लोकसभा चुनाव 2019: तेजस्वी पर दबाव बढ़ता देख कांग्रेस से समझौता के लिए लालू यादव ने संभाली कमान

By संतोष ठाकुर | Published: March 13, 2019 05:29 AM2019-03-13T05:29:16+5:302019-03-13T05:29:16+5:30

बिहार में राजद और कांग्रेस के बीच तालमेल को लेकर बढ़ती समस्या और इसकी वजह से कार्यकर्ताओं में उत्पन्न होती तल्खी को देखते हुए राजद सुप्रीमों लालू प्रसाद ने कांगेस के साथ समझौता की कमान स्वयं अपने हाथ में ले ली है।

Lok Sabha Elections 2019: Lalu Yadav took over tejashwi as the compromise with Congress | लोकसभा चुनाव 2019: तेजस्वी पर दबाव बढ़ता देख कांग्रेस से समझौता के लिए लालू यादव ने संभाली कमान

लोकसभा चुनाव 2019: तेजस्वी पर दबाव बढ़ता देख कांग्रेस से समझौता के लिए लालू यादव ने संभाली कमान

Highlightsबिहार में चुनाव बड़े स्तर पर अगड़े और पिछड़ों के नाम पर लड़े जाते रहे हैं। जातियों का प्रभाव सभी चुनाव में बड़ा मुददा रहा है। बिहार में करीब 15 प्रतिशत यादव और मुस्लिम 16 प्रतिशत हैं।

बिहार में राजद और कांग्रेस के बीच तालमेल को लेकर बढ़ती समस्या और इसकी वजह से कार्यकर्ताओं में उत्पन्न होती तल्खी को देखते हुए राजद सुप्रीमों लालू प्रसाद ने कांगेस के साथ समझौता की कमान स्वयं अपने हाथ में ले ली है। पहले उन्होंने इसके लिए तेजस्वी यादव को जिम्मेदारी दी थी।

हालांकि जब राहुल गांधी और उनके बीच इस मामले पर लगातार प्रयास के बात भी बातचीत नहीं हो पाई और जब राजग के फार्मूला पर कांग्रेस नेताओं ने बराबर सीटों का फार्मूला दिया तो लालू प्रसाद ने तेजस्वी की जगह स्वयं ही सीटों के बंटवारे को अंतिम रूप देने का निर्णय करते हुए कमान संभाल ली। राजद ने अपने इस फैसले से कांग्रेस को भी अवगत करा दिया है। ऐसे में रिम्स में इलाज करा रहे लालू प्रसाद ही अब बिहार में कांग्रेस के साथ सीटों का बंटवारा तय करेंगे। 

बिहार में आम चुनाव 2019 की कमान राजद की ओर से लालू प्रसाद के स्वयं संभालने के बड़े मायने हैं। वह नहीं चाहते हैं कि तेजस्वी यादव किसी भी सूरत में कांग्रेस के दबाव में आए और  इसका लाभ कांग्रेस को मिल पाए। लालू की चिंता का विषय यह भी है कि कांग्रेस ने अपनी परंपरागत सीटों की जगह इस बार उन सीटों पर भी अपनी ताल ठोकना शुरू कर दिया है जहां पर परंपरागत रूप से राजद का दबदबा देखा गया है।

इन सीटों में दरभंगा, मुंगेर, जहानाबाद, मोतिहारी, शिवहर, मधेपुरा, पूर्णिया, नवादा और झंझारपुर सीट शामिल है। खासकर मिथिलांचल में राजद का बेहतर प्रदर्शन रहा है। ऐसे में वहां पर कांग्रेस की दावेदारी को लेकर राजद को खासी समस्या हो रही है। यही नहीं, कांग्रेस की देखादेखी रालोसपा ने भी उजियारपुर और मोतिहारी सीट पर दावेदारी शुरू कर दी है। जिसे महागठबंधन के लिए राजद एक शुभ संकेत नहीं मानता है।

राजद के एक नेता ने कहा कि कांग्रेस नेता राजग के बराबर सीट फार्मूला के साथ ही अपने लिए 12 सीट मांग रहा है। जबकि राजद को 18 सीट देने की बात कर रहा है। जबकि दस सीट वह महागठबंधन के अन्य दल हम, रालोसपा और विकासशील इंसान पार्टी के लिए छोड़ने की बात कर रहा है। यही नहीं, कांग्रेस राजद को अपने कोटे की सीट कम करते हुए 16 तक करने की बात कर रहा है। जबकि दूसरी ओर बिहार में पिछले 25 साल का रिकार्ड है कि यहां पर चुनाव का बड़ा फैक्टर लालू प्रसाद रहे हैं। चुनाव उनके पक्ष या विपक्ष में ही लड़े जाते रहे हैं।

जमीन पर कांग्रेस नहीं है। उसके बाद भी उनका एक वर्ग गलत जानकारी अपने केंद्रीय नेतृत्व को दे रहा है। लालू प्रसाद नहीं चाहते हैं कि यह पुराना गठबंधन किसी दरार को देखे। यही वजह है कि तेजस्वी यादव के साथ उन्होंने स्वयं गठबंधन की जिम्मेदारी अपने हाथ में ले ली है। इसके अलावा लालू का कमान संभालना इस मायने में भी अहम है कि यहां पर 40 सीट के लिए पहली बार 7 चरणों में चुनाव होंगे। इससे भाजपा—जदयू गठबंधन के पास महागठबंधन के खिलाफ प्रचार और उसकी घेराबंदी करने का अधिक समय रहेगा। एक राजद नेता ने कहा कि निश्चित तौर पर उनकी कथित घेराबंदी से निपटने में लालू यादव जैसे अनुभवी नेता का लाभ हमें मिलेगा। 

बिहार में चुनाव बड़े स्तर पर अगड़े और पिछड़ों के नाम पर लड़े जाते रहे हैं। जातियों का प्रभाव सभी चुनाव में बड़ा मुददा रहा है। बिहार में ब्राहमण करीब 6 प्रतिशत, भूमिहार और राजपूत करीब 5—5 प्रतिशत, कायस्थ करीब डेढ़ प्रतिशत, बनिया वर्ग जो बिहार में पिछड़ी जाति में शामिल हैं वह करीब 7 प्रतिशत हैं। इनमें से ब्राहमण, कायस्थ, भूमिहार और राजपूत या अगड़ी जातियों को बड़े स्तर पर भाजपा के पक्ष में माना जाता है।

इनके अलावा बिहार में करीब 15 प्रतिशत यादव और मुस्लिम 16 प्रतिशत हैं। इन दो बड़े वर्ग को बिहार में माई फैक्टर माना जाता है और इसे बड़े स्तर पर राजद का मतदाता माना जाता है। इसके अलावा करीब 33 प्रतिशत पिछ़ड़े, दलित, महादलित हैं। इस वोट बैंक पर राजद और जदयू के बीच खींचतान चलती रहती है। 

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