लोकसभा चुनाव 2019: नितिन गडकरी के शब्दबाण! कहीं पे निगाहें, कहीं पे निशाना?
By प्रदीप द्विवेदी | Published: January 29, 2019 08:11 AM2019-01-29T08:11:27+5:302019-01-29T08:33:14+5:30
लोकसभा चुनाव 2019 (Lok Sabha Elections 2019 | Lok Sabha Chunav 2019): केंद्रीय मंत्री नितिन गडकरी ने लोकसभा चुनाव से पहले ऐसा बयान दिया है, जिससे पीएम मोदी सरकार के वादों और इरादों पर प्रश्नचिन्ह लग सकता है. नितिन गडकरी ने चुनाव में किए गए वादों का जिक्र करते हुए एक समारोह में कहा कि- सपने वही दिखाओ जो पूरे हो सकें, वरना जनता सपने पूरे नहीं होने पर नेताओं की पिटाई करती है.
कुछ समय से केंद्रीय मंत्री नितिन गडकरी के जो सियासी बयान आ रहे हैं, उनका अंदाज- कहीं पे निगाहें, कहीं पे निशाना, जैसा है? ऐसे बयानों के प्रत्यक्ष अर्थ तो सबके लिए हैं, परन्तु परोक्ष भावार्थ, पीएम मोदी पर निशाना साधते नजर आ रहे हैं. यही वजह है कि उनके बयान बतौर सियासी हथियार विपक्ष के ज्यादा काम आ रहे हैं?
केंद्रीय मंत्री नितिन गडकरी ने लोकसभा चुनाव से पहले ऐसा बयान दिया है, जिससे पीएम मोदी सरकार के वादों और इरादों पर प्रश्नचिन्ह लग सकता है. नितिन गडकरी ने चुनाव में किए गए वादों का जिक्र करते हुए एक समारोह में कहा कि- सपने वही दिखाओ जो पूरे हो सकें, वरना जनता सपने पूरे नहीं होने पर नेताओं की पिटाई करती है.
नितिन गडकरी ने इस बयान में न तो किसी नेता का और न ही किसी दल का नाम लिया, परन्तु उनका शब्दबाण पीएम मोदी सरकार पर निशाना साधता नजर आया, क्योंकि अच्छे दिनों के सबसे ज्यादा सपने पीएम मोदी ने ही दिखाए थे और सारे सपने, सपने ही रह गए हैं.
जाहिर है, इसके बाद रोचक प्रतिक्रियाएं आनी ही थी.
कांग्रेस की प्रवक्ता प्रियंका चतुर्वेदी ने ट्वीट किया- गडकरी जी हम समझ गए कि आपका निशाना किधर है. इस ट्वीट के माध्यम से उन्होंने पीएम मोदी द्वारा किए गए वादे पूरे न होने की ओर तो इशारा किया ही, आगे भी बीजेपी को घेरने की भूमिका तैयार कर दी है. उधर, सांसद असदुद्दीन ओवैसी ने भी गडकरी के बयान के बाद ट्वीट किया- नितिन गडकरी बड़ी चतुराई से पीएम मोदी को आईना दिखा रहे हैं.
खबर है कि अपने सीधे और साफ बयानों के लिए विख्यात नितिन गडकरी के इस बयान के बाद बीजेपी बचाव की मुद्रा में है और इसका भावार्थ यह बता रही है कि गडकरी ने वादे पूरा न होने की बात विपक्ष के संदर्भ में कही है, मोदी सरकार ने तो जनता से जो भी वादे किए थे उन्हें वक्त पर पूरा किया गया है.
लेकिन, बड़ा सवाल यह है कि- अभी तो केन्द्र की सत्ता में केवल पीएम मोदी ही हैं, तो फिर कोई और कैसे वादे तोड़ कर जनता को नाराज कर सकता है? जाहिर है, इस वक्त तो यह बयान बीजेपी की ओर ही इशारा करता नजर आ रहा है.
दरअसल, कुछ समय से बतौर पीएम, नरेन्द्र मोदी के अलावा नितिन गडकरी, राजनाथ सिंह आदि के नाम भी चर्चाओं में हैं, ऐसे में गडकरी का बयान बेहद महत्वपूर्ण माना जा रहा है, क्योंकि समझा जाता है कि अगली बार केन्द्र में गठबंधन सरकार बनेगी और ऐसी स्थिति में नरेन्द्र मोदी को फिर से पीएम बनाने के लिए कुछ सहयोगी दल तैयार नहीं होंगे, यही नहीं बीजेपी के भीतर भी मोदी का विरोध हो सकता है, तब नितिन गडकरी को यह अवसर मिल सकता है.
उल्लेखनीय है कि नितिन गडकरी ने पहली बार ऐसा बयान नहीं दिया है जिसे लेकर सियासी हलचल मची है. इससे पहले भी कई बार उनके बयानों ने पीएम मोदी टीम को उलझन में डाल दिया था.
जहां पीएम मोदी, गांधी-नेहरू परिवार पर सियासी हमला करने का कोई मौका छोड़ते नहीं हैं, वहीं नितिन गडकरी पूर्व प्रधानमंत्री जवाहर लाल नेहरू के भाषण की खुलकर तारीफ कर चुके हैं तो उन्होंने कुछ समय पहले इंदिरा गांधी की भी तारीफ की थी.
इस वक्त बेरोजगारी सबसे बड़ा मुद्दा है और मोदी सरकार ने सवर्ण आरक्षण से इसे साधने की कोशिश की है, लेकिन आरक्षण को लेकर जो कुछ नितिन गडकरी ने कहा वह बेहद दिलचस्प है, गडकरी ने कहा- आरक्षण देने से क्या होगा, जब नौकरियां हैं ही नहीं? उनका कहना था कि नौकरियां कम हो रही हैं, अगर आरक्षण दे भी दिया जाता है तो नौकरी कैसे देंगे, सरकारी भर्ती रुकी हुई है, नौकरियां कहां हैं?
यही नहीं, बीजेपी द्वारा तीन प्रदेशों में सत्ता गंवाने के बाद गडकरी नेताओं की जिम्मेदारी सुनिश्चित करने को लेकर भी बोले थे, उन्होंने कहा था कि अगर पार्टी सांसद और विधायक अच्छा नहीं करता तो इसकी जिम्मेदारी पार्टी के मुखिया की होती है, इतना ही नहीं, वे आगे बोले कि सफलता के दावेदार कई होते हैं, लेकिन विफलता में कोई साथ नहीं होता. सफलता का श्रेय लेने के लिए होड़ रहती है, लेकिन असफलता को कोई स्वीकार नहीं करना चाहता, उस वक्त सब दूसरे की ओर उंगली दिखाने लगते हैं.
सियासी सारांश यही है कि ज्यों-ज्यों लोस चुनाव करीब आ रहे हैं, पीएम मोदी टीम के लिए बीजेपी के बाहर से ही नहीं, भीतर से भी चुनौतियां बढ़ती जा रही है.