लोकसभा चुनाव 2019: सपा-बसपा गठबंधन पर कल रुख साफ करेगी कांग्रेस, अकेले लड़ सकती है चुनाव
By भाषा | Published: January 12, 2019 08:38 PM2019-01-12T20:38:59+5:302019-01-12T20:38:59+5:30
इस बड़े राजनीतिक घटनाक्रम के बारे में पूछे जाने पर कांग्रेस महासचिव और उत्तर प्रदेश प्रभारी गुलाम नबी आजाद ने कहा कि पार्टी तत्काल प्रतिक्रिया नहीं देगी और रविवार को लखनऊ में विस्तृत प्रतिक्रिया दी जाएगी।
कांग्रेस उत्तर प्रदेश में सपा और बसपा के गठबंधन से खुद को अलग रखे जाने पर कल विस्तृत रूप से अपना रुख स्पष्ट करेगी। हालांकि सूत्रों का कहना है कि पार्टी राजनीतिक रूप से महत्वपूर्ण राज्य में अब अकेले चुनाव लड़ सकती है।
इस बड़े राजनीतिक घटनाक्रम के बारे में पूछे जाने पर कांग्रेस महासचिव और उत्तर प्रदेश प्रभारी गुलाम नबी आजाद ने कहा कि पार्टी तत्काल प्रतिक्रिया नहीं देगी और रविवार को लखनऊ में विस्तृत प्रतिक्रिया दी जाएगी।
आजाद ने इससे पहले उत्तर प्रदेश कांग्रेस कमेटी के अध्यक्ष राज बब्बर और दूसरे वरिष्ठ नेताओं से मुलाकात की।
सपा-बसपा गठबंधन के सवाल पर कांग्रेस प्रवक्ता मनीष तिवारी ने कहा कि रविवार को गुलाम नबी आजाद इस बारे में विस्तृत प्रतिक्रिया देंगे।
सूत्रों के मुताबिक कांग्रेस करीब 20 लोकसभा सीटों पर मजबूती के साथ चुनाव लड़ने का मन बना रही है जिनमें दो सीटें रायबरेली और अमेठी तथा आठ वे सीटें शामिल हैं जहां पिछले लोकसभा चुनाव में पार्टी दूसरे स्थान पर रही थी।
कांग्रेस सूत्रों का यह भी कहना है कि इन सीटों पर चुनाव लड़ने के लिए कांग्रेस नेतृत्व सपा एवं बसपा के साथ परस्पर सहमति बनाने की कोशिश करेगा।
सूत्रों ने यह भी कहा कि मायावती ने रायबरेली और अमेठी की सीटें कांग्रेस के लिए छोड़ने की घोषणा करते हुए जो बात कही, उसमें कांग्रेस के लिए एक सकारात्मक संदेश था।
दरअसल, मायावती ने कहा, ‘‘अमेठी और रायबरेली, यह दोनों लोकसभा की सीटें हमने कांग्रेस पार्टी के साथ बिना कोई गठबंधन किए ही उनके लिए छोड़ दी हैं, ताकि भाजपा के लोग इन दोनों सीटों पर कांग्रेस पार्टी की संरक्षक (सोनिया गांधी) व उनके अध्यक्ष (राहुल गांधी) को उलझाकर न रख सकें।’’
आजाद तथा अन्य वरिष्ठ नेता अपनी पार्टी की रणनीति पर विचार विमर्श के लिए रविवार को लखनऊ पहुंच रहे हैं । सपा-बसपा में गठबंधन की घोषणा से पहले कांग्रेस ने कई मौकों पर कहा है कि भाजपा के खिलाफ समान विचार वाले सभी दलों को साथ आना चाहिए ताकि वोटों का बंटवारा नहीं हो।
कांग्रेस प्रवक्ता अभिषेक मनु सिंघवी ने शुक्रवार को कहा था कि समान विचार वाले सभी दलों का उद्देश्य देश से ‘कुशासन और तानाशाही’ को खत्म करना है, लेकिन सबसे ज्यादा आबादी वाले राज्य में कांग्रेस की किसी भी तरह की उपेक्षा करना राजनीतिक रूप से ‘खतरनाक भूल’ होगी।