महापत्तन प्राधिकरण विधेयक 2020 को मंजूरी, जानिए क्या-क्या असर होगा, मंडाविया बोले- 50 साल पुराना कानून खत्म

By भाषा | Published: September 23, 2020 08:46 PM2020-09-23T20:46:46+5:302020-09-23T20:46:46+5:30

परिवहन मंत्री मनसुख मंडाविया ने कहा कि इस विधेयक में बंदरगाह क्षेत्र में पारदर्शिता लाने, विश्वस्तरीय आधारभूत ढांचा बनाने और उन्हें निर्णय लेने की स्वायत्ता देने की बात कही गई है। उन्होंने कहा कि समय के साथ बंदरगाह क्षेत्र में हो रहे बदलाव को देखते हुए यह जरूरी था क्योंकि वर्तमान में जो कानून है, वह 50 साल पुराना है।

Lok Sabha passes the Major Port Authorities Bill, 2020 | महापत्तन प्राधिकरण विधेयक 2020 को मंजूरी, जानिए क्या-क्या असर होगा, मंडाविया बोले- 50 साल पुराना कानून खत्म

विधेयक पारित होने के दौरान सदन में प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी उपस्थित थे।

Highlightsबंदरगाह विकास का द्वार बन सकता है। इतिहास को देखें, तब उससे भी यह स्पष्ट होता है कि जहां बंदरगाह रहे, वहां विकास अधिक हुआ।महापत्तन से जुड़ा वर्तमान कानून पुराना होने के कारण इसमें आज की जरूरत के अनुरूप कई चीजों की कमी पायी गई। विवाद निपटारा करने सहित निजी सार्वजनिक भागीदारी (पीपीपी) से जुड़े कई मुद्दों का समाधान निकालने का प्रयास किया गया है।

नई दिल्लीः लोकसभा ने बुधवार को महापत्तन प्राधिकरण विधेयक 2020 को मंजूरी दे दी जिसमें देश में बंदरगाहों के विनियमन, प्रचालन और योजना के लिए तथा महापत्तन प्राधिकरण के बोर्डों में ऐसे बंदरगाहों के प्रशासन, नियंत्रण और प्रबंधन के संबंध में प्रावधान हैं।

विधेयक पर हुई चर्चा का जवाब देते हुए पोत परिवहन मंत्री मनसुख मंडाविया ने कहा कि इस विधेयक में बंदरगाह क्षेत्र में पारदर्शिता लाने, विश्वस्तरीय आधारभूत ढांचा बनाने और उन्हें निर्णय लेने की स्वायत्ता देने की बात कही गई है। उन्होंने कहा कि समय के साथ बंदरगाह क्षेत्र में हो रहे बदलाव को देखते हुए यह जरूरी था क्योंकि वर्तमान में जो कानून है, वह 50 साल पुराना है। उन्होंने कहा, ‘‘ बंदरगाह विकास का द्वार बन सकता है। इतिहास को देखें, तब उससे भी यह स्पष्ट होता है कि जहां बंदरगाह रहे, वहां विकास अधिक हुआ। ’’

मंडाविया ने कहा कि महापत्तन से जुड़ा वर्तमान कानून पुराना होने के कारण इसमें आज की जरूरत के अनुरूप कई चीजों की कमी पायी गई। पूर्व में निजी सार्वजनिक गठजोड़ जैसी बात नहीं थी। इसके अलावा जब कारोबार साझेदारी के आधार पर चलता है तब विवाद भी उत्पन्न होता है। उन्होंने कहा कि इस विधेयक में विवाद निपटारा करने सहित निजी सार्वजनिक भागीदारी (पीपीपी) से जुड़े कई मुद्दों का समाधान निकालने का प्रयास किया गया है।

मंत्री के जवाब के बाद निचले सदन ने बीजद के भर्तृहरि महताब द्वारा पेश संशोधनों को खारिज करते हुए विधेयक को ध्वनिमत से मंजूरी दे दी। विधेयक पारित होने के दौरान सदन में प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी उपस्थित थे। इससे पहले मंडाविया ने कहा कि पोत परिवहन का इतिहास काफी पुराना है। अंग्रेजों से पहले भारत के सभी बंदरगाहों से दुनिया में कारोबार होता था। अंग्रेजों ने कई तरह के प्रतिबंध लगाये जिससे हमारे पोत परिवहन क्षेत्र को नुकसान हुआ।

आजादी के बाद भी इस क्षेत्र की कहीं न कहीं उपेक्षा हुई। मंडाविया ने कहा कि बड़े-बड़े बंदरगाहों को स्वायत्तता देने और उनकी व्यवस्था को मजबूत बनाने के लिए यह विधेयक लाया गया है। चर्चा में भाग लेते हुए भाजपा की भारतीबेन शियाल ने कहा कि नरेंद्र मोदी सरकार में बंदरगाहों के विकास पर पूरा ध्यान दिया गया है और यह विधेयक भी इसी कड़ी में एक कदम है। उन्होंने यह भी कहा कि सरकार को भावनगर बंदरगाह के विकास पर और ज्यादा कदम उठाने चाहिए।

वाईएसआर कांग्रेस के एल श्रीकृष्णा देवरयालू ने कहा कि बंदरगाहों के विकास के साथ ही राज्यों और मछुआरों के हितों पर भी ध्यान रखा जाना चाहिए। बीजू जनता दल के अनुभव मोहंती ने कहा कि ओडिशा के पारादीप बंदरगाह का नाम पूर्व मुख्यमंत्री बीजू पटनायक के नाम पर रखा जाना चाहिए।

जदयू के कौशलेंद्र कुमार ने कहा कि इस विधेयक से बंदरगाहों के विकास को गति मिलेगी। भाजपा की दर्शना बेन ने कहा कि इस विधेयक से महापत्तनों के प्रशासन में काफी सुधार आएगा। चर्चा में अन्नाद्रमुक के रवींद्र कुमार और भाजपा के गोपाल शेट्टी ने भी भाग लिया। 

Web Title: Lok Sabha passes the Major Port Authorities Bill, 2020

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