भोपाल में दिग्विजय सिंह के ख़िलाफ़ चुनाव लड़ सकती हैं साध्वी प्रज्ञा ठाकुर, अंतिम फैसला संघ करेगा
By राजेंद्र पाराशर | Published: March 24, 2019 08:53 PM2019-03-24T20:53:34+5:302019-03-24T21:31:53+5:30
संघ को सदैव निशाने पर रखने वाले दिग्विजय सिंह के खिलाफ अब भोपाल में संघ अपनी रणनीति के तहत भाजपा का प्रत्याशी तलाश रहा है. संघ ने उनके नाम की घोषणा के साथ ही सक्रियता भी दिखाई.
मध्यप्रदेश की भोपाल सीट से कांग्रेस ने दिग्विजय सिंह को मैदान में उतारकर उनका सीधा मुकाबला भाजपा से ज्यादा संघ से करा दिया है. संघ को सदैव निशाने पर रखने वाले दिग्विजय सिंह के खिलाफ अब भोपाल में संघ अपनी रणनीति के तहत भाजपा का प्रत्याशी तलाश रहा है.
संघ हुआ सक्रिय
संघ ने उनके नाम की घोषणा के साथ ही सक्रियता भी दिखाई. इसके चलते साध्वी प्रज्ञा ठाकुर का नाम भी भोपाल से प्रत्याशी के रुप में सामने आया है. हालांकि दिग्विजय के लिए भोपाल चुनौती जरुर है साथ ही यहां से उनका राजनीतिक भविष्य भी तय होगा.
प्रदेश के मुख्यमंत्री कमलनाथ ने कठिन सीटों पर चुनौती के तहत दिग्विजय सिंह पर भोपाल संसदीय सीट से दांव खेला है. सिंह अगर जीते तो केन्द्र में सक्रिय रहेंगे और प्रदेश में उनका ज्यादा ध्यान नहीं रहेगा और हारे तो सिंह की जो आज संगठन में स्थिति है, वे उससे भी ज्यादा कमजोर साबित होंगे.
कुल मिलाकर दिग्विजय के लिए लोकसभा का यह चुनाव उनके कद को तय करेगा. यही वजह है कि सिंह ने नपे-तुले अंदाज में अभी अपने पत्ते खोले हैं. वे अपने नाम की घोषणा के साथ ही समर्थकों से लगातार संपर्क में है.
दिग्विजय सिंह कर रहे हैं जनसंपर्क
भोपाल संसदीय क्षेत्र में आरिफ अकील और पी.सी.शर्मा दो मंत्री उनके समर्थक हैं. वैसे पचौरी समर्थक आरिफ मसूद भी उनके पक्ष में ही खड़े नजर आएंगे. साथ ही अल्पसंख्यक समुदाय सिंह के साथ नजर आएगा. इसके अलावा पूर्व मुख्यमंत्री बाबूलाल गौर और वरिष्ठ भाजपा नेता कैलाश सारंग से उनके संबंध भी जगजाहिर हैं.
वहीं संघ परिवार जिसका दखल भोपाल संसदीय सीट पर रहा है, वह इस बार ज्यादा सक्रिय नजर आएगा. संघ अब यहां से अपनी पसंद का प्रत्याशी मैदान में उतारना चाहता है. सिंह शुरु से ही संघ को लेकर बयानबाजी कर सुर्खियों में रहे हैं, जिसके चलते संघ उनके नाराज रहा है.
संघ इस बार उन्हें हराने के लिए पूरी ताकत से मैदान में जुट गया है. संघ की ओर से प्रज्ञा ठाकुर का नाम भी प्रत्याशी के लिए शनिवार को ही सामने आया है. इसके अलावा संघ भोपाल में ऐसा प्रत्याशी मैदान में उतारना चाहता है कि यह सीट भी भाजपा के पक्ष में रह जाए और दिग्विजय सिंह को वह हार भी दिला सके.
जीते तो दिल्ली, हारे तो घर बैठेंगे
16 साल के राजनीतिक संन्यास की समाप्ति ऐसी होगी दिग्विजय सिंह ने भी नहीं सोचा था. मगर मुख्यमंत्री कमलनाथ के चक्रव्यूह में वे कुछ इस तरह उलझ गए कि अब मना भी नहीं कर सकते. चुनावी राजनीति में उनकी वापसी के साथ यह चुनाव उनके लिए चुनौती बन गया है. अगर दिग्विजय यह चुनाव हारते हैं तो कमलनाथ ही कांग्रेस के मध्यप्रदेश के नंबर-1 नेता बन जाएंगे.
कमलनाथ सरकार और प्रदेश संगठन में दिग्विजय का दखल भी कम हो जाएगा. साथ ही दिग्विजय चुनावी राजनीति के मामले में हाशिए पर जा सकते हैं. वैसे कमलनाथ को दोनों स्थितियों में फायदा है. दिग्विजय जीते तो दिल्ली चले जाएंगे, हारे तो घर बैठेंगे.