मध्य प्रदेश विधानसभा उप-चुनावः रोचक मुकाबला, 28 सीट, 10 को परिणाम, भाजपा को 9 सीट जीतना जरूरी
By प्रदीप द्विवेदी | Published: October 2, 2020 08:15 PM2020-10-02T20:15:45+5:302020-10-02T20:15:45+5:30
मंत्री तुलसीराम सिलावट और गोविंद सिंह राजपूत ने कांग्रेस और विधानसभा की सदस्यता से इस्तीफ़ा देने के बाद 21 अप्रैल 2020 को कैबिनेट मंत्री के तौर पर शपथ ली थी, लिहाजा 21 अक्टूबर को उनके छह माह पूरे हो जाएंगे और नियमानुसार उन्हें त्यागपत्र देना होगा, क्योंकि उप-चुनाव के नतीजे तो 10 नवंबर को आएंगे.
भोपालः मध्य प्रदेश में विधानसभा उप-चुनाव होने जा रहे हैं, लेकिन ये उप-चुनाव, पूर्ण-चुनाव से कम दिलचस्प नहीं हैं, क्योंकि....इन चुनावों के बाद एमपी में सरकार बदल भी सकती है, मतलब- यदि कांग्रेस अपने बागी विधायकों वाली सीटें जीत जाती है, तो फिर से कांग्रेस सत्ता पर कब्ज़ा कर सकती है.
इस बार के चुनाव में दो मंत्रियों को चुनाव के नतीजों से पहले ही इस्तीफ़ा देना पड़ सकता है. मंत्री तुलसीराम सिलावट और गोविंद सिंह राजपूत ने कांग्रेस और विधानसभा की सदस्यता से इस्तीफ़ा देने के बाद 21 अप्रैल 2020 को कैबिनेट मंत्री के तौर पर शपथ ली थी, लिहाजा 21 अक्टूबर को उनके छह माह पूरे हो जाएंगे और नियमानुसार उन्हें त्यागपत्र देना होगा, क्योंकि उप-चुनाव के नतीजे तो 10 नवंबर को आएंगे.
यह बात अलग है कि कानूनी दायरे में रहकर सियासी जोड़ तोड़ में एक्सपर्ट बीजेपी का केन्द्रीय नेतृत्व इनके लिए भी कोई राजनीतिक तरीका निकाल सकता है. एमपी में शिव-राज सुरक्षित रखने के लिए कम-से-कम 9 सीटों पर जीत दर्ज करवाना जरूरी है, लेकिन ऐसी स्थिति में भी कई मंत्री चुनाव में हार जाएंगे, क्योंकि 14 मंत्री चुनाव मैदान में होंगे.
मंत्रियों का चुनाव हार जाना प्रत्यक्ष तौर पर बीजेपी के लिए बड़ा नुकसान है, परन्तु इससे अप्रत्यक्ष तौर पर फायदा भी होगा कि कुछ नए चेहरों को मंत्रिमंडल में जगह मिल सकती है. वैसे भी सरकार में मंत्री पद कम हैं और दावेदार बहुत ज्यादा हैं, इसलिए ऐसी स्थिति में सीएम शिवराज सिंह चौहान को बड़ी राहत मिलेगी.
याद रहे, एमपी में 3 नवंबर 2020 को उप-चुनाव होगा और नतीजे 10 नवंबर को आएंगे. यह पहली बार हो रहा है कि इस बार उप-चुनाव में किसी भी मूल भाजपाई को टिकट नहीं दिया जाएगा, लिहाजा बीजेपी के उम्मीदवार के हारने पर कांग्रेसियों के साथ-साथ मूल भाजपाई भी खुश हो सकते हैं! कुल 230 सदस्यों वाली मध्य प्रदेश विधानसभा की 28 सीटें रिक्त हैं जिन पर उपचुनाव होने हैं. इनमें से 25 सीटें कांग्रेस विधायकों के इस्तीफा देकर भाजपा में शामिल होने से खाली हुई हैं, जबकि दो सीटें कांग्रेस के विधायकों के निधन से और एक सीट भाजपा विधायक के निधन से रिक्त है.