लोकसभा चुनाव 2019: छिंदवाड़ा में आदिवासी चेहरे पर दाव लगा सकती है भाजपा, कर रही मंथन
By राजेंद्र पाराशर | Published: March 15, 2019 05:38 AM2019-03-15T05:38:18+5:302019-03-15T05:38:18+5:30
मध्यप्रदेश की छिंदवाड़ा, गुना-शिवपुरी और रतलाम-झाबुआ संसदीय क्षेत्रों पर लोकसभा चुनाव में कब्जा जमाने की रणनीति पर भाजपा ने काम तेज कर दिया है.
भारतीय जनता पार्टी के राष्ट्रीय अध्यक्ष अमित शाह मध्यप्रदेश में कांग्रेस के दिग्गजों को उनके गढ़ों में घेरने की रणनीति पर काम कर रहे हैं. इसके चलते वे छिंदवाड़ा में प्रदेश के मुख्यमंत्री कमलनाथ को घेरने के लिए किसी आदिवासी चेहरे को मैदान में उतार सकते हैं. भाजपा के पास भारतीय गोंडवाना गणतंत्र पार्टी के राष्ट्रीय अध्यक्ष मनमोहन शाह बट्टी ने भी प्रस्ताव दिया है, इस प्रस्ताव के तहत उन्होंने भाजपा से गठबंधन करने को कहा है. बट्टी के इस प्रस्ताव पर शाह को अंतिम फैसला लेना है.
मध्यप्रदेश की छिंदवाड़ा, गुना-शिवपुरी और रतलाम-झाबुआ संसदीय क्षेत्रों पर लोकसभा चुनाव में कब्जा जमाने की रणनीति पर भाजपा ने काम तेज कर दिया है. भाजपा करीब दो वर्ष पहले से ही इस रणनीति पर काम कर रही है. भाजपा ने इसके लिए प्रदेश के चुनाव प्रभारी स्वतंत्रदेव सिंह को जिम्मेदारी सौंपी थी. वे लगातार तीनों संसदीय क्षेत्रों का दौरा तो करते रहे, मगर अपने पत्ते कभी नहीं खोले. सूत्रों की माने तो सिंह ने तीनों संसदीय क्षेत्रों का फीडबेक अमित शाह को दिया है. इसमें छिंदवाड़ा संसदीय क्षेत्र में भाजपा इस बार सामान्य वर्ग के प्रत्याशी के बजाय किसी आदिवासी चेहरे को मैदान में उतारना चाह रही है. वैसे भाजपा के पास आदिवासी चेहरे के रुप में यहां से राष्ट्रीय अनुसूचित जनजाति आयोग की उपाध्याक्ष अनसुईया उइके हैं. उनके नाम पर विचार किया जा सकता है, मगर पार्टी के लिए हाल ही में बैतूल संसदीय क्षेत्र से ज्योति धुर्वे के जाति प्रमाण पत्र मामला में उलझने के बाद यहां पर आदिवासी चेहरे का संकट है. इस वजह से उइके को बैतूल से उतारने का विचार भी किया जा रहा है. वहीं पार्टी द्वारा छिंदवाड़ा संसदीय क्षेत्र से जिताऊ उम्मीदवार की तलाश की जा रही है. इसके लिए प्रदेश भाजपा अध्यक्ष राकेश सिंह और प्रदेश के चुनाव प्रभारी स्वतंत्रदेव सिंह मंथन कर चुके हैं.
मनमोहन शाह बट्टी ने भाजपा को दिया प्रस्ताव
भारतीय गोंडवाना गणतंत्र पार्टी के राष्ट्रीय अध्यक्ष मनमोहन शाह बट्टी ने भाजपा को एक प्रस्ताव देकर गठबंधन करते हुए इस सीट पर मैदान में उतारने की बात कही है. बट्टी ने अपनी ओर से यह प्रस्ताव देते हुए कहा है कि वे संशाधन के साथ यहां से अपना प्रत्याशी न उतारकर उन्हें समर्थन दें, तो कांग्रेस की इस गढ़ को ढ़हाने में मदद होगी. बट्टी के साथ पूर्व मुख्यमंत्री शिवराज सिंंह चौहान और अन्य नेताओं के साथ बट्टी की दो बार इस मुद्दे को लेकर बैठक हो चुकी है. अब इस पर फैसला लेना पार्टी के राष्ट्रीय अध्यक्ष अमित शाह को हैं. भारतीय गोंडवाना गणतंत्र पार्टी के प्रदेश अध्यक्ष मनमोहनशाह बट्टी का कहना है कि उन्होंने भाजपा को यह प्रस्ताव दिया है. इसके अलावा वरिष्ठ भाजपा नेताओं के साथ उनकी चर्चा भी हुई है. भाजपा को इस पर फैसला लेना है.
शाह का प्रयास बट्टी थामे भाजपा का दामन
भाजपा वैसे तो छिंदवाड़ा को लेकर गंभीर है, वह किसी भी तरह से इस सीट पर कब्जा जमाना चाहती है, मगर किसी दल से गठबंधन करके मैदान में उतरना नहीं चाहती है. सूत्रों की माने तो बट्टी ने जो प्रस्ताव भाजपा के सामने रखा है, उस प्रस्ताव पर भाजपा नेता गंभीर तो हैं, मगर भाजपा का एक धड़ा मानता है कि भागोंपा से गठबंधन करने के बजाय यहां बट्टी भाजपा का दामन थामने को तैयार हो तो भाजपा विचार करे. हालांकि यह राय केवल प्रदेश के विशेषकर महाकौशल के भाजपा नेता रखते हैं, मगर राष्ट्रीय नेतृत्व को इस मामले में फैसला लेना है. सूत्रों की माने तो शाह भी इसमें ज्यादा रुचि रखते हैं कि भाजपा अपने प्रत्याशी के रुप में आदिवासी चेहरे को मैदान में उतारे. इसके लिए भाजपा मनमोहन शाह बट्टी पर भाजपा की सदस्यता लेने का दबाव भी बना सकती है.
दो चुनावों का आकलन कर रही भाजपा
भाजपा में बट्टी के प्रस्ताव को लेकर दो धड़े हैं. एक है जो यह चाहता है कि ऐसा न किया जाए, जबकि दूसरा धड़ा अपनी राय दो लोकसभा चुनावों के मतों को लेकर रख रहा है. छिंदवाड़ा संसदीय क्षेत्र से 2009 में भाजपा का सहयोग करते हुए बट्टी मैदान में थे, मगर उन्हें इस चुनाव में मात्र 27,414 वोट ही हासिल हुए थे, इस चुनाव में भाजपा के प्रत्याशी मारोत राव खबसे थे और कमलनाथ को यहां पर 1 लाख 21 हजार से ज्यादा मतों से जीत हासिल हुई थी. गोंगपा विभाजन के बाद 2014 के चुनाव में गोंगपा प्रत्याशी के रुप में परदेशी हरताप सिंह ने यहां से चुनाव लड़ा, उन्हें मात्र 25,628 वोट हासिल हुए. यह चुनाव भी कमलनाथ ने 1 लाख 16 हजार से ज्यादा मतों से जीता था. इसके अलावा इस संसदीय क्षेत्र की तीन विधानसभा सीटें जुन्नारदेव, अमरवाड़ा और पांढुर्णा अजजा वर्ग के लिए आरक्षित है. इस संसदीय क्षेत्र में आदिवासी मतदाताओं की संख्या करीब 6 लाख है.