एक शादी से 19 दिन पहले शहीद तो दूसरा पहली मैरिज एनिवर्सरी नहीं मना पाया, बिपिन रावत की ओर से परिजनों से मिले लेफ्टिनेंट जनरल
By रोहित कुमार पोरवाल | Published: May 9, 2019 03:19 PM2019-05-09T15:19:30+5:302019-05-09T15:20:42+5:30
मेजर विष्ट बीते 16 फरवरी को जम्मू-कश्मीर के नौशेरा में एक आईईडी बम को डिफ्यूज करते हुए शहीद हो गए थे और मेजर ढौंडियाल पुलवामा में आतंकियों से मुठभेड़ के दौरान शहीद हो गए थे।
भारत माटी में न जाने क्या बात है कि इसके लिए एक बेटा शहीद हो जाए तब भी बिलखते हुए माता-पिता कहते हैं कि दूसरा होगा तो उसे भी देश को सौंप देंगे। जवानों के माता-पिताओं के इन्हीं जज्बातों के कारण देश की सीमाएं सुरक्षित हैं। माता-पिता राजी न हों तो कोई भी बेटा अथाह संघर्ष के रास्ते देश का प्रहरी न बन पाए। शहीदों के माता-पिता पर भी देश को गर्व है। उनके प्रति जितना भी आभार जताया जाए कम है। कल (8 मई) को आर्मी चीफ जनरल बिपिन रावत की ओर से लेफ्टिनेंट जनरल अनिल भट्ट ने मेजर चित्रेश बिष्ट और मेजर वीएस ढौंडियाल के माता-पिता से मिले और श्रद्धांजलि अर्पित की।
बता दें कि मेजर विष्ट बीते 16 फरवरी को जम्मू-कश्मीर के नौशेरा में एक आईईडी बम को डिफ्यूज करते हुए शहीद हो गए थे और मेजर ढौंडियाल पुलवामा में आतंकियों से मुठभेड़ के दौरान शहीद हो गए थे।
इन दोनों ही जवानों की कहानी आंखें नम करने वाली है। 31 वर्षीय मेजर चित्रेश विष्ट जब बम को डिफ्यूज करते हुए शहीद हुए उससे 19 रोज बाद उनकी शादी होने वाली थी और उनके घरवाले रिश्तेदारों में शादी के कार्ड बांट रहे थे। शहीद होने से पहले चित्रेश ने देहरादून की नेहरु कॉलोनी में रहने वाले अपने माता-पिता को फोन किया था कहा था कि 28 फरवरी को वह घर आ रहे है। 7 मार्च को उनकी शादी थी लेकिन 18 फरवरी को तिरंगे में लिपटी उनकी लाश घर पहुंची। घरवालों के मुताबिक, चित्रेश 25 बम डिफ्यूज कर चुके थे। उनकी अंतिम यात्रा में उत्तराखंड के मुख्यमंत्री त्रिवेंद्र सिंह रावत भी पहुंचे थे।
U'khand: On behalf of Army Chief Gen Bipin Rawat, Lt General Anil Bhatt visited Dehradun to meet parents of Major Chitresh Bisht&Major VS Dhoundiyal y'day. Major Bisht lost his life on Feb 16 while defusing an IED in J&K's Nowshera&Major Dhoundiyal lost his life in Pulwama attack pic.twitter.com/WVNKFchanM
— ANI (@ANI) May 9, 2019
वहीं, बीती 18 फरवरी को जम्मू-कश्मीर के पुलवामा में आतंकियों से मुठभेड़ के दौरान देहरादून के मेजर विभूति कुमार ढौंडियाल समेत चार जवान शहीद हो गए थे। 34 वर्षीय मेजर ढौंडियाल सेना के 55 आरआर (राष्ट्रीय राइफल) में तैनात थे। तीन बहनों के इकलौते भाई ढौंडियाल की शादी अप्रैल 2018 में हुई थी और वह इसकी पहली सालगिरह तक नहीं मना पाए थे। उनकी अंतिम यात्रा से पहले पत्वी निकिता ने आंखों में आंसुओं के सैलाब को रोकते हुए रुंधे हुए गले से कहा कि देश के लिए शहीद होने वाले उनके पति के लिए उन्हें गर्व है और वह हमेशा उनसे प्यार करेंगी।