लोकसभा चुनाव 2019: नरेन्द्र मोदी को अब अमित शाह की जरूरत नहीं, इस नए तकनीक के जरिये लड़ेंगे चुनाव
By विकास कुमार | Published: February 3, 2019 02:38 PM2019-02-03T14:38:32+5:302019-02-03T14:38:32+5:30
नरेन्द्र मोदी इस बार का लोकसभा चुनाव अपने नेतृत्व और तकनीक के दम पर लड़ना चाहते हैं, क्योंकि जिस तरह से हाल के चुनावों में बीजेपी को झटका लगा है उससे उनका भरोसा पार्टी के अन्य नेताओं और यहां तक कि अमित शाह के प्रति भी कम हुआ है.
लोकसभा चुनाव से पहले भारतीय जनता पार्टी और कांग्रेस के बीच में पॉलिटिकल परसेप्शन को दूरुस्त करने की जंग शुरू हो गई है. जहां बीजेपी ने हाल ही में पेश किए गए बजट के जरिये तमाम वर्गों को साधने की कोशिश की है तो वही तीन राज्यों में कांग्रेस की सरकार बनने के बाद लोकलुभावन योजनाओं के जरिये कांग्रेस भी अपने पक्ष में माहौल बनाने की कोशिश कर रही है. राहुल गांधी राफ़ेल मुद्दे को राष्ट्रीय घोटाला बनाने का अथक प्रयास कर रहे हैं.
किसानों की लोन माफी की जा रही है और नरेन्द्र मोदी को पूरे देश के किसानों की लोन माफी को लेकर चुनौती भी दे दी गई है. लेकिन इस बीच एक ऐसी तकनीक जिसने हाल के दिनों में पूरी दुनिया में अपनी पहचान बनायी है और भारतीय राजनीति भी इससे अछूती रह नहीं पायी.
नरेन्द्र मोदी और राहुल गांधी में है कड़ी टक्कर
डाटा पॉलिटिक्स के इस दौर में भारतीय जनता पार्टी और कांग्रेस के बीच लड़ाई दिलचस्प होने वाली है. संसाधनों के मामलों में बीजेपी भले ही कांग्रेस से बहुत आगे प्रतीति होती है लेकिन पॉलिटिक्स के इस नए दौर में कांग्रेस ने इस तकनीक को साध लिया है. डेटा के मामले में बिना शक भारतीय जनता पार्टी कांग्रेस से समृद्ध है लेकिन तकनीक के मामले में कांग्रेस भाजपा को यहां कड़ी टक्कर दे रही है.
डेटा पॉलिटिक्स का दौर
उत्तर प्रदेश में प्रियंका गांधी के नेतृत्व में कांग्रेस सभी सीटों के राजनीतिक समीकरण तैयार कर रही है, जिसके लिए डेटा एनालिटिक्स के विशेषज्ञों की मदद ली जा रही है. कांग्रेस पार्टी ने डेटा सेल का गठन पिछले साल ही कर दिया था, जब कांग्रेस अध्यक्ष के रूप में राहुल गांधी का चयन हुआ. इस नए तकनीक को बड़े पैमाने पर लागू करने के लिए पार्टी के चाणक्य और राजीव गांधी के सबसे नजदीकी लोगों में से एक सैम पित्रोदा को श्रेय दिया जाता है.
बीजेपी के पास विशाल डेटाबेस
भारतीय जनता पार्टी के पास अपने विशाल कार्यकर्ताओं के समूह के रूप में प्रत्यक्ष तौर पर 10 करोड़ लोगों का डाटा मौजूद है. सभी कार्यकर्ताओं से पीएम मोदी इस रूप में सीधे जुड़ सकते हैं. भारतीय जनता पार्टी में डेटा पॉलिटिक्स एक संगठित रूप में दिखती है. कांग्रेस के पास इस रूप में डेटाबेस मौजूद नहीं है. नरेन्द्र मोदी को ऐसे भी तकनीक के इस्तेमाल के रूप में महारथ हासिल है. 2014 के चुनाव में नरेन्द्र मोदी ने राजनीति में उन तकनीकों का प्रदर्शन किया जिससे पश्चिम जगत के राजनेता तक परिचित नहीं थे.
नरेन्द्र मोदी इस बार का लोकसभा चुनाव अपने नेतृत्व और तकनीक के दम पर लड़ना चाहते हैं, क्योंकि जिस तरह से हाल के चुनावों में बीजेपी को झटका लगा है उससे उनका भरोसा पार्टी के अन्य नेताओं और यहां तक कि अमित शाह के प्रति भी कम हुआ है. योजनाओं के लाभान्वितों की पहचान हो या उनसे सीधे बात करने की बात हो, नरेन्द्र मोदी ने तकनीक के इस्तेमाल की शुरुआत कर चुके हैं.