लोकसभा चुनावः एकजुट कैसे होंगे? यहां तो बीजेपी, नमो विचार मंच के नेता के ही खिलाफ है!

By प्रदीप द्विवेदी | Published: March 5, 2019 02:53 PM2019-03-05T14:53:25+5:302019-03-05T15:15:28+5:30

कुछ समय पहले लोकसभा चुनाव में एकजुटता को लेकर उदयपुर बीजेपी कार्यालय में बैठक रखी गई थी, लेकिन इस बैठक से पहले बीजेपी प्रदेश अध्यक्ष मदनलाल सैनी को स्थानीय बीजेपी कार्यकर्ताओं का जोरदार विरोध झेलना पड़ा.

Lok Sabha elections: How will one unite? Here, the BJP is against the leader of Namo Parishad forum! | लोकसभा चुनावः एकजुट कैसे होंगे? यहां तो बीजेपी, नमो विचार मंच के नेता के ही खिलाफ है!

लोकसभा चुनावः एकजुट कैसे होंगे? यहां तो बीजेपी, नमो विचार मंच के नेता के ही खिलाफ है!

राजस्थान में बीजेपी विधानसभा चुनाव हार गई थी, तो इसमें प्रमुख कारण था- बागियों का चुनाव लड़ना. इसलिए, यह सियासी विचार उभर कर आया था कि जो भाजपाई बागी हो गए हैं, उन्हें लोस चुनाव से पहले फिर से बीजेपी से जोड़ा जाए, लेकिन उदयपुर के सियासी हंगामे पर नजर डाले तो साफ नजर आएगा कि लोस चुनाव से पहले बीजेपी में सभी गुटों को साथ लाना आसान नहीं है.

कुछ समय पहले लोकसभा चुनाव में एकजुटता को लेकर उदयपुर बीजेपी कार्यालय में बैठक रखी गई थी, लेकिन इस बैठक से पहले बीजेपी प्रदेश अध्यक्ष मदनलाल सैनी को स्थानीय बीजेपी कार्यकर्ताओं का जोरदार विरोध झेलना पड़ा. इस हंगामे की वजह यह थी कि प्रदेशाध्यक्ष सैनी, उदयपुर शहर सीट से बीजेपी से चुनाव लड़े और जीते प्रमुख बीजेपी नेता गुलाबचंद कटारिया के खिलाफ विस चुनाव लड़ने वाले नमो विचार मंच के नेता प्रवीण रतलिया को भी पार्टी कार्यालय अपने साथ ले आए थे. सैनी और रतलिया को एकसाथ देख कर विरोध शुरू हो गया, हंगामा होने लगा और बात इतनी बढ़ गई कि सैनी को वहां से रतलिया को लौटाना पड़ा. हालांकि, इसके बाद सैनी बैठक लेने कार्यालय में पहुंचे, परंतु कार्यकर्ताओं का गुस्सा शांत नहीं हुआ. अंततः बैठक छोड़ कर सैनी भी वहां से रवाना हो गए.

दरअसल, नमो विचार मंच के नेता प्रवीण रतलिया ने गुलाबचन्द कटारिया के खिलाफ चुनाव लड़ा था, इसके बीजेपी को दो नुकसान हुए, एक- पिछली बार के मुकाबले कटारिया की जीत का अंतर आधे से भी कम हो गया, दो- बीजेपी, कटारिया की सियासी सक्रियता और प्रभाव का ज्यादा फायदा प्रदेश के अन्य विस क्षेत्रों में नहीं ले पाई. 

इस चुनाव में जहां गुलाबचन्द कटारिया को 74,660 वोट मिले, वहीं कांग्रेस प्रत्याशी पूर्व केन्द्रीय मंत्री गिरिजा व्यास को 65,353 वोट मिले, जबकि प्रवीण रतलिया 10,890 वोट लेकर तीसरे स्थान पर रहे. अगर पांच हजार वोटों की उलटफेर हो जाती तो नतीजे कुछ और भी हो सकते थे.

बीजेपी कार्यकर्ताओं का गुस्सा था कि- जो आदमी हमारे नेता गुलाबचंद कटारिया को हार्ट अटैक लाने जैसे अपशब्द बोलता है, उसी को प्रदेशाध्यक्ष सैनी का साथ रखना उनको शोभा नहीं देता. यही नहीं, चुनाव के बाद भी रतलिया, पार्टी और गुलाबचंद कटारिया को बार-बार चुनौती दे रहा है, इसलिए यह विरोध सही था.

लेकिन, इस राजनीतिक हंगामे के सियासी संकेत बीजेपी के लिए खतरे की घंटी हैं. विस चुनाव में तो बागी मैदान में होने से नाराज वोटों का फायदा कांग्रेस को नहीं मिला, लेकिन यदि बीजेपी नेतृत्व विभिन्न गुटों को एकजुट करने में कामयाब नहीं रहा तो उसे लोस चुनाव में कई सीटों पर नुकसान होगा, खासकर ऐसी सीटों पर जहां कांग्रेस-बीजेपी में कांटे की टक्कर रहने की संभावना है.

English summary :
Udaipur BJP Latest Updates: Prior to the Lok Sabha elections, it will be linked to BJP members again, but if you look at the political storm of Udaipur, it will be clear that before all the elections, it is not easy to bring together all the factions in BJP.


Web Title: Lok Sabha elections: How will one unite? Here, the BJP is against the leader of Namo Parishad forum!