लोकसभा चुनाव 2019: आतंकियों के चलते अनंतनाग संसदीय सीट पर होंगे तीन चरणों में चुनाव

By सुरेश डुग्गर | Published: March 11, 2019 10:14 AM2019-03-11T10:14:26+5:302019-03-11T10:14:26+5:30

देश में ऐसा पहली बार होगा कि किसी लोकसभा सीट के लिए तीन चरणों में मतदान होगें। ये सीट है जम्मू कश्मीर की अनंतनाग संसदीय सीट। इस संसदीय सीट को महबूबा मुफ्ती की पीपुल्स डेमोक्रेटिक पार्टी (पीडीपी) का गढ़ माना जाता है।

Lok Sabha Elections 2019: Anantnag Parliamentary constituency voting in three phases due to terrorists | लोकसभा चुनाव 2019: आतंकियों के चलते अनंतनाग संसदीय सीट पर होंगे तीन चरणों में चुनाव

लोकसभा चुनाव 2019: आतंकियों के चलते अनंतनाग संसदीय सीट पर होंगे तीन चरणों में चुनाव

Highlightsदेश में ऐसा पहली बार होगा कि किसी लोकसभा सीट के लिए तीन चरणों में मतदान होगेंइस संसदीय सीट को पीपुल्स डेमोक्रेटिक पार्टी (पीडीपी) का गढ़ माना जाता है।अनंतनाग-पुलवामा संसदीय क्षेत्र के लोग 23 अप्रैल, 29 अप्रैल और 6 मई को मतदान करेंगे।

देश में ऐसा पहली बार होगा कि किसी लोकसभा सीट के लिए तीन चरणों में मतदान होगें। ये सीट है जम्मू कश्मीर की अनंतनाग संसदीय सीट। इस संसदीय सीट को पीपुल्स डेमोक्रेटिक पार्टी (पीडीपी) का गढ़ माना जाता है। अनंतनाग-पुलवामा संसदीय क्षेत्र के लोग 23 अप्रैल, 29 अप्रैल और 6 मई को मतदान करेंगे। इसके लिए संसदीय क्षेत्र को तीन भागों में बांटा जाएगा और सुरक्षा के इंतजाम भी तीन गुना करने के लिए अतिरिक्त सुरक्षा बलों की मांग कर दी गई है। निर्वाचन आयोग ने तीन चरणों में चुनाव करवाने का ये अनूठा प्रयोग आतंकवाद के चलते किया है।

अनंतनाग संसदीय सीट का इतिहास

2014 के संसदीय चुनावों में इस सीट पर सिर्फ 27 प्रतिशत मतदान हुआ था जो साल 2009 के संसदीय चुनावों के मुकाबले कम था। महबूबा मुफ्ती ने 4 अप्रैल 2016 को मुख्यमंत्री पद संभाला तो उनकी दिली तमन्ना थी कि इस संसदीय क्षेत्र से परिवारवाद की बेल को बढ़ाई जाए। उन्होंने अपने भाई तस्सदुक मुफ्ती को इस संसदीय क्षेत्र से चुनाव मैदान में उतारा। लेकिन आतंकवाद के चलते सुरक्षा कारणों से इस चुनाव प्रक्रिया को स्थगित करना पड़ा। 2016 से लेकर अब तक इस संसदीय क्षेत्र में मतदान नहीं करवाया जा सका। इसबार निर्वाचन आयोग ने एक नए प्रयोग से चुनाव संपन्न करवाने की कोशिश की है लेकिन रास्ते में आतंकवाद की बड़ी चुनौती खड़ी है।

दक्षिण कश्मीर बना आतंकियों का गढ़

सबसे ज्यादा अशांत दक्षिण कश्मीर क्षेत्र के युवा आतंकी संगठनों से जुड़ रहे हैं। आतंकवाद से जुड़ने वाले अधिकतर युवा दक्षिण कश्मीर के जिले पुलवामा, शोपियां, कुलगाम और अनंतनाग के हैं। जैश-ए-मोहम्मद, हिजबुल मुजाहिद्दीन और लश्कर-ए-तैयबा जैसे संगठनों में सबसे ज्यादा आतंकी जुड़ रहे हैं। जम्मू-कश्मीर में अभी मुख्य रूप से 10 से ज्यादा आतंकी संगठन सक्रिय हैं। इन पर भारत सरकार ने बैन लगाया हुआ है। 

2018 में मारे गए 311 आतंकी

साल 2016 के बाद से आतंक से जुड़ने वाले कश्मीर के युवाओं की संख्या बढ़ी है। हालांकि सुरक्षा बलों ने इन आतंकियों का मुंहतोड़ जवाब दिया है। पिछले साल ही 311 आतंकी मारे गए थे। इससे पहले 2017 में 213 जबकि साल 2010 में 232 आतंकियों का खात्मा किया गया था।

युवा चले आतंक के रास्ते

बता दें कि पिछले साल जम्मू कश्मीर में 191 स्थानीय युवा विभिन्न आतंकी संगठनों से जुड़े। इस तरह 2017 की तुलना में 65 और युवाओं ने पिछले साल आतंक का रास्ता अपनाया।

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