एम. एस. स्वामिनाथन हैं हरित क्रांति के जनक, भुखमरी की कगार पर खड़े भारत को दिया था ये तोहफा
By रामदीप मिश्रा | Published: August 7, 2018 07:54 AM2018-08-07T07:54:11+5:302018-08-07T07:54:11+5:30
Happy Birthday M.S. Swaminathan: एम. एस. स्वामिनाथन का जन्म तमिलनाडु के कुम्भकोणम में हुआ था। वह पौधों के जेनेटिक वैज्ञानिक हैं, जिन्हें भारत की हरित क्रांति का जनक माना जाता है।
नई दिल्ली, 07 अगस्तः एक समय ऐसा आ गया था जब भारत भुखमरी के कगार पर पहुंच रहा था और अनाज का भंडारण धीरे-धीरे खत्म होता जा रहा था। फसलों की पैदावार लगातार गिर रही थी, ऐसे कठिन परिस्थिति को उबारने में एम. एस. स्वामीनाथन का बड़ा योगदान रहा है। वह एक कृषि वैज्ञानिक हैं। उनका आज जन्मदिन है और उन्होंने 7 अगस्त 1925 को जन्म लिया।
पौधों के जेनेटिक वैज्ञानिक हैं एम. एस. स्वामिनाथन
एम. एस. स्वामिनाथन का जन्म तमिलनाडु के कुम्भकोणम में हुआ था। वह पौधों के जेनेटिक वैज्ञानिक हैं, जिन्हें भारत की हरित क्रांति का जनक माना जाता है। दरअसल, उन्होंने 1966 में मैक्सिको के बीजों को पंजाब की घरेलू किस्मों के साथ मिश्रित किया था। इसके बाद उच्च उत्पादकता वाले गेहूं के संकर बीज विकिसित किए, जिसके कुछ साल बाद देश में गेहूं की बंपर पैदावार होने लगी।
25 साल में देश को ऊबारा
बताया जाता है कि 'हरित क्रांति' कार्यक्रम के तहत ज्यादा उपज देने वाले गेहूं और चावल के बीज गरीब किसानों के खेतों में लगाए गए थे। इस क्रांति ने भारत को दुनिया में खाद्यान्न की सर्वाधिक कमी वाले देश के कलंक से उबारकर 25 वर्ष से कम समय में आत्मनिर्भर बना दिया था। उस समय से भारत के कृषि पुनर्जागरण ने स्वामीनाथन को 'कृषि क्रांति आंदोलन' के वैज्ञानिक नेता के रूप में ख्याति दिलाई।
एम. एस. स्वामीनाथन रिसर्च फाउंडेशन
एम. एस. स्वामीनाथन के बारे में कहा जाता है कि उन्होंने विभिन्न पुरस्कारों और सम्मानों से मिले पैसों से 1990 के दशक की शुरुआती दिनों में चेन्नई में एक शोध केंद्र की स्थापना की थी, जिसका नाम 'एम. एस. स्वामीनाथन रिसर्च फाउंडेशन' रखा गया। फाउंडेशन में स्वामीनाथन और उनके सहयोगियों द्वारा पर्यावरण प्रौद्यौगिकी के क्षेत्र में किए जा रहे कार्य को अंतर्राष्ट्रीय मान्यता मिली।
बनाया गया स्वामीनाथन आयोग
वहीं, आपको बता दें, संयुक्त प्रगतिशील गठबंधन (यूपीए) सरकार ने किसानों की स्थिति का जायजा लेने के लिए एक आयोग का गठन किया थी, जिसे स्वामीनाथन आयोग कहा गया। 18 नवंबर 2004 को केंद्र सरकार ने एमएस स्वामीनाथन की अध्यक्षता में राष्ट्रीय किसान आयोग का गठन किया गया था। इस आयोग ने पांच रिपोर्ट सौंपी थीं। इस आयोग ने जिन सिफारिशों का जिक्र किया था उनमें फसल उत्पादन मूल्य से पचास प्रतिशत ज्यादा दाम किसानों को मिले, किसानों को अच्छी क्वालिटी के बीज कम दामों में मुहैया कराए जाएं, गांवों में किसानों की मदद के लिए विलेज नॉलेज सेंटर या ज्ञान चौपाल बनाया जाए, महिला किसानों के लिए किसान क्रेडिट कार्ड जारी किए जाएं, किसानों के लिए कृषि जोखिम फंड बनाया जाए, ताकि प्राकृतिक आपदाओं के आने पर किसानों को मदद मिल सके जैसी सिफारिशें शामिल थीं।
इन बड़े सम्मानों से किए गए सम्मानित
एम. एस. स्वामीनाथन को 'विज्ञान एवं अभियांत्रिकी' के क्षेत्र में भारत सरकार साल, 1967 में 'पद्म श्री', 1972 में 'पद्म भूषण' और 1989 में 'पद्म विभूषण' से सम्मानित किया गया था। इसके अलावा स्वामीनाथन को 1991 में अमेरिका में 'टाइलर पुरस्कार', 1994 में पर्यावरण तकनीक के लिए जापान का 'होंडा पुरस्कार', 1997 में फ्रांस का 'ऑर्डर दु मेरिट एग्रीकोल' (कृषि में योग्यताक्रम), 1998 में मिसूरी बॉटेनिकल गार्डन (अमरीका) का 'हेनरी शॉ पदक', 1999 में 'वॉल्वो इंटरनेशनल एंवायरमेंट पुरस्कार' और 1999 में ही 'यूनेस्को गांधी स्वर्ग पदक' से सम्मानित किया गया। उन्हें 1999 में टाइम पत्रिका ने 20वीं सदी के 20 सबसे प्रभावशाली एशियाई व्यक्तियों में से एक बताया था।
देश-दुनिया की ताज़ा खबरों के लिए यहाँ क्लिक करे. यूट्यूब चैनल यहाँ सब्सक्राइब करें और देखें हमारा एक्सक्लूसिव वीडियो कंटेंट।