लोकसभा चुनावः BJP मार्गदर्शकों के नाम पर हो रहा फर्जीवाड़ा, जिसने मचाई राजनीतिक गलियारों में हलचल
By नितिन अग्रवाल | Published: April 15, 2019 08:21 AM2019-04-15T08:21:10+5:302019-04-15T08:21:10+5:30
लालकृष्ण आडवाणी एक ब्लॉग के माध्यम से पार्टी की मौजूदा कार्यप्रणाली पर सवाल खड़े कर चुके हैं. उन्होंने पार्टी कार्यकर्ताओं को लोकतांत्रिक मूल्यों की याद दिलाते हुए स्पष्ट किया था कि भाजपा में प्रतिद्वंद्वियों को कभी देशद्रोही नहीं माना गया.
भाजपा के मार्गदर्शक और कानपुर से मौजूदा सांसद मुरली मनोहर जोशी की एक चिट्ठी ने राजनीतिक गलियारों में हलचल मचा दी. दिग्गज नेता लालकृष्ण आडवाणी को संबोधित करते हुए इस चिट्ठी में भाजपा द्वारा जोशी की अनदेखी करने के साथ प्रजातांत्रिक मूल्यों की धज्जियां उड़ाने का आरोप लगाया गया है. इसके अलावा दोनों नेताओं के अपमान की बात भी कही गई. हालांकि जोशी के कार्यालय ने इस चिट्ठी को सिरे से खारिज कर दिया है.
चिट्ठी जारी करने वालों ने समाचार एजेंसी के लोगों का भी इस्तेमाल किया. लेकिन एजेंसी ने भी इससे अपना पल्ला झाड़ लिया. दरअसल भाजपा के दोनों संस्थापक सदस्यों को टिकट देने से इनकार कर दिया गया था. टिकट नहीं दिए जाने के बाद जोशी ने अपने संसदीय क्षेत्र कानपुर के मतदाताओं के नाम एक खुला पत्र लिखकर इस पर अपनी नाराजगी जाहिर की थी. दोनों नेताओं ने पार्टी के स्थापना दिवस पर भी मुलाकात की. जिसके बाद कहा जा रहा था कि दोनों नेता कोई कड़ी प्रतिक्रि या दे सकते हैं. लिहाजा पहले चरण के मतदान के बाद आई इस चिट्ठी को पहली नजर में सच मान लिया गया.
दो पन्नों की यह चिट्ठी जोशी के आधिकारिक लेटरहेड पर जारी की गई. जिस पर 12 अप्रैल 2019 की तारीख लिखी गई है. चिट्ठी का सच जानने के लिए जोशी से संपर्क नहीं हो सका, लेकिन उनके कार्यालय ने बताया कि इस तरह का कोई पत्र जारी नहीं किया गया है.
आडवाणी भी साध चुके हैं निशाना
आडवाणी भी इससे पहले एक ब्लॉग के माध्यम से पार्टी की मौजूदा कार्यप्रणाली पर सवाल खड़े कर चुके हैं. उन्होंने पार्टी कार्यकर्ताओं को लोकतांत्रिक मूल्यों की याद दिलाते हुए स्पष्ट किया था कि भाजपा में प्रतिद्वंद्वियों को कभी देशद्रोही नहीं माना गया.
आडवाणी का फर्जी ट्विटर
चंद रोज पहले लालकृष्ण आडवाणी के नाम से एक ट्विटर एकाउंट भी सामने आया. इसमें प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी और अमित शाह के कामकाज की तारीफ की गई थी. इतना ही नहीं इसे भाजपा के कई वरिष्ठ नेताओं द्वारा फॉलो भी किया जा रहा है. हालांकि आडवाणी के कार्यालय ने इसे फर्जी करार देते हुए बंद कराने की बात कही. भाजपा के एक वरिष्ठ नेता ने आशंका जताई की विपक्षी दलों की ओर से भाजपा को बदनाम करने के लिए इस तरह की साजिश चुनाव में आम बात है. इसके माध्यम से वह पार्टी और उसके नेताओं की छवि खराब करना चाहते हैं, लेकिन जनता उनकी मंशा भांप चुकी है.