिविधियों और कार्यक्रमों पर लगाम सी लग गई है.
भोपाल, 3 जुलाईः लोकसभा चुनाव में करारी पराजय के बाद मध्यप्रदेश में कम से कम संगठन के स्तर पर तो कांग्रेस की सियासी गतिविधियों और कार्यक्रमों पर लगाम सी लग गई है. बराएनाम कुछ गतिविधियां और बयानबाजी तो जरूर हो रही है पर कांग्रेस को हार के सदमे से उबर कर जिस तरह मैदान और मोर्चों पर अपनी उपस्थिति दिखानी चाहिए थी वह अब नहीं दिख रही है.
लोकसभा चुनाव में कांग्रेस शासित राज्यों में भी पार्टी की करारी पराजय के बाद जिस तरह कांग्रेस के राष्ट्रीय अध्यक्ष राहुल गांधी का दर्द छलका और उन्होंने यह कह डाला कि पराजय के बाद किसी राज्य के मुख्यमंत्री, प्रदेश अध्यक्ष, प्रदेश प्रभारी और नेता ने इसकी नैतिक जवाबदारी लेते हुए इस्तीफे की पेशकश तक नहीं की. उसके बाद मध्यप्रदेश के प्रभारी दीपक बावरिया, प्रदेश कांग्रेस के चारों कार्यकारी अध्यक्षों जीतू पटवारी, रामनिवास रावत, सुरेंद्र चौधरी और बाला बच्चन के साथ तमाम पदाधिकारियों ने अपने इस्तीफों की घोषणा कर दी.
इसी बीच मध्यप्रदेश कांग्रेस कमेटी के अध्यक्ष और मुख्यमंत्री कमलनाथ ने दूसरे कांग्रेसी मुख्यमंत्रियों के साथ मिलकर राहुल गांधी से मुलाकात कर उन्हें मनाने के साथ ही अपने पदों से इस्तीफे की पेशकश भी की. लेकिन इसके आगे कोई बात आगे नहीं बढ़ी. इस सबका नतीजा यह हुआ कि मध्यप्रदेश में कांग्रेस की संगठनात्मक गतिविधियां शून्य पड़ गई हैं.
कांग्रेस को हार के सदमे से बाहर निकलते हुए जिस तरह अपने आपको प्रस्तुत करना चाहिए था वैसा कुछ भी नजर नहीं आ रहा है. जिलों से लेकर निचली कांग्रेस इकाइयों तक से जुड़े कांग्रेसी नेता और कार्यकर्ता अब इस फिराक में लग गए हैं कि आगामी दिनों में होने वाले परिवर्तनों में वह अपनी भूमिका और स्थिति को कैसे बनाए रख सकते हैं. इसके कारण मैदान में भी कांग्रेसी कार्यकर्ता कम, अपने आकाओं की परिक्रमा में ज्यादा दिखाई दे रहे हैं.
प्रदेश कांग्रेस अध्यक्ष के लिए कई दावेदार
मध्यप्रदेश में नए कांग्रेस अध्यक्ष की नियुक्ति की आहट के साथ ही तमाम कांग्रेसी नेता और उनके समर्थक अपने मनपसंद व्यक्ति को प्रदेश अध्यक्ष बनवाने की कवायद में जुट गए हैं. इस दौड़ में पूर्व केंद्रीय मंत्री ज्योतिरादित्य सिंधिया से लेकर, पूर्व नेता प्रतिपक्ष अजय सिंह, उच्च शिक्षा मंत्री जीतू पटवारी, वन मंत्री उमंग सिंघार और कार्यकारी अध्यक्ष से इस्तीफे की पेशकश कर चुके सुरेंद्र चौधरी जैसे नाम शरीक हैं.
बताया जा रहा है कि पिछले दिनों जब कांग्रेसी मुख्यमंत्रियों के साथ मध्यप्रदेश के मुख्यमंत्री कमलनाथ की राहुल गांधी से मुलाकात हुई थी तो बताया जाता है कि राहुल गांधी ने उनके पास तक पहुंचे विभिन्न नामों के बारे में कमलनाथ के साथ मशविरा भी किया था. इससे लग रहा है कि कांग्रेस नेतृत्व जल्द ही मध्यप्रदेश में संगठन की रास किसी नए चेहरे को सौंप सकता है. बताया जा रहा है कि संगठन में परिवर्तन के साथ-साथ राज्य मंत्रिमंडल में कुछ उलटफेर भी देखने को मिल सकता है. इसके अलावा निगम मंडलों और सहकारी बैंकों में भी राजनीतिक नियुक्तियां हो सकती हैं. इनको लेकर भी मुख्यमंत्री कमलनाथ केंद्रीय नेतृत्व के संपर्क में हैं.