लोकसभा चुनाव 2019: बेलगाम बयानों पर रोक और गुटबाजी पर नियंत्रण के बगैर कांग्रेस के लिए चुनाव जीतना मुश्किल!

By प्रदीप द्विवेदी | Published: March 13, 2019 06:11 AM2019-03-13T06:11:40+5:302019-03-13T06:13:23+5:30

इस वक्त बीजेपी के पास जनता को प्रभावित करने वाले मुद्दों का अभाव है, लिहाजा विपक्षी नेताओं के विवादास्पद बयान बीजेपी के लिए चुनावी संजीवनी साबित हो सकते हैं.

Lok Sabha Elections 2019: congress leaders avoid statements and groupism for win the 2019 election! | लोकसभा चुनाव 2019: बेलगाम बयानों पर रोक और गुटबाजी पर नियंत्रण के बगैर कांग्रेस के लिए चुनाव जीतना मुश्किल!

लोकसभा चुनाव 2019: बेलगाम बयानों पर रोक और गुटबाजी पर नियंत्रण के बगैर कांग्रेस के लिए चुनाव जीतना मुश्किल!

Highlightsकांग्रेस के लिए बड़ी चुनौती एमपी, राजस्थान, पंजाब जैसे राज्यों में गुटबाजी हैसियासी संकेत यही हैं कि- लोकसभा चुनाव चुनाव में मुद्दों से ज्यादा प्रभावी भूमिका राजनीतिक माहौल की रहेगी

कांग्रेस अध्यक्ष राहुल गांधी ने पीएम नरेन्द्र मोदी को उनके ही गृहराज्य गुजरात से लोस चुनाव के लिए चुनौती जरूर दी है, लेकिन गुजरात विस चुनाव के नतीजे साक्षी हैं कि यदि नेताओं के बेलगाम बयानों पर रोक लगाने में कांग्रेस नाकामयाब रही, तो राजनीतिक माहौल भले ही कांग्रेस के पक्ष में हो, केन्द्र की सत्ता का सपना, सपना ही रह जाएगा.

इसके उलट, यदि बेलगाम बयानों पर रोक और गुटबाजी पर नियंत्रण के साथ-साथ चुनाव प्रबंधन में कांग्रेस सफल रही तो 200 से ज्यादा लोस सीटें भी हांसिल कर सकती है.

राजनीतिक जानकारों का मानना है कि- कांग्रेस, एक सौ सीटें अकेले एमपी, राजस्थान, छत्तीसगढ़, पंजाब, गुजरात आदि राज्यों से, तो एक सौ सीटें सहयोगी दलों के साथ गठबंधन करके कर्नाटक, आंध्रप्रदेश, बिहार, पश्चिम बंगाल, महाराष्ट्र, यूपी, ओडिशा, झारखंड, तमिलनाडु जैसे राज्यों से हांसिल कर सकती है.

याद रहे, गुजरात विस चुनाव के दौरान कांग्रेस नेता मणिशंकर अय्यर के पीएम मोदी के लिए दिए गए एक विवादास्पद बयान के बाद बीजेपी ने इसको लेकर कांग्रेस पर इमोशनल अटैक किया था और पाॅलिटिकल प्रोफिट भी लिया था. इसका नतीजा यह रहा था कि गुजरात की सत्ता कांग्रेस के हाथों से फिसल गई.

इस वक्त बीजेपी के पास जनता को प्रभावित करने वाले मुद्दों का अभाव है, लिहाजा विपक्षी नेताओं के विवादास्पद बयान बीजेपी के लिए चुनावी संजीवनी साबित हो सकते हैं. ऐसे बयानों का भले ही तथ्यात्मक आधार हो, भले ही तार्किक अर्थ हो, लेकिन ऐसे बयानों के भावार्थ के आधार पर बीजेपी, विपक्ष पर इमोशनल अटैक करने का मौका हाथ से जाने नहीं देगी.

खासकर, एयर स्ट्राइक जैसे मुद्दों पर सवाल उठा कर विपक्ष, बीजेपी को लोस चुनाव के लिए सियासी ढाल उपलब्ध करवा रहा है. नवजोत सिद्धू, दिग्विजय सिंह, ममता बनर्जी आदि के बयानों के पीछे सोच कुछ भी हो, भावना कुछ भी हो, लेकिन भावार्थ बीजेपी को फायदा पहुंचा रहा है. बीजेपी चाहती है कि यह मुद्दा बना रहे ताकि रोजगार, खेती-किसानी, गैस-पेट्रोल के रेट जैसे जनहित के मुद्दे दबे रहें. ऐसे में विपक्षी नेताओं के बयान अप्रत्यक्षरूप से बीजेपी के लिए मददगार ही साबित हो रहे हैं.

कांग्रेस के लिए बड़ी चुनौती एमपी, राजस्थान, पंजाब जैसे राज्यों में गुटबाजी है. यदि इस पर नियंत्रण करने में कांग्रेस असफल रही तो ऐसे राज्यों में विस चुनाव की कामयाबी, लोस चुनाव में दोहराना कांग्रेस के लिए मुश्किल हो जाएगा.

सियासी संकेत यही हैं कि- लोकसभा चुनाव चुनाव में मुद्दों से ज्यादा प्रभावी भूमिका राजनीतिक माहौल की रहेगी, बीजेपी इस मामले में कांग्रेस से बहुत आगे है, इसलिए यदि कांग्रेस बेहतर चुनाव प्रबंधन के साथ-साथ नेताओं के बेलगाम बयानों पर रोक और गुटबाजी पर नियंत्रण करने में सफल रहती है, तो ही लोस चुनाव में बेहतर परिणाम की उम्मीद रख सकती है.

Web Title: Lok Sabha Elections 2019: congress leaders avoid statements and groupism for win the 2019 election!