लोकसभा चुनावः बागी तेवरों से भयभीत बीजेपी, टिकट न मिलने और कटने पर कई नेता जता रहे हैं नाराजगी

By शिवअनुराग पटैरया | Published: March 29, 2019 06:08 AM2019-03-29T06:08:42+5:302019-03-29T06:08:42+5:30

प्रत्याशियों की पहली सूची जारी होंने के बाद जिस तरह शहडोल से टिकट कटने पर सांसद ज्ञान सिंह ने सार्वजनिक तेवर दिखाए उससे भाजपा को चिंतित कर दिया. भाजपा ने शहडोल संसदीय क्षेत्र से उनका टिकट काटकर कांग्रेस से आई हिमाद्री सिंह को प्रत्याशी बनाया है.

lok sabha elections: bjp is feared from rebel leaders in madhya pradesh | लोकसभा चुनावः बागी तेवरों से भयभीत बीजेपी, टिकट न मिलने और कटने पर कई नेता जता रहे हैं नाराजगी

लोकसभा चुनावः बागी तेवरों से भयभीत बीजेपी, टिकट न मिलने और कटने पर कई नेता जता रहे हैं नाराजगी

मध्यप्रदेश में भाजपा बगावत की आशंका से भयभीत है. भाजपा ने अब तक राज्य की 29 में से 15 सीटों के लिए प्रत्याशी घोषित कर दिए हैं, पर प्रत्याशी चयन को लेकर उठ खड़े हुए असंतोष ने उसे बहुत कुछ आगे पीछे सोचने पर विवश कर दिया है. भाजपा ने नाराज लोगों को मनाने का दायित्व पूर्व मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान को सौंपा है. 

उन्होंने खुद संवाददाताओं से बातचीत करते हुए कहा कि वे प्रदेश भाजपा के दफ्तर में बैठकर समन्वय का काम करेंगे. पिछले विधानसभा चुनाव में कांग्रेस ने यह काम पूर्व मुख्यमंत्री दिग्विजय सिंह को दिया था. वे उसमें काफी हद तक कामयाब भी हुए थे. लगता है उसी से प्रेरित होकर भाजपा ने अपने पूर्व मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान को वैसा ही दायित्व सौंपा है.

उन्नतीस में से पंद्रह सीटों पर भाजपा के द्वारा प्रत्याशी घोषित होने के साथ ही जिस तरह असंतोष के स्वर उठ खड़े हुए, उसने शेष 14 सीटों पर भाजपा को मंथन, चिंतन और सावधानी बरतने के लिए विवश कर दिया. इसी कारण संघ के एक प्रमुख पदाधिकारी भैय्याजी जोशी को खुद भोपाल आकर प्रदेश भाजपा के नेताओं से मशविरा कराना पड़ा. 

प्रत्याशियों की पहली सूची जारी होंने के बाद जिस तरह शहडोल से टिकट कटने पर सांसद ज्ञान सिंह ने सार्वजनिक तेवर दिखाए उससे भाजपा को चिंतित कर दिया. भाजपा ने शहडोल संसदीय क्षेत्र से उनका टिकट काटकर कांग्रेस से आई हिमाद्री सिंह को प्रत्याशी बनाया है. वे कहते हैं कि जब में चुनाव लड़ना नहीं चाहता था, तब चुनाव लड़वाया गया और जब चुनाव लड़ना चाहता हूं तब टिकट काट दिया गया. उनकी नाराजगी इस हद तक है कि वे शहडोल से निर्दलीय चुनाव लड़ने पर आमादा है.

ज्ञान की तरह मुरैना से पूर्व प्रधानमंत्री अटल बिहारी वाजपेयी के भांजे अनूप मिश्रा का टिकट काटकर वहां से केन्द्रीय मंत्री नरेन्द्र सिंह तोमर को प्रत्याशी बनाया गया है. अनूप इससे बेहद खफा हैं. वह अब ग्वालियर से दावेदारी कर रहे हैं. वहां से भाजपा ने प्रत्याशी नहीं बनाया तो अनूप पार्टी छोड़कर कांग्रेस में भी जा सकते हैं. अनूप के साथ ही भिंड से टिकट न मिलने से नाराज पूर्व सांसद अशोक अर्गल भी खफा हैं.वे भी कांग्रेस में जाने के लिए अनूप के साथ ही ज्योतिरादित्य सिंधिया से संपर्क में है.

कुछ इसी तरह की नाराजगी भोपाल के भाजपा सांसद आलोक संजर को भी हैं. कांग्रेस के द्वारा दिग्विजय सिंह को प्रत्याशी बनाए जाने के बाद भाजपा उनके स्थान पर नए चेहरे की तलाश में है. भाजपा जिन चेहरों में संभावनाएं तलाश रही है, उसमें एक और नया नाम पूर्व मुख्यमंत्री उमाभारती का जुड़ गया है. उनके अलावा साध्वी प्रज्ञा भारती, वीडी शर्मा और मेयर आलोक शर्मा भी यहां से दावेदार हैं. आलोक संजर ने अपना टिकट काटने की चर्चाओं के बीच आज कहा कि पार्टी टिकट दे तो ठीक अन्यथा फिर भी वह चुनाव मैदान में होंगे.

टिकट वितरण को लेकर उठ रहे नाराजगी भरे स्वर के बीच असंतुष्टों ओर बागियों को मनाने के लिए शिवराज सिंह चौहान के अलावा राष्टÑीय स्वयं सेवक संघ भी मैदान में उतर गया है. भाजपा टिकट न मिलने और कटने से नाराज नेताओं को कैसे और किस तरह मना पाती है, यह उसकी चुनावी संभावनाओं को प्रभावित करेगा.

Web Title: lok sabha elections: bjp is feared from rebel leaders in madhya pradesh