चंद्रग्रहण के कारण महाकाल में ढाई घण्टे देरी से हुई भस्मार्ती, एक हजार से ज्यादा श्रद्धालु हुए शामिल

By बृजेश परमार | Published: July 18, 2019 01:34 AM2019-07-18T01:34:46+5:302019-07-18T01:43:43+5:30

श्री महाकालेश्वर मंदिर में श्रावण-भादौ मास में होने वाली भस्मार्ती के समय में परिवर्तन किया जाता है। श्रावण-भादौ मास में भगवान श्री महाकालेश्वर की भस्मार्ती का समय 17 जुलाई बुधवार से 26अगस्त तक प्रात: 3 बजे होगा। इसके अलावा प्रत्येक सोमवार भस्मार्ती का समय प्रात: 2.30 बजे होगा। 27 अगस्त उपरांत भस्मार्ती का समय पूर्ववत किया जाएगा।

Lunar eclipse: delay of two and a half hours in Mahakal Bhasm Aarti, more than a thousand devotees worship | चंद्रग्रहण के कारण महाकाल में ढाई घण्टे देरी से हुई भस्मार्ती, एक हजार से ज्यादा श्रद्धालु हुए शामिल

फाइल फोटो। (Image Source: Facebook/Mahakaleshwar Temple Ujjain)

बुधवार को श्रावण मास की शुरुआत के साथ ही चंद्रग्रहण होने के चलते भगवान श्री महाकालेश्वर की भस्मार्ती अपने निर्धारित समय से ढाई घंटे देरी से हुई। इससे पहले मंदिर को कोटितीर्थ के जल से धोकर शुद्धिकरण किया गया। श्रावण मास की पहली भस्मार्ती में 1211 श्रद्धालु शामिल हुए।

मंगलवार-बुधवार की रात्रि में लगे चन्द्रग्रहण के कारण भस्मार्ती ढाई घण्टे‍ देरी से हुई। मंदिर समिति की प्रेस विज्ञप्ति के अनुसार ग्रहण समाप्ति के बाद फायर ब्रिगेड के द्वारा महाकालेश्वरर मंदिर परिसर और शिखर की धुलाई की गई। मंदिर के शुद्धिकरण के पश्चात श्रद्धालुओं को प्रात: 4.30 बजे से मंदिर में प्रवेश दिया गया। इसके बाद प्रात: 5 से 6.30 बजे तक भस्मार्ती हुई।

उल्लेखनीय है कि श्री महाकालेश्वर मंदिर में श्रावण-भादौ मास में होने वाली भस्मार्ती के समय में परिवर्तन किया जाता है। श्रावण-भादौ मास में भगवान श्री महाकालेश्वर की भस्मार्ती का समय 17 जुलाई बुधवार से 26अगस्त तक प्रात: 3 बजे होगा। इसके अलावा प्रत्येक सोमवार भस्मार्ती का समय प्रात: 2.30 बजे होगा। 27 अगस्त उपरांत भस्मार्ती का समय पूर्ववत किया जाएगा।

कोटितीर्थ जल से मंदिर को धोया

खग्रास चंद्रग्रहण लगने के कारण महाकालेश्वर सहित सभी मंदिरों में पट बंद कर दर्शन व्यवस्था बदली गई थी। तड़के ग्रहण समाप्त होने के बाद महाकालेश्वर मंदिर में धुलाई के बाद विलंब से भस्मार्ती की गई। सामान्य दिनों में महाकालेश्वर मंदिर के सुबह 3 बजे पट खुलने के बाद सफाई और उसके बाद भस्मार्ती की जाती है, लेकिन खग्रास चंद्रग्रहण के कारण बुधवार तड़के 5 बजे ग्रहण समाप्त होने के बाद महाकालेश्वर मंदिर की फायर फायटर से धुलाई की गई। इस दौरान कर्मचारियों ने परिसर में स्थित अन्य मंदिरों को भी पानी से धोकर साफ किया। मंगलवार-बुधवार की दरम्यिानी रात चंद्रग्रहण के कारण मंदिरों की दर्शन व्यवस्था बदली गई । ग्रहण समाप्ति और मंदिर की धुलाई के बाद भस्मार्ती सम्पन्न हुई।

सावन में दर्शन व्यवस्था बदली

सावन माह बुधवार से शुरू हो गया। भगवान शंकर के भक्त पूरे माह विशेष उपासना और पूजन, व्रत करेंगे। इसी के चलते भगवान महाकालेश्वर के दर्शनों को सुबह हजारों श्रद्धालु उमड़े। मंदिर प्रशासन द्वारा दर्शनार्थियों की सुविधा के लिये व्यवस्थाओं में बदलाव किया है। भस्मार्ती के बाद भीड़ अधिक होने के कारण गर्भगृह में प्रवेश प्रतिबंधित कर दिया गया है। श्रद्धालुओं ने नंदीहॉल के पीछे रेलिंग में कतारबद्ध होकर भगवान के दर्शन किये।

भगवान महाकालेश्वर के दर्शनों के लिये सावन माह में देश-विदेश से श्रद्धालुओं का आगमन होता है।इसी माह में कांवड़ यात्री भी भगवान का पवित्र नदियों के जल से अभिषेक करते हैं। मंदिर प्रशासन द्वारा श्रद्धालुओं की भारी भीड़ उमडऩे के कारण दर्शन व्यवस्थाओं में बदलाव किया है। एक दिन पहले तक जहां मंदिर चौकी डी गेट से प्रोटोकॉल, वीआईपी और सशुल्क दर्शनार्थियों को प्रवेश दिया जाता था इसमें बदलाव करते हुए अब भस्मार्ती गेट नं. 4 से प्रवेश प्रारंभ किया गया।

इसके अलावा आम श्रद्धालुओं को भारत माता मंदिर, प्रशासक कार्यालय के सामने से होते हुए टनल के रास्ते मंदिर में प्रवेश कराया गया। आम श्रद्धालुओं को एक घंटे कतार में लगने के बाद भगवान के दर्शन हुए। सावन माह के पहले ही दिन सैकड़ों श्रद्धालुओं की लंबी कतार लगने के कारण गर्भगृह में प्रवेश प्रतिबंधित कर दिया गया। लोगों को नंदीहॉल के पीछे रेलिंग से दर्शन कराये जा रहे हैं।

Web Title: Lunar eclipse: delay of two and a half hours in Mahakal Bhasm Aarti, more than a thousand devotees worship

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