तिरुमला पहाड़ियों पर हनुमानजी का जन्मस्थान! तिरुपति देवस्थानम का दावा, कर्नाटक के विद्वानों ने किया खारिज

By लोकमत समाचार ब्यूरो | Published: April 13, 2021 07:56 AM2021-04-13T07:56:33+5:302021-04-13T08:39:46+5:30

भगवान हनुमान के जन्मस्थान को लेकर विवाद शुरू हो गया है. तिरुमला तिरुपति देवस्थानम ने दावा किया है तिरुमला पहाड़ियों पर भगवान हनुमान का जन्म हुआ था.

Lord Hanuman birthplace on Tirumala hills, Tirupati Devasthanam claims | तिरुमला पहाड़ियों पर हनुमानजी का जन्मस्थान! तिरुपति देवस्थानम का दावा, कर्नाटक के विद्वानों ने किया खारिज

टीटीडी के दावे के बाद भगवान हनुमान के जन्मस्थान को लेकर विवाद (फाइल फोटो)

Highlightsभगवान हनुमान के जन्मस्थान पर तिरुमला तिरुपति देवस्थानम (टीटीडी) के दावे के बाद विवादटीटीडी के अनुसार तिरुमला की सात पवित्र पहाड़ियों में से एक में हुआ भगवान हनुमान का जन्मदावे को साबित करने के लिए एक पुस्तक के विमोचन की तैयारी, कुछ जानकारों ने टीटीडी के दावे को खारिज किया

बेंगलुरु: तिरुमला तिरुपति देवस्थानम (टीटीडी) ने दावा किया है कि तिरुमला पहाड़ियों पर भगवान हनुमान का निवास स्थान है और वे इस बारे में एक साक्ष्य आधारित पुस्तक जारी करेंगे. इस पर धार्मिक तथा पुरातात्विक हलकों में विवाद शुरू हो गया है, क्योंकि कर्नाटक के लोग बेल्लारी के पास हंपी को सदियों से 'किष्किंधा क्षेत्र' या वानरों का प्रदेश मानते आए हैं.

टीटीडी ने हाल ही में घोषणा की कि भगवान हनुमान का जन्म तिरुमला की सात पवित्र पहाड़ियों में से एक में हुआ था और इसे साबित करने के लिए एक पुस्तक का विमोचन 13 अप्रैल को उगाडी पर किया जाएगा. तिरुमला पहाडि़यों पर श्री वेंकटेश्वर मंदिर है.

किष्किंधा क्षेत्र कौन सा है, इसे लेकर विवाद

कुछ पुरातत्वविदों और पौराणिक घटनाकारों ने टीटीडी के दावे को खारिज कर दिया है, वहीं विहिप की कर्नाटक इकाई ने कहा कि टीटीडी को कुछ समय और लेना चाहिए तथा किसी निष्कर्ष पर पहुंचने से पहले विद्वानों और धर्म प्रमुखों से विचार-विमर्श करना चाहिए.

कुछ पौराणिक घटनाकारों की एकमत से राय है कि हंपी या विजयनगर राजवंश की पूर्ववर्ती राजधानी के आसपास का क्षेत्र किष्किंधा क्षेत्र है.

उनका दावा है कि हंपी में पुरा-ऐतिहासिक काल की अनेक शिला कलाकृतियों में पूंछ वाले लोगों को चित्रित किया गया है. संगमकल्लू, बेलाकल्लू के पास अनेक गुफा कृतियों में मनुष्य के साथ पूंछ जैसी आकृति देखी जा सकती है, इसलिए यह दलील दी जा रही है कि वानर मनुष्य जाति की ही एक प्रजाति है, जिसकी पूंछ होती है.''

हंपी और उसके आसपास 1,000 से अधिक हनुमान मंदिर

बेंगलुरु स्थित चित्रकला परिषद में कला इतिहास विभाग के प्रमुख और प्रोफेसर डॉ. राघवेंद्र राव कुलकर्णी के अनुसार संभवत: त्रेता युग और भगवान राम के समय इन्हीं लोगों ने उनकी मदद की होगी. हंपी में और उसके आसपास 1,000 से अधिक हनुमान मंदिर हैं. हनुमानजी से जुड़ी कृतियां हंपी क्षेत्र में ही क्यों हैं और तिरुमला में क्यों नहीं हैं?

धारवाड़ विश्वविद्यालय में प्राचीन भारतीय इतिहास विभाग के पूर्व अध्यक्ष प्रोफेसर ए. सुंदर ने बेल्लारी क्षेत्र में अनेक ऐसी पेंटिंग चिह्नित की हैं, जिनमें मनुष्य के पीछे के हिस्से में छोटा सा बाहरी हिस्सा दिखाई देता है. भारतीय पुरातत्व सर्वेक्षण के सेवानिवृत्त अधीक्षण पुरातत्वविद टी.एम. केशव ने कहा कि उन्होंने रामायण में वर्णित किष्किंधा के सभी भौगोलिक क्षेत्रों को चिह्नित किया है.

रिकॉर्ड, उपलब्ध साक्ष्य, मौजूदा परंपराएं तथा लोक श्रुतियां दर्शाती हैं कि पूर्ववर्ती विजयनगर राज्य, जिसे पहले पंपा क्षेत्र कहा जाता था, को किष्किंधा के रूप में पहचाना गया है, जहां सैकड़ों हनुमान मंदिर हैं.

Web Title: Lord Hanuman birthplace on Tirumala hills, Tirupati Devasthanam claims

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