मध्य प्रदेश में विधानसभा अध्यक्ष का भी उलझेगा मामला, BJP उतार सकती है उम्मीदवार
By राजेंद्र पाराशर | Published: December 27, 2018 07:46 PM2018-12-27T19:46:58+5:302018-12-27T19:46:58+5:30
कांग्रेस ने विधानसभा अध्यक्ष पद के लिए नर्मदा प्रसाद प्रजापति का नाम तय कर लिया है. कांग्रेस अब तक चली आ रही परंपरा के तहत ऐसा मान रही है कि विधानसभा अध्यक्ष सत्ता पक्ष का ही होगा.
कांग्रेस के लिए बहुमत में न आना और फिर बहुमत पाने के लिए बसपा, सपा और निर्दलियों से मिलकर सरकार बनाना अब मुसीबत बनता नजर आ रहा है. भाजपा इस पूरे मामले पर नजर गढ़ाए हुए हैं. 7 जनवरी से शुरु होने वाले सत्र के दौरान वह विधानसभा अध्यक्ष पद के लिए उम्मीदवार खड़ा कर चुनाव की स्थिति निर्मित करने की तैयारी कर रही है.
कांग्रेस ने विधानसभा अध्यक्ष पद के लिए नर्मदा प्रसाद प्रजापति का नाम तय कर लिया है. कांग्रेस अब तक चली आ रही परंपरा के तहत ऐसा मान रही है कि विधानसभा अध्यक्ष सत्ता पक्ष का ही होगा. मगर इस बार भाजपा भी 109 विधायकों के साथ कांग्रेस से कमजोर नजर नहीं आ रही है. भाजपा ने विधानसभा अध्यक्ष पद के लिए उम्मीदवार मैदान में उतारने की तैयारी की है.
सूत्रों की माने तो राष्ट्रीय नेतृत्व के इशारे पर भाजपा विधानसभा अध्यक्ष के लिए उम्मीदवार उतारकर कांग्रेस के लिए परेशानी खड़ी कर सकती है. कांग्रेस द्वारा समाजवादी पार्टी के विधायक को मंत्रिमंडल में स्थान न दिए जाने और उसके बाद अखिलेश यादव के आए बयान के बाद उनकी नाराजगी साफ दिखाई दे रही है.
इसके अलावा तीन निर्दलीय विधायकों और कांग्रेस के डॉ. हीरालाल अलावा सहित अन्य वरिष्ठ विधायकों जिन्हें मंत्री नहीं बनाया गया उनकी नाराजगी को देख भाजपा में सक्रियता बढ़ी है. माना जा रहा है कि भाजपा विधानसभा अध्यक्ष चुनाव कराकर सरकार की स्थिरता का भी आंकलन कर रही है.
भाजपा द्वारा अभी इस पद के लिए तीन नामों पर विचार भी किया गया है. बताया जाता है कि भाजपा पूर्व विधानसभा अध्यक्ष डा.सीताशरण शर्मा, पूर्व मंत्री राजेन्द्र शुक्ल और पूर्व मंत्री भूपेन्द्र सिंह में से किसी एक को उम्मीदवार बनाकर विधानसभा अध्यक्ष पद के लिए चुनाव करा सकती है.
अगर ऐसा होता है तो कांग्रेस के लिए नई मुसीबत यह होगी कि सपा, बसपा और तीन निर्दलियों के अलावा कांग्रेस के नाराज चल रहे विधायकों को किस तरह से साधा जाए. अगर यह बिखराव हुआ तो वर्तमान सरकार के सामने संकट तो खड़ा होगा ही साथ ही लोकसभा चुनाव पर भी इसका सीधा असर दिखाई देगा. भाजपा भी यह चाहती है कि लोकसभा चुनाव के पहले कांग्रेस गुटों में उलझी रहे तो ज्यादा अच्छा है.