लोकसभा चुनाव 2019: मछलीपट्टनम लोकसभा सीट पर जाति का गणित कर सकता है उलटफेर
By भाषा | Published: April 9, 2019 05:03 PM2019-04-09T17:03:25+5:302019-04-09T17:03:25+5:30
इस सीट पर TDP ने मौजूदा सांसद कोंकल्ला नारायण राव (गौडा) पर एक बार फिर भरोसा जताते हुये टिकट दिया है। उनका मुख्य मुकाबला वाईएसआर कांग्रेस के प्रत्याशी वल्लभानेनी बालाश्योरी (कपू) से है।
आंध्रप्रदेश की मछलीपट्टनम सीट के परिणाम पर जातीय समीकरण असर डाल सकते हैं। यहां के चुनावों पर नजदीक से निगाह रखने वाले विश्लेषकों ने यह बात कही है। इस बार यहां की चुनावी लड़ाई गौडा (पिछडी जाति) बनाम कपू समुदाय के प्रत्याशियों के मध्य मानी जा रही है।
इस सीट पर तेदेपा ने मौजूदा सांसद कोंकल्ला नारायण राव (गौडा) पर एक बार फिर भरोसा जताते हुये टिकट दिया है। उनका मुख्य मुकाबला वाईएसआर कांग्रेस के प्रत्याशी वल्लभानेनी बालाश्योरी (कपू) से है। मतदान का दिन निकट आने के साथ दोनों प्रत्याशियों के मध्य वाकयुद्ध भी बढ़ता जा रहा है।
इसकी शुरूआत तेदेपा नेताओं के बालाश्योरी को व्यंग्य के तौर पर ‘‘प्रवासी चिड़िया’’ का उपनाम देने से हुई। इसकी वजह यह है कि उन्होंने पहले तेनाली और गुंटूर लोकसभा चुनाव लड़ा था और वे यहां के निवासी भी नहीं है। इसके जवाब में बालाश्योरी ने कहा कि मौजूदा सांसद क्षेत्र में एक भी परियोजना लाने में फतेह हासिल नहीं कर सके है। मछलीपट्टनम की आधी आबादी पिछड़ों की है और इस वर्ग के मतदाताओं की संख्या करीब सात लाख है।
यहां ढाई लाख अनुसूचित जाति के मतदाता हैं (17 प्रतिशत) और उनके बाद कपू मतदाता 2.03 लाख (13.8 प्रतिशत) और 1.07 लाख कम्मा (7.3 प्रतिशत) हैं। यहां पर 12 उम्मीदवार चुनावी परीक्षा से गुजरेंगे और इसमें कांग्रेस, भाजपा और नई पार्टी जनसेना के उम्मीदवार शामिल हैं।
मछलीपट्टनम सीट को लंबे समय तक कम्मा समुदाय का गढ़ समझा जाता रहा है। कम्मा प्रभुत्व को कम करने के लिए तेदेपा ने यहां कपू और पिछड़े समुदाय को बढ़ावा देना शुरू किया। जानकारों का मानना है कि अनुसूचित जनजाति के वोट चुनाव परिणाम की दिशा बदल सकते हैं। कपू वोट वाईएसआर कांग्रेस और जनसेना में बंटने का अनुमान लगाया जा रहा है।