लोकसभा चुनाव 2019: छत्तीसगढ़ में भाजपा करो या मरो पर काम रही, कांग्रेस बस्तर की दोनों सीटें हथियाने कटिबद्ध

By सुधीर जैन | Published: March 24, 2019 03:54 PM2019-03-24T15:54:26+5:302019-03-24T15:54:26+5:30

इस बार एक ओर जहां भाजपा अपनी सीट बचाने करो या मरो की तर्ज पर प्रयत्नशील है, वहीं दूसरी ओर कांग्रेस भाजपा की बस्तर की दोनों सीटें झटकने राज्य सत्ता के सहारे आक्रामक तेवर के साथ किसान एवं निर्धन हित की लड़ाई लड़ रही है। 

Lok Sabha Elections 2019: Congress in Chhattisgarh is working on a die or die, Congress is determined to grab both the seats of Bastar | लोकसभा चुनाव 2019: छत्तीसगढ़ में भाजपा करो या मरो पर काम रही, कांग्रेस बस्तर की दोनों सीटें हथियाने कटिबद्ध

लोकसभा चुनाव 2019: छत्तीसगढ़ में भाजपा करो या मरो पर काम रही, कांग्रेस बस्तर की दोनों सीटें हथियाने कटिबद्ध

 भाजपा ने दो बार चित्रकोट विधायक रहे बैदूराम कश्यप पर दांव आजमाते हुए उम्मीदवार घोषित किया है, जिनका सीधा मुकाबला कांग्रेस के वर्तमान चित्रकोट विधायक दीपक बैज से होगा। यहां यह उल्लेख करना लाजिमी होगा कि साल 2013 के विधानसभा चुनाव में दीपक बैज एवं बैदूराम कश्यप चित्रकोट विधानसभा में टकरा चुके हैं, जिसमें दीपक बैज ने बैदूराम कश्यप को परास्त कर कांग्रेस का परचम लहराया था। 2013 के बाद फिर एक बार पुराने प्रतिद्धंदी आसन्न लोकसभा महायुद्ध में एक-दूसरे से दो-दो हाथ करने आमने-सामने हैं।

इस बार एक ओर जहां भाजपा अपनी सीट बचाने करो या मरो की तर्ज पर प्रयत्नशील है, वहीं दूसरी ओर कांग्रेस भाजपा की बस्तर की दोनों सीटें झटकने राज्य सत्ता के सहारे आक्रामक तेवर के साथ किसान एवं निर्धन हित की लड़ाई लड़ रही है। 

भाजपाई गठबंधन सरकार की विफलता परोस रहे हैं

भाजपा मिली-जुली सरकारों की विफलता एवं देश के सर्वांगीण विकास को मुद्दा बनाकर स्थायी व मजबूत सरकार देने के नाम पर मतदाताओं को प्रभावित करने में लगी है। इस साल प्रदेश विधानसभा में चारों खाने चित्त होने के बाद भाजपाई गुटीय खींचतान एवं मतभेदों से बचते नजर आ रहे हैं। बस्तर में भाजपा को इस बार भी बढ़त मिलने के आसार हैं। अपने गढ़ को बचाने भाजपा कहां तक सफल होती है, यह भविष्य ही बताएगा। भाजपा देश में सर्वांगीण विकास एवं हिंदूत्व के मुद्दे को लेकर मैदान में कूदी है। हाल ही में पाकिस्तान में आतंकवादी ठिकाने में किए गए सर्जिकल स्ट्राईक का भी निसंदेह भाजपा को लाभ मिलेगा। बैदूराम कश्यप पिछले चुनाव में हुयी हार का बदला लेने कृत संकल्पित जान पड़ रहे हैं। 

दो बार विधायक रहे चुके हैं बैदूराम 

बैदूराम कश्यप भाजपा के कर्मठ और समर्पित कार्यकर्ता हैं। उन्होंने साल 1993 में भाजपा का दामन थामकर अपने राजनैतिक कैरियर की शुरूवात की थी। कालांतर में वे भाजयुमो तोकापाल मंडल अध्यक्ष, कमल वाहिनी विधानसभा संयोजक, जनपद सदस्य जैसे पदों को सुशोभित करने के बाद वर्ष 2003 एवं 2008 में लगातार दो मर्बता विधायक रहे। वर्तमान में वे जगदलपुर जिले के भाजपाध्यक्ष पद का गुरूत्तर दायित्व निभा रहे हैं। इस दौरान वे प्रदेश सहकारिता प्रकोष्ठ के अध्यक्ष एवं बस्तर विकास प्राधिकरण में उपाध्यक्ष पद पर भी कुशाग्रता से कार्य कर चुके हैं।    

कश्यप परिवार का नाराजगी भाजपा का रोड़ा बन सकती है

साल 2018 के विधानसभा चुनाव में भाजपा को बस्तर की 12 में से 11 सीटों पर पार्टी कार्यकर्ताओं की नाराजगी और गुटीय खींचतान के चलते करारी शिकस्त झेलनी पड़ी है। लोकसभा में भी विजेता प्रत्याशी दिनेश कश्यप की टिकट कटने से, उनके समर्थकों के भीतरघात का सामना भारी पड़ सकता है। बस्तर भाजपा के स्तंभ बलिराम कश्यप परिवार के दिनेश कश्यप एवं केदार कश्यप की बस्तर भाजपा की राजनीति में खासी व प्रभावी दखलंदाजी है। दिनेश कश्यप की टिकिट कटने के बाद इस परिवार का क्या रूख होगा, इसका सबको बेसब्री से इंतजार है। कश्यप परिवार की उपेक्षा और नाराजगी बैदूराम की सफलता में बाधक बन सकती है। 

दुगुने उत्साह से काम करें कांग्रेसी 

कांग्रेस नेतृत्व द्वारा चित्रकोट विधायक दीपक बैज को प्रत्याशी बनाए जाने से कार्यकर्ताओं में नवीन उर्जा का संचार हुआ है। दीपक बैज दो बार लगातार विधायक रहे हैं। दीपक बैज की साफ सुथरी और निर्विवाद छवि रही है। बैज एलएलबी तक शिक्षित तो हैं ही, साथ ही सरल, सहज, मिलनसार, लोकप्रिय, जुझारू एवं संघर्षशील राजनीतिज्ञ हैं, जिन्होंने छात्र जीवन से अपने राजनैतिक सफर की शुरूवात की थी। फिलहाल पार्टी में गुटबाजी जैसी बीमारी नजर नहीं आ रही है। दीपक बैज भाजपा से यह सीट छीनने अपने लाव लश्कर के साथ तन-मन-धन से जुट गए हैं।

दीपक ने गिनायीं भाजपा की कमियां

लोकसभा प्रत्याशी दीपक बैज ने कहा कि भाजपा की गलत नीतियों से लोग परेशान हैं। हवा-हवाई भाषण और वायदे पूरे करने में नाकामी, किसानों  के समक्ष संकट, युवाओं के लिए रोजगार नहीं, अर्थव्यवस्था ठप, न अच्छे दिन आए न हीं काला धन वापस आया। राफेल घोटाला, प्रधानमंत्री मोदी द्वारा अपने मित्रों के करोड़ों की ऋण माफी के अलावे मतदाता खोखले वायदे और जुमलों से उबकर कांग्रेस के रथ में सवार होने को तैयार है। 5 साल में भाजपा सरकार बस्तर को सीधे राजधानी से जोडऩे वाले रेल मार्ग के लिए भी कुछ करने की बजाए हाथ पर हाथ धरे बैठी रही। रेल बजट मेेंं भी बस्तर में रेलों के विस्तार के लिए कोई कार्य योजना नहीं बनायी गयी। 


 

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