लोकसभा चुनावः कब तक साथ चल पाएंगे पीएम नरेन्द्र मोदी और सीएम नीतीश कुमार?
By प्रदीप द्विवेदी | Published: February 23, 2019 02:08 AM2019-02-23T02:08:36+5:302019-02-23T02:08:36+5:30
पीएम नरेन्द्र मोदी को केन्द्र की सत्ता चाहिए, तो बिहार के सीएम नीतीश कुमार को प्रदेश की सत्ता पर कब्जा बनाए रखना था
पीएम नरेन्द्र मोदी को केन्द्र की सत्ता चाहिए, तो बिहार के सीएम नीतीश कुमार को प्रदेश की सत्ता पर कब्जा बनाए रखना था, इसलिए वैचारिक मतैक्य नहीं होने के बावजूद बीजेपी और जेडीयू, एकसाथ आ गए और अब लोस चुनाव साथ-साथ लड़ेंगे. लेकिन, प्रमुख प्रश्न यह हैं कि- यह साथ कब तक चलेगा? यदि केन्द्र में बीजेपी की सरकार नहीं बनी तो क्या होगा? क्या किसी विषम राजनीतिक परिस्थिति में नीतीश कुमार, नरेन्द्र मोदी के साथ खड़े रहेंगे?
हालांकि, बिहार में नुकसान उठाकर भी बीजेपी ने जेडीयू के साथ लोस सीटों का बंटवारा तो कर लिया है, परन्तु इसके साथ ही बीजेपी ने पिछले लोस चुनाव की अपनी जीती हुई पांच सीटें भी चुनाव से पहले ही गंवा दी हैं.
दरअसल, 2019 में हर हाल में पीएम मोदी को केन्द्र की सत्ता चाहिए, लेकिन चुनावी नतीजे 2014 जैसा असर नहीं दिखा पाएंगे, इसलिए बीजेपी अध्यक्ष अमित शाह हर शर्त पर विभिन्न प्रदेशों में सशक्त सहयोगी तलाश रहे हैं. बिहार में भी इसी वजह से नुकसान के बावजूद बीजेपी ने सीटों की बराबरी पर समझौता किया है.
राजनीतिक जानकारों का मानना है कि बीजेपी ओर जेडीयू का गठबंधन भले ही हो गया हो, किन्तु दोनों दलों के वोट बैंक का पाॅलिटिकल नेचर अलग-अलग है, इसलिए दोनों दल चुनाव में एक-दूजे के लिए कितने लाभदायक साबित होंगे, यह कहना मुश्किल है.
वोट बैंक के पाॅलिटिकल नेचर को नीतीश कुमार ठीक से समझते हैं, इसीलिए वे हर वक्त आंख बंद करके बीजेपी और पीएम मोदी के साथ खड़े नहीं रहते हैं. वे केवल उन्हीं मुद्दों पर बीजेपी के साथ नजर आते हैं, जो उनके वोट बैंक के अनुकुल हों.
ताजा, बिहार के सीएम नीतीश कुमार ने धारा 370 को लेकर बड़ा बयान दिया है. उन्होंने कहा है कि- कश्मीर में धारा 370 को खत्म नहीं किया जा सकता है. धारा 370 का संविधान में प्रावधान है. आतंकी गतिविधियां रोकने के लिए धारा 370 को हटाने की जरूरत नहीं है. हम धारा 370 को हटाने के खिलाफ हैं.
उनका यह कहना था कि जल्दी ही चुनाव की घोषणा होने वाली है. चुनावी घोषणा के पहले तक लोग कुछ-न-कुछ कमेंट करेंगे. जो कमेंट करते हैं करें, हम इस मसले पर कोई कमेंट नहीं करेंगे.यही नहीं, तीन तलाक के मुद्दे पर भी नीतीश कुमार की पार्टी जनता दल यूनाइटेड, केंद्र की बीजेपी नेतृत्व वाली एनडीए सरकार के साथ नहीं थी.
नीतीश कुमार की परेशानी यह है कि वैचारिक रूप से और वोट बैंक के नजरिए से वे गैर-भाजपाई महागठबंधन के करीब हैं, परन्तु अपनी साफ छवि पर सुशासन बाबू कोई दाग-दबाव नहीं चाहते हैं. इसी कारण से उन्होंने लालू प्रसाद का साथ छोड़ कर नरेन्द्र मोदी का हाथ थाम लिया था. न पीएम मोदी और न ही नीतीश कुमार, अकेले दम पर बिहार पर सियासी कब्जा कर सकते हैं, इसीलिए परस्पर विरोधी विचारधाराओं के बावजूद साथ जरूर हैं, लेकिन यह साथ लंबा चल पाएगा, इसकी संभावना बहुत कम है.