लोकसभा चुनाव 2019: बेलगाम बयानों पर रोक और गुटबाजी पर नियंत्रण के बगैर कांग्रेस का जीतना मुश्किल!

By प्रदीप द्विवेदी | Published: March 14, 2019 05:40 AM2019-03-14T05:40:11+5:302019-03-14T05:40:11+5:30

भाजपा चाहती है कि यह मुद्दा बना रहे ताकि रोजगार, खेती-किसानी, गैस-पेट्रोल के रेट जैसे जनिहत के मुद्दे दबे रहें. सियासी संकेत यही हैं कि- लोस चुनाव में मुद्दों से ज्यादा प्रभावी भूमिका राजनीतिक माहौल की रहेगी, भाजपा इस मामले में कांग्रेस से बहुत आगे है.

Lok Sabha Elections 2019: Without convincing the Belgaum statements and control of factionalism, it is difficult to win the Congress! | लोकसभा चुनाव 2019: बेलगाम बयानों पर रोक और गुटबाजी पर नियंत्रण के बगैर कांग्रेस का जीतना मुश्किल!

लोकसभा चुनाव 2019: बेलगाम बयानों पर रोक और गुटबाजी पर नियंत्रण के बगैर कांग्रेस का जीतना मुश्किल!

कांग्रेस अध्यक्ष राहुल गांधी ने पीएम नरेंद्र मोदी को उनके ही गृह राज्य गुजरात से लोस चुनाव के लिए चुनौती जरूर दी है, लेकिन गुजरात विस चुनाव के नतीजे साक्षी हैं कि यदि नेताओं के बेलगाम बयानों पर रोक लगाने में कांग्रेस नाकामयाब रही, तो राजनीतिक माहौल भले ही कांग्रेस के पक्ष में हो, केंद्र की सत्ता का सपना, सपना ही रह जाएगा.

इसके उलट, यदि बेलगाम बयानों पर रोक और गुटबाजी पर नियंत्रण के साथ-साथ चुनाव प्रबंधन में कांग्रेस सफल रही तो 200 से ज्यादा लोस सीटें भी हासिल कर सकती है. राजनीतिक जानकारों का मानना है कि- कांग्रेस, एक सौ सीटें अकेले एमपी, राजस्थान, छत्तीसगढ़, पंजाब, गुजरात आदि राज्यों से, तो एक सौ सीटें सहयोगी दलों के साथ गठबंधन करके कर्नाटक, आंध्रप्रदेश, बिहार, पश्चिम बंगाल, महाराष्ट्र, यूपी, ओडिशा, झारखंड, तमिलनाडु जैसे राज्यों से हासिल कर सकती है. याद रहे, गुजरात विस चुनाव के दौरान कांग्रेस नेता मणिशंकर अय्यर के पीएम मोदी के लिए दिए गए एक विवादास्पद बयान के बाद भाजपा ने इसको लेकर कांग्रेस पर इमोशनल अटैक किया था और पॉलिटिकल प्रोफिट भी लिया था.

इसका नतीजा यह रहा था कि गुजरात की सत्ता कांग्रेस के हाथों से फिसल गई. इस वक्त भाजपा के पास जनता को प्रभावित करने वाले मुद्दों का अभाव है, लिहाजा विपक्षी नेताओं के विवादास्पद बयान भाजपा के लिए चुनावी संजीवनी साबित हो सकते हैं.

ऐसे बयानों का भले ही तथ्यात्मक आधार हो, भले ही तार्किक अर्थ हो, लेकिन ऐसे बयानों के भावार्थ के आधार पर भापपा, विपक्ष पर इमोशनल अटैक करने का मौका हाथ से जाने नहीं देगी.खासकर, एयर स्ट्राइक जैसे मुद्दों पर सवाल उठाकर विपक्ष, भाजपा को लोस चुनाव के लिए सियासी ढाल उपलब्ध करवा रहा है. नवजोत सिंह सिद्धू, दिग्विजय सिंह, ममता बनर्जी आदि के बयानों के पीछे सोच कुछ भी हो, भावना कुछ भी हो, लेकिन भावार्थ भाजपा को फायदा पहुंचा रहा है.

भाजपा चाहती है कि यह मुद्दा बना रहे ताकि रोजगार, खेती-किसानी, गैस-पेट्रोल के रेट जैसे जनिहत के मुद्दे दबे रहें. सियासी संकेत यही हैं कि- लोस चुनाव में मुद्दों से ज्यादा प्रभावी भूमिका राजनीतिक माहौल की रहेगी, भाजपा इस मामले में कांग्रेस से बहुत आगे है.

गुटबाजी कांग्रेस के लिए चुनौती

कांग्रेस के लिए बड़ी चुनौती एमपी, राजस्थान, पंजाब जैसे राज्यों में गुटबाजी है. यदि इस पर नियंत्रण करने में कांग्रेस असफल रही तो ऐसे राज्यों में विस चुनाव की कामयाबी, लोस चुनाव में दोहराना कांग्रेस के लिए मुश्किल हो जाएगा.

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